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क्या पॉलिटिक्स में हाइट मैटर करती है? ऊंचे आसन और हार-जीत के बीच निर्णायक एक-एक इंच

क्या किसी नेता का कद सिर्फ उसका शारीरिक माप है या सत्ता और नेतृत्व की छवि गढ़ने वाला राजनीतिक औजार? सदियों पुरानी बहस आज भी जिंदा है. अमेरिका से यूरोप तक रिसर्च बताती हैं कि हाइट वोटिंग बिहेवियर और लीडरशिप इमेज को अनजाने में प्रभावित करती है.

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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर डोनाल्ड पुतिन की हाइट 5 फुट 7 इंच और ट्रंप की हाइट 6 फुट 3 इंच है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर डोनाल्ड पुतिन की हाइट 5 फुट 7 इंच और ट्रंप की हाइट 6 फुट 3 इंच है.

क्या पॉलिटिक्स में या शासन में हाइट कोई मायने रखती है? इस सवाल पर बहस आज से नहीं सदियों से जारी है. महान दार्शनिक चाणक्य के लिए एक शासक की बुद्धि का कद यानी इंटेलेक्चुअल स्टैचर उसके शारीरिक कद से कहीं अधिक मायने रखता था. भारत में तो इस विषय पर शोध नहीं के बराबर हुए हैं लेकिन वेस्टर्न वर्ल्ड में पॉलिटिक्स के लिए ये एक निर्णायक फैक्टर रहा है. इसपर काफी शोध हुए हैं और परिणाम भी बहुत रोचक मिलते रहे हैं.

लिटिल मार्को, मिनी माइक...

ये किसी के फेवरेट निक नेम नहीं, विरोधियों के खिलाफ चुनावी लड़ाई में ट्रंप के इस्तेमाल किए गए शाब्दिक हथियार थे, जो विरोधी नेताओं की हाइट को टारगेट कर दागे गए थे. ट्रंप, जिनकी खुद की ऊंचाई 6 फुट 3 इंच है, अमेरिकी राजनीति के उस अलिखित नियम को जानते हैं कि अधिकतर लंबा उम्मीदवार ही जीतता है. इसलिए उन्होंने जानबूझकर अपने विरोधियों को शारीरिक रूप से छोटा दर्शाने के लिए इन निक नेम्स का इस्तेमाल किया, ताकि मतदाताओं के अवचेतन मन में यह बात बैठ जाए कि वे नेतृत्व के लिए कम योग्य हैं.

यह आधुनिक राजनीति में शारीरिक फीचर्स, विशेष रूप से कद, को जानबूझकर राजनीतिक हथियार बनाने का एक स्पष्ट उदाहरण है. ऐसा ही एक उदाहरण 19वीं सदी के शुरुआत में यूरोप में मिलता है. युद्ध में लगातार विजय पताका फहरा रहे लेकिन औसत कद के नेपोलियन बोनापार्ट को उनके सैनिक सम्मान से 'लिटिल कॉर्पोरल' कहते थे, लेकिन इसी शब्द को ब्रिटिश कार्टूनिस्टों ने लगातार विरोध में प्रचार के लिए इस्तेमाल किया और नेपोलियन का चित्रण एक छोटे और गुस्सैले व्यक्ति के रूप में किया. यह प्रोपेगेंडा वॉर का हिस्सा था. जिसका मकसद नेपोलियन को यूरोप में एक शक्तिशाली नेता के बजाय एक तुच्छ तानाशाह के रूप में दिखाना था. इसी तरह हिटलर के विरोधियों ने भी 'लिटिल मैन' की अवधारणा का खूब प्रचार-प्रसार किया, ताकि एक कमजोर, अस्थिर और महत्वहीन शासक के रूप में दिखाया जा सके.

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यहां सवाल उठता है कि क्या आधुनिक लोकतंत्र में, जहां इमेज ही सब कुछ है, वोटर आज भी केवल आंतरिक गुणों पर ध्यान देता है? या अनजाने में हाइट जैसे शारीरिक गुण भी चुनावी परिणाम को प्रभावित करते हैं? पश्चिमी देशों में इसपर काफी शोध हुए हैं. वहां मनोवैज्ञानिकों और समाजशास्त्रियों ने इस विषय पर दशकों तक गहन अध्ययन किया है. संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड और यूके जैसे देशों में किए गए शोध बताते हैं कि लंबा होना एक सांख्यिकीय फायदा है.

