
दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में रखने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारत में डॉग बाइट्स को लेकर बहस तेज हो गई है. पीटीआई के सोर्स के अनुसार दिल्ली के आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि इस साल अकेले अब तक 26,334 डॉग बाइट के मामले दर्ज किए गए हैं.
जहां एक तरफ कई लोग कोर्ट के इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं, वहीं एनिमल एक्टिविस्ट्स का कहना है कि यह आदेश संवेदनहीन है और सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले की भावना के खिलाफ है. ऐसे में आइए जानते हैं कि दुनिया के अलग-अलग देशों ने कुत्तों के हमले और आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से कैसे निपटा?
यूरोप के इस देश ने एक व्यापक वेलफेयर-फर्स्ट रणनीति अपनाई. पेट स्टोर से पालतू खरीदने पर भारी टैक्स लगाया गया ताकि लोग शेल्टर से गोद लेने को प्रोत्साहित हों. सरकार ने CNVR प्रोग्राम (Collect, Neuter, Vaccinate, Return) शुरू किया, जिसमें आवारा कुत्तों की मुफ्त नसबंदी और टीकाकरण किया जाता है. कड़े एंटी-क्रुएल्टी कानून और भारी जुर्माने लागू किए गए. साथ ही रेस्क्यू और कानून लागू करने के लिए समर्पित एनिमल वेलफेयर यूनिट बनाई गई. देशव्यापी गोद लेने के अभियान और पब्लिक अवेयरनेस से जिम्मेदार पेट ओनरशिप को बढ़ावा दिया गया.

मोरक्को में हर साल करीब 1 लाख लोग कुत्तों के काटने का शिकार होते हैं. 2019 में सरकार ने Trap-Neuter-Vaccinate-Release (TNVR) प्रोग्राम शुरू किया. इसमें आवारा कुत्तों को पकड़कर नसबंदी और रेबीज का टीका लगाया जाता है, फिर उन्हें आईडी टैग के साथ उसी इलाके में छोड़ दिया जाता है ताकि लोग जान सकें कि वे सुरक्षित हैं.

मोरक्को के गृह मंत्री ने आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए 100 मिलियन डॉलर का बजट घोषित किया. इसके तहत 130 कम्यूनल हाइजीन ऑफिस खोले गए, जिनमें 60 डॉक्टर, 260 नर्स, 260 हेल्थ टेक्नीशियन और 130 वेटरिनेरियन नियुक्त किए गए, ताकि 1244 नगरपालिकाओं में शेल्टर मैनेज किए जा सकें.
हालांकि, देश को एक्टिविस्ट्स और एनिमल राइट्स ग्रुप्स की आलोचना झेलनी पड़ी, जिन्होंने आरोप लगाया कि सरकार 2030 FIFA वर्ल्ड कप से पहले गुपचुप तरीके से कुत्तों को मार रही है.
कंबोडिया ने बड़े पैमाने पर डॉग वैक्सीनेशन कैंपेन चलाया, जिसमें सिर्फ दो हफ्तों में 2.2 लाख कुत्तों को रेबीज के टीके लगाए गए. ये पहल बीमारी फैलने से पहले रोकथाम पर केंद्रित थी, न कि हमले के बाद कार्रवाई पर.

भूटान ने Nationwide Accelerated Dog Population Management and Rabies Control Programme (NADPM & RCP) के तहत 100% फ्री-रोमिंग डॉग पॉपुलेशन की नसबंदी कर दी. World Organisation for Animal Health के श्रोत से मिली जानकारीा के अनुसार ये उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया. मार्च 2022 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट अक्टूबर 2023 में पूरा हुआ, जिसकी लागत $3.55 मिलियन रही. तीन चरणों में चले इस अभियान में 12,812 लोग शामिल थे, जिनमें वेटरिनेरियन भी थे. 217 क्लीनिक से ऑपरेशन करते हