कोलकाता के बुरटोला पुलिस स्टेशन में रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी पंकज दत्ता के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए धारा 79/352 बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया गया है. एक बैठक में दर्शकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'आरजी कर में ऐसी भयावह घटना हुई, क्या कोई इसकी कल्पना कर सकता है? अगर यह सोनागाछी (उत्तर कोलकाता का रेड लाइट एरिया) में हुआ होता तो हम समझ सकते थे.'
41 दिन बाद ख़त्म हुआ था धरना
कोलकाता कांड के बाद से धरना में शामिल हुए लोगों ने कुछ दिन पहले 41 दिन बाद अपना धरना प्रदर्शन खत्म किया था. आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ दरिंदगी के विरोध में 9 अगस्त के बाद से जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. ममता सरकार लगातार इनसे काम पर वापस लौटने की मांग कर रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी डॉक्टरों को वापस काम पर लौटने को कहा था.
जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार से स्वास्थ्य भवन और कोलकाता में चल रहे धरना प्रदर्शन को खत्म करने का ऐलान किया. बता दें कि कोलकाता कांड के विरोध में जूनियर डॉक्टरों के संगठनों ने धरने का ऐलान कर दिया था. इसके चलते बंगाल की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई थी. हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों की 5 मांगें थीं, जिनमें से ममता सरकार ने 3 को मान लिया. खुद सीएम ममता बनर्जी ने डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया था.
ममता बनर्जी ने डॉक्टरों की 5 में से तीन मांगों को मानते हुए चिकित्सा शिक्षा निदेशक और स्वास्थ्य सेवा निदेशक को हटा दिया. पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को भी मंगलवार को हटाकर नए आईपीएस अधिकारी को जिम्मा सौंपा. इसके साथ ही कोलकाता पुलिस के उपायुक्त (उत्तर) को भी हटा दिया गया, जिनके खिलाफ पीड़ित परिवार ने रिश्वतखोरी का आरोप लगाया था.
जूनियर डॉक्टर्स ने रखी थीं ये 5 मांगें -
1- ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर के बाद साक्ष्यों को "नष्ट" करने के लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय हो और उन्हें सजा दी जाए.
2- मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
3- कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल और स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम के इस्तीफे की मांग की.
4- स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बेहतर सुरक्षा व्यवस्था की जाए.
5- सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में "धमकी की संस्कृति" को खत्म किया जाए.