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'क्या केरल की लड़कियों को बेवकूफ समझा है?', युवा एक्टिविस्ट ने 'द केरला स्टोरी' पर क्या-क्या कहा?

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2023 के पहले दिन के सत्र में द केरला स्टोरी का मुद्दा छाया रहा. इस दौरान हिंदू एक्टिविस्ट राहुल ईश्वर ने कहा कि इस फिल्म में कुछ कमियां हैं. समस्या कट्टरपंथी इस्लाम की है. लेकिन हमें इस्लामोफोबिया के बिना इससे लड़ना होगा. फिल्म में लव जिहाद के जरिए जबरन इस्लाम कबूलवाने का 32000 का जो आंकड़ा दिखाया गया है, उसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है. लेकिन वास्तव में इस तरह की तीन घटनाएं हुई थीं.

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युवा और राजनीति सेशन में चर्चा
युवा और राजनीति सेशन में चर्चा

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2023 के पहले दिन के सत्र में द केरला स्टोरी का मुद्दा छाया रहा. इस सत्र में शामिल युवा एक्टिविस्ट्स ने इस फिल्म पर अपनी राय रखी और राजनीति में युवाओं के भविष्य पर चर्चा की. 

केरल युवा आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. चिंता जेरोम, हिंदू कार्यकर्ता राहुल ईश्वर और एक्टिविस्ट फातिमा ताहिलिया के बीच द केरला स्टोरी को लेकर जबरदस्त बहस हुई. साथ में देश की राजनीति में युवाओं की भागीदारी पर भी सभी ने अपना पक्ष रखा.

इस दौरान राहुल ईश्वर ने कहा कि देश में युवा चेंजमेकर्स बन सकते हैं. इसके लिए युवाओं को यह तय करना होगा कि उन्हें सुना जाए. आपको अपना पक्ष आगे रखना होगा. यह बिल्कुल सही समय है क्योंकि मीडिया ने बहुत मौके दिए हैं. आप चीजें बदल सकते हैं क्योंकि पूरे मीडिया क्षेत्र का लोकतांत्रिकरण हो चुका है. अब आपको आगे बढ़ने के लिए किसी एक विशेष परिवार, किसी खास राजनीतिक पृष्ठभूमि या आर्थिक रूप से समृद्ध होने की भी जरुरत नहीं है. आज का युवा प्रतिभा के दम पर कुछ भी कर सकता है.

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32000 के आंकड़े से भ्रम फैलाया

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म द केरला स्टोरी में 32000 लड़कियों से जबरन इस्लाम धर्म कबूलवाने की बात दिखाई गई है. इस बारे में पूछे जाने पर राहुल ने कहा कि इस फिल्म में कुछ कमियां हैं. समस्या कट्टरपंथी इस्लाम की है. लेकिन हमें इस्लामोफोबिया के बिना इससे लड़ना होगा. फिल्म में लव जिहाद के जरिए जबरन इस्लाम कबूलवाने का 32000 का जो आंकड़ा दिखाया गया है, उसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है. लेकिन वास्तव में इस तरह की तीन घटनाएं हुई थीं. असल में तीन भी नहीं 100 से ज्यादा हुई थी. मुझे लगता है कि इस फिल्म को हमें संतुलित तरीके से देखने की जरुरत है.

फेक और प्रोपेगेंडा फिल्म है द केरला स्टोरी

केरल युवा आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. चिंता जेरोम ने भी फिल्म पर निशाना साधते हुए कहा कि यह पूरी तरह से फेक स्टोरी है. यह प्रोपेगंडा फिल्म है. हमें कोई ना बताए कि केरला स्टोरी क्या है. हम रियल केरला स्टोरी जानते हैं. यह फिल्म राज्य को कमतर करके दिखाती है जबकि केरल वैश्विक पटल पर छाया हुआ है. राज्य ने बाढ़ और कोविड-19 के दौरान जज्बे से काम किया है. 

उन्होंने कहा कि केरल एक सेक्युलर राज्य है लेकिन इस फिल्म के जरिए इसे बदनाम किया गया. यह टर्म खुद में ही बहुत गंभीर है. पहले आप कहते हैं कि 30000 से ज्यादा लड़कियों के साथ लव जिहाद हुआ और उनका जबरन धर्मांतरण किया गया. लेकिन बाद में आप अपनी गलती मान लेते हैं. लेकिन फिल्म को ज्यों की त्यों दिखाई जा रही है.

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जेरोम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी तक इस फिल्म का प्रचार करते हैं. केरल की तुलना सोमालिया से की जाती है. वजह ये है कि दरअसल केरल का विकास मॉडल इनसे पच नहीं रहा. यह फिल्म केरल की धर्मनिरपेक्षता को खत्म करने के इरादे से बनाई गई है. फिल्म एक विशेष समुदाय के खिलाफ है, एक विशेष धर्म के खिलाफ है. उस धर्म के ड्रेस कोड का इस्तेमाल कर नफरत फैलाई जा रही है. इसे हमारा इतिहास और संस्कृति बताई जा रही है जबकि ऐसा नहीं है. 

केरल में लव जिहाद का एक भी केस नहीं

एक्टिविस्ट फातिमा कहती है कि यह फिल्म पूरी तरह से भ्रामक है. क्या केरल की लड़कियों को इतना बेवकूफ समझा है? लव जिहाद की पूरी अवधारणा ही सवालों के घेरे में है. केरल में अब तक एक भी जबरन धर्मांतरण नही हुआ है. देश की संसद और केरल हाईकोर्ट कह चुका है कि राज्य में लव जिहाद का एक भी केस नहीं हुआ. 

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