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JSJB अवार्ड में गड़बड़ी के आरोपों को जल शक्ति मंत्रालय ने बताया भ्रामक, सोशल मीडिया दावों का किया खंडन

जल शक्ति मंत्रालय ने जल संचयन, जन भागीदारी (JSJB) अवार्ड में कथित गड़बड़ी को लेकर सोशल मीडिया पर फैल रहे दावों को खारिज किया है. मंत्रालय ने कहा कि जिन गलत फोटो और दस्तावेजों की बात की जा रही है, वे JS-JB नहीं बल्कि JSA-CTR पोर्टल से जुड़े हैं. अवार्ड प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है.

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नेशनल वॉटर मिशन अवॉर्ड को लेकर विवाद हुआ था. (Photo- X/NWM)
नेशनल वॉटर मिशन अवॉर्ड को लेकर विवाद हुआ था. (Photo- X/NWM)

जल शक्ति मंत्रालय ने जल संचयन, जन भागीदारी (JSJB) अभियान के तहत दिए गए अवार्ड्स को लेकर सोशल मीडिया पर लगाए जा रहे आरोपों को भ्रामक और तथ्यहीन बताया है. मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि JSJB अवार्ड में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है और इन अवार्ड्स को पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया के तहत दिया गया है.

मंत्रालय के अनुसार, सोशल मीडिया पर जिन मामलों का हवाला देकर सवाल उठाए जा रहे हैं, वे JSJB अभियान से संबंधित नहीं हैं. ये सभी मामले मंत्रालय के एक अन्य पोर्टल जल शक्ति अभियान–कैच द रेन (JSA-CTR) से जुड़े हुए हैं. दोनों अभियानों के उद्देश्य, पोर्टल और प्रक्रियाएं पूरी तरह अलग हैं, लेकिन जानबूझकर या भ्रम फैलाने के मकसद से इन्हें एक-दूसरे से जोड़कर पेश किया जा रहा है.

जल शक्ति मंत्रालय ने कहा कि कुछ मामलों में एआई से तैयार की गई तस्वीरें और यहां तक कि शादी के निमंत्रण पत्र तक को JSJB अभियान से जोड़कर सोशल मीडिया पर साझा किया गया. मंत्रालय ने साफ किया कि ऐसी सभी शिकायतें JSA-CTR पोर्टल से संबंधित हैं, न कि JSJB से. उदयपुर और बाड़मेर के जिन मामलों का जिक्र किया गया, वे भी JSA-CTR पोर्टल पर गलती से अपलोड की गई सामग्री से जुड़े हैं.

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अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश

मंत्रालय ने बताया कि JSA-CTR से जुड़े मामलों को गंभीरता से लिया गया है. यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय के संज्ञान में है और पीएमओ के निर्देश पर सभी जिला कलेक्टरों को ईमेल भेजकर गलत या भ्रामक जानकारी अपलोड करने वाले अधिकारियों की पहचान करने और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. इसके साथ ही JSA-CTR पोर्टल पर डेटा अपलोडिंग पर अस्थायी रोक लगा दी गई है और जिलों को गलत तस्वीरें हटाने या सुधार करने की अनुमति दी गई है.

गुजरात के सूरत से हुई JSJB अभियान की शुरुआत

JSJB अभियान की शुरुआत 6 सितंबर 2024 को गुजरात के सूरत से हुई थी. इसका उद्देश्य जनभागीदारी के जरिए वर्षा जल संचयन, भूजल रिचार्ज और जल भंडारण को बढ़ावा देना है. इस अभियान के तहत जिलों और नगर निगमों को 1 करोड़ रुपये से लेकर 25 लाख रुपये तक के पुरस्कार दिए जाते हैं. निगरानी JSJB डैशबोर्ड के जरिए फोटो और लोकेशन टैगिंग से की जाती है, जिसमें 339 केंद्रीय नोडल अधिकारी सत्यापन में शामिल हैं.

राष्ट्रपति के हाथों प्रदान किए गए पुरस्कार

इस वर्ष 67 जिलों, 6 नगर निगमों और एक शहरी स्थानीय निकाय को शॉर्टलिस्ट किया गया था. कुल 100 पुरस्कार 18 नवंबर 2025 को विज्ञान भवन में राष्ट्रपति के हाथों प्रदान किए गए. मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर फैल रही भ्रामक जानकारियों पर भरोसा न करें और केवल आधिकारिक तथ्यों को ही सही मानें.

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