भारत और अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM), उनके प्रॉक्सी ग्रुप्स और सपोटर्स के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के सामने अधिक कठोर सजा उपायों जैसे संपत्ति फ्रीज और हथियार प्रतिबंध लगाने की मांग की है. दोनों देशों ने इस बात पर भी जोर दिया कि ISIS और अल-कायदा के पार्टनर वाले समर्थकों को भी इन प्रतिबंधों के दायरे में लाया जाए.
यह चर्चा दिल्ली में हुई भारत-अमेरिका संयुक्त कार्य समूह (JWG) की बैठक और 'डिजाइनैशंस डायलॉग' के दौरान की गई. इस दौरान, भारत ने अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट को लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और ख़ास तौर से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) के रूप में घोषित करने के लिए धन्यवाद दिया. TRF ने पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी.
दोनों पक्षों ने आतंकवाद के विरोध में लगातार, समन्वित और व्यापक कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, क्वाड और वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) जैसे बहुपक्षीय मंचों में सहयोग मजबूत करने पर भी सहमति जताई.
सह संयुक्त स्टेटमेंट में कहा गया है कि दोनों देशों ने न केवल LeT और JeM, बल्कि उनके सभी सहयोगी, समर्थक, वित्त पोषक और प्रायोजकों को वैश्विक स्तर पर संपत्ति फ्रीज, यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध के तहत लाने का आग्रह किया.
यह भी पढ़ें: रूसी 'रेड स्टार' का वो दौरा जिसने लिखा भारत-रूस संबंधों का इतिहास! इंदिरा के कदम से परेशान थे अमेरिका-चीन
आतंकवाद की सभी स्वरूपों की कड़ी निंदा के साथ, दोनों पक्षों ने पहलगाम हमले और लाल किला के नजदीक हुए हालिया कातिलाना हमले को भी निंदनीय बताया और आतंकवाद के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा देने की बात कही.
बैठकों में आतंकवादी भर्ती, तकनीक के दुरुपयोग, आतंकवाद के वित्तपोषण जैसी चुनौतियों पर भी विचार हुआ. दोनों देशों ने प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और जानकारी साझा करने के माध्यम से काउंटर टेररिज्म सहयोग को और मजबूत करने पर चर्चा की.
भारत की ओर से विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (काउंटर टेररिज्म) विनोद बहाडे और अमेरिका की ओर से स्टेट डिपार्टमेंट की वरिष्ठ अधिकारी मोनिका जैकब्सन ने इस बैठक का नेतृत्व किया.