नेताओं की हाइट

टॉलर-विनर सिद्धांत...

अमेरिका के प्रेसिडेंट चुनावों में 'टॉलर-विनर' सिद्धांत की खूब चर्चा होती है. नीदरलैंड की ग्रोनिंजेन यूनिवर्सिटी की रिसर्च में ये बात सामने आई कि अमेरिका में 1779 के बाद से हुए दो-तिहाई राष्ट्रपति चुनावों में लंबे उम्मीदवारों को अपने प्रतिद्वंदी से अधिक वोट मिले. तमाम अमेरिकी रिसर्च में ये फैक्ट सामने आया कि पिछले 100 सालों में, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाला उम्मीदवार अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी की तुलना में औसतन 1.5 इंच लंबा रहा है. यह मामूली अंतर कई बार दो समान उम्मीदवारों के बीच निर्णायक इंच साबित होता है. हालांकि, ये भी एक फैक्ट है ये कि ये फॉर्मूला एक-तिहाई बार फेल भी रहा है. ट्रंप के विरोध में दो बार चुनाव लड़कर एक बार जीतने और दूसरी बार हारने वाले जो बाइडन खुद 5 फीट 11.6 इंच के हैं.

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बूटगेट का विवाद...

एक और विवाद 2023 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के कैंपेन में तब उठा जब फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसैंटिस रिपब्लिकन दावेदारी के लिए खड़े हुए. सोशल मीडिया पर उनकी कुछ तस्वीरों और वीडियो का विश्लेषण किया गया, जिनमें वह अपनी काउबॉय बूट्स पहने हुए दिखाई दिए. इन तस्वीरों में उनके जूतों का निचला हिस्सा या एड़ी सामान्य से अधिक ऊंची दिखाई दी, और जूते का आकार भी कुछ हद तक असामान्य लग रहा था. इसे बूटगेट विवाद कहा गया.

नेताओं की हाइट

आरोप लगाना शुरू हुआ कि डीसैंटिस अपनी ऊंचाई को बढ़ाने के लिए अपने बूट्स के अंदर सीक्रेट हील लिफ्ट्स या इनसोल्स  का इस्तेमाल कर रहे हैं. कुछ विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि 1.5 तक हाइट बढ़ा हुआ दिखाने की कोशिश की गई है. डीसैंटिस ने इस बात से इनकार किया कि वह अपनी ऊंचाई बढ़ाने के लिए हील लिफ्ट पहनते हैं. हालांकि, आयोवा कॉकस के बाद उन्होंने अपना चुनावी अभियान स्थगित कर दिया और डोनाल्ड ट्रंप को समर्थन दिया.

हाइलाइट्स...

-अमेरिका और यूरोप में नेताओं की हाइट पर कई शोध हुए
-दो-तिहाई अमेरिकी चुनावों में लंबे नेताओं की जीत हुई
-अब्राहम लिंकन सबसे लंबे अमेरिकी राष्ट्रपति थे
-अमेरिकी चुनावों में बूटगेट का मामला भी खूब चर्चित हुआ
-व्लादिमीर पुतिन-जिनपिंग जैसे नेताओं ने हाइट को मिथक साबित किया

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अमेरिका में पॉलिटिक्स और हाइट की हिस्ट्री पर अगर गौर करें तो रोचक फैक्ट सामने आते हैं. अब्राहम लिंकन अमेरिका के सबसे लंबे राष्ट्रपति थे. जिनकी हाइट 6 फुट 4 इंच थी, उनकी भव्य ऊंचाई ने उन्हें सिविल वॉर के दौरान एक गरिमापूर्ण और प्रभावशाली छवि दी, जो उनके नेतृत्व को और मजबूत करती थी. अमेरिका के सबसे छोटे कद के राष्ट्रपति जेम्स मैडिसन थे, जिनकी लंबाई सिर्फ 5 फुट 4 इंच थी. हाल के अमेरिकी राष्ट्रपतियों में बराक ओबामा 6 फुट 1 इंच के, बिल क्लिंटन 6 फुट 1 इंच के तो जॉर्ज डब्ल्यू बुश 5 फुट 11 इंच के थे.

नेताओं की हाइट

महिला उम्मीदवारों का मामला क्या अलग?

