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चीन बॉर्डर पर हुंकार... लद्दाख में 15 हजार फीट पर सेना के भीष्म टैंक और धनुष तोप तैयार

लद्दाख के न्योमा बॉर्डर पर दुश्मन के छक्के छुड़ानें लिए भारतीय सेना के जवान तैयार हैं. लेह से 200 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख की डेमचौक सरहद पर जवानों को 15 हजार फीट की ऊंचाई पर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है. धनुष तोप, टैंक और नए खास व्हीकल मोर्चे पर लगाए गए हैं. पिछले तीन साल से लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीनी सेना के बीच तनाव का माहौल है.

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लद्दाख की न्योमा सरहद पर भारतीय सेना के जवान मुस्तैदी से डटे हैं.
लद्दाख की न्योमा सरहद पर भारतीय सेना के जवान मुस्तैदी से डटे हैं.

लद्दाख बॉर्डर पर पिछले करीब तीन साल से भारत और चीनी सेना युद्ध के मोर्चे पर तैनात है. लेह से 200 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख की न्योमा सरहद पर भारतीय सेना के जवान, टैंक, तोप और नए वाहन किस भी वक्त दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए तैयार हैं. पहली बार बोफोर्स तोप का स्वदेशी वर्जन धनुष तोप को लद्दाख में चीन सरहद पर 15 हजार फीट पर तैनात किया गया है. साल 2022 में धनुष तोप को लद्दाख सरहद पर तैनात किया गया था. 

धनुष बेहद शक्तिशाली होवित्‍जर है. 2010 में डिजाइन की गई इस तोप को ऐडवांस्‍ड वेपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (पहले ऑर्डनेंस फैक्‍टरी बोर्ड) बनाती है. 13 टन वजनी 'धनुष' का निर्माण 2015 से शुरू हुआ. 155 mm/45-कैलिबर की इस गन को 'मेक इन इंडिया' पहल की सफलता के रूप में देखा जाता है. 'धनुष' को किसी भी मौसम में, कैसे भी हालात में इस्‍तेमाल किया जा सकता है. इसकी विभिन्‍न वर्जन की रेंज 40 किलोमीटर से 60+ किलोमीटर्स तक है.

48 किमी दूर तक टारगेट करेगी धनुष तोप

धनुष एडवांस टावर आर्टिलरी गन 48 किलोमीटर दूर तक बिल्कुट सटीक तरीके से टारगेट हिट कर सकती है. जबकि दूसरी इस तोप के ऑपरेशनल पैरामीटर की बात की जाए तो यह खुद से 25 किलोमीटर प्रति घंटा मूव कर सकती है. यह 52 कैलिबर राउंड्स लेगी, जबकि बोफोर्स की क्षमता 39 कैलिबर की है. चीन से निपटने में तो ये तोपें काफी कारगर साबित हो सकती हैं.

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सेना की ताकत बढ़ा रहे हैं M4 क्विक रिएक्शन व्हीकल

वहीं, डेमचौक में सिंधु नदी के किनारे हजारों मील में फैली घाटी में M4 quick reaction vehicle भारतीय सेना की ताकत को बढ़ा रहे हैं. गलवान की खूनी भिड़ंत के वक्त चीनी सेना अपने वाहनों में तेजी के साथ मौके पर पहुंच गई थी. ऐसे हालात से निपटने के लिए भारतीय सेना को हाल में M4 quick reaction vehicle से लैस किया गया है. इस खास वाहन में आधुनिक हथियारों से लैस 10 जवान तैनात हो सकते हैं. 

सेना

बर्फीले पहाड़ों पर दौड़ेंगे, करेंगे मुकाबला

ये खास वाहन सभी एंटी माइंस होने के साथ ही सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं. M4 quick reaction vehicle ऊंचे बर्फीले पहाड़ों में 70 से 80 किलोमीटर की रफ्तार से दुश्मन का मुकाबला कर सकते हैं. M4 quick reaction vehicle के अलावा लद्दाख सरहद पर दुश्मन से मुकाबले के लिए भारतीय सेना के जवानों को ऑल ट्रेन व्हीकल से भी लैस किया गया है. ऑल ट्रेन वीहिकल ऊंचे बर्फीले पहाड़ों में नदी और पहाड़ को पार करते हुए किसी भी इलाके में दुश्मन का पीछा कर सकते हैं.

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टी-90 भीष्म टैंक दुश्मनों का किला ढहाएंगे

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भारतीय सेना के टी-90 टैंक और बीएमपी की हुंकार भी देखने को मिलेगी. जरूरत पड़ने पर कुछ ही मिनटों में ये टैंक दुश्मन की सरहद में घुसकर उसके ठिकानों को नेस्तनाबूद कर सकते हैं. दुनिया के सबसे अचूक टैंक माने जाने वाले टी-90 भीष्म टैंक को तैनात कर दिया है. टी-90 भीष्म टैंक में मिसाइल हमले को रोकने वाला कवच है. इसमें शक्तिशाली 1000 हॉर्स पावर का इंजन है. यह एक बार में 550 Km की दूरी तय करने में सक्षम है. इसका वजन 48 टन है. यह दुनिया के हल्के टैंकों में एक है. यह दिन और रात में दुश्मन से लड़ने की क्षमता रखता है. ऐसे में भारतीय सेना के टैंकों की गर्जना से दुश्मन के छक्के छूट रहे हैं.

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टी-90 भीष्म टैंक और बीएमपी पहले सिर्फ रेगिस्तान और पानी के इलाकों में ही काम कर सकता था, लेकिन अब ऊंचे पहाड़ी इलाकों सिंधु नदी को पार करके दुश्मन से मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस बीएमपी किसी भी ठिकाने को आसानी से शिकार बना सकता है. सिंधु नदी को पार करके टी-90 भीष्म टैंक और  बीएमपी लगातार दुश्मन के खिलाफ अपनी तैयारियों को चाक चौबंद कर रहे हैं.

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गलवान भिड़ंत के बाद अलर्ट मोड पर भारतीय सेना

लद्दाख में भारतीय सेना के हजारों सैनिक मुश्किल हालात में हर उस पहाड़ी और घाटी में मौजूद हैं, जहां से दुश्मन घुसपैठ कर सकता है. गलवान की खूनी भिड़ंत के बाद अब भारतीय सेना चीन को कोई मौका नहीं देना चाहती. भारतीय सेना स्वदेशी हथियारों के दम पर भविष्य की लड़ाई के लिए खुद को तैयार कर रही है. 

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