विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कहा कि सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया चीन को लेकर अलग-अलग मुद्दों पर बहस कर रही है. यूरोप में भी, प्रमुख आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा बहस का केंद्र बिंदु चीन है. उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका भी चीन को लेकर बेहद गंभीर है और सही भी है.
जयशंकर ने निवेश के मामले पर कहा कि चीन से होने वाले निवेश का बारीकी से जांच करना सामान्य बात है. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और आपसी संबंधों को देखते हुए इसकी जरूरत और ज्यादा बढ़ जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि अगर लोग चीन के साथ व्यापार घाटे की शिकायत कर रहे हैं, तो हम भी कर रहे हैं.
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चीन कई तरह से एक यूनिक समस्या है- जयशंकर
विदेश मंत्री का कहना है, "हम पहले से ही चीनी प्रोडक्शन और उसके द्वारा मिलने वाली स्पेशल सुविधाओं को नजरअंदाज करते आ रहे हैं. चीन कई ऐतबार से एक यूनिक समस्या है, जैसे कि उसकी राजनीति और अर्थव्यवस्था अनोखी है. हम जब तक उसके यूनिकनेस को समझने की कोशिश करेंगे, तब तक हमारी नीति और फैसले गलत हो सकते हैं."
यूरोप-अमेरिकी के लिए भी चीन एक प्रॉब्लम
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "जब हम चीन के साथ व्यापार, निवेश, और अलग-अलग तरह के आदान-प्रदान कर रहे हैं तो हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह देश (चीन) बिल्कुल अलग तरीके से काम करता है. उन्होंने कहा कि चार साल से सीमा पर चली आ रही समस्या के बावजूद अगर देखा जाए तो हम जो सावधानियां बरत रहे हैं, वो सही है. यूरोप और अमेरिका की चीन के साथ सीमा नहीं हैं, लेकिन वे भी ऐसा ही कर रहे हैं.
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'अगर टेलीकॉम ही चीनी तकनीक पर हो तो...?'
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि चीन के साथ निवेश किया जाए या नहीं, बल्कि अहम ये है कि वो निवेश कितना सरक्षित है, और इसे कैसे संभालना चाहिए. जयशंकर ने आगे कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का दायरा अब बहुत बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि अगर आपका टेलीकॉम सिस्टम ही चीनी टेक पर आधारित है तो आप इसे कितना नजरअंदाज करेंगे. उन्होंने कहा कि इन समस्याओं को देखते हुए यह जरूरी हो जाता है कि ऐसे हालात में आप संतुलन बनाए रखें और सटीक और अहम फैसले लिए जाएं.