क्या महिला उम्मीदवारों के मामले में भी कद मायने रखता है? अमेरिकी इतिहास में देखा जाए तो केवल एक महिला उम्मीदवार 5.5 फुट की हिलेरी क्लिंटन ने कड़ी टक्कर दी. हिलेरी ने 2016 के चुनाव में नॉमिनेशन वोटों में ट्रंप से ज्यादा वोट हासिल किए थे लेकिन इलेक्टोरल वोटों में ट्रंप बाजी मार गए और सत्ता में आए. 2024 के चुनावों में ट्रंप के खिलाफ चुनाव लड़ रहीं डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस की 5 फीट 4¼ इंच की हाइट को भी मुद्दा बनाया गया.

यूरोप में क्या है ट्रेंड?

लंदन के मेयर चुनावों में लगातार जीतने वाले सादिक खान की हाइट 5 फुट 5 इंच है. इसी तरह पोलैंड के राष्ट्रपति चुनावों के दौरान किए गए शोध में भी पाया गया कि फर्स्ट फेज के चुनावों के बाद उम्मीदवारों की हाइट ने वोटर्स का रूख बदलने में प्रमुख भूमिका अदा की. लंबे हाइट के नेताओं को लेकर वोटर्स में एक अनचाहा आकर्षण हर बार देखने को मिला. खासकर उन देशों की पॉलिटिक्स में हाइट एक मेन फैक्टर साबित होती है जहां प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों के बीच चुनावी डिबेट का प्रचलन है. मंच पर नेताओं की गरिमामयी इमेज वोटर्स पर एक अनचाहा इम्प्रेशन छोड़ जाती है, जिसका नतीजों पर साफ असर देखा जाता है.

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दूसरे जीवों में भी यही नतीजे

एन्थ्रोपोलॉजिस्ट के शोध को भी देखा जाए तो न केवल इंसानों में बल्कि पशु-पक्षियों में भी कद और कंट्रोल का सीधा रिश्ता पाया गया है. डायनासोर युग से ग्रीक और प्राचीन माया सभ्यता तक पर हुए शोध बताते हैं कि इंसान हों, गोरिल्ला-चिम्पैंजी हों, हाथी, शेरों की प्रजाति, पक्षी या मछलियों की प्रजाति हो... हर जगह जिसने कद-काठी में विशालता हासिल की, उसके एरिया में कंट्रोल उसी का रहा. मनोवैज्ञानिक इसे दिमाग पर पड़ने वाला अनकॉन्सस फिजिकल इम्प्रेशन मानते हैं. यानी कद-काठी का इंसान के दिमाग पर चाहे-अनचाहे एक अलग इम्प्रेशन होता है जो सामने वाले के प्रति एक इमेज क्रिएट करता है और फैसलों पर असर डालता है.

नेताओं की हाइट

हाइट को मिथक साबित किया इन नेताओं ने

हालांकि, कई देशों के लिए हाइट एक मिथक भी साबित हुआ है. आज के विश्व नेताओं में देखें तो सबसे सशक्त माने जाने वाले रूसी प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन की हाइट सिर्फ 5 फुट 7 इंच है, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 5 फीट 11 इंच के हैं, जबकि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों 5 फुट 10 इंच के हैं. अमेरिका की ही पड़ोसी देश मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लॉडिया शेनबाम हैं जो ट्रंप के खिलाफ मजबूती से अपनी बात रखने के लिए जानी जाती हैं, उनकी हाइट 5 फीट 6.5 इंच है, वहीं ग्लोबल मंचों पर मजबूती से दिखने वाली इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की हाइट 5 फीट 5 इंच है.

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ये कहावत मशहूर है कि- जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का...

राजनीति से इतर हर फील्ड में इतिहास कुछ ऐसा ही है. जहां इरादे और हौसले मायने रखता है, शारीरिक फीचर नहीं. 11 ओलंपिक मेडल और 30 विश्व चैम्पियनशिप जीतने वाली और खेल इतिहास की सबसे सफल जिमनास्टों में से एक सिमोन बाइल्स सिर्फ 4 फीट 8 इंच हाइट की हैं, वे कहती हैं-
'यह अद्भुत है कि मैं छोटे बच्चों को यह प्रेरित कर सकती हूं कि आप छोटे हों या लम्बे, आपके शरीर का प्रकार मायने नहीं रखता, क्योंकि आप कुछ भी कर सकते हैं.'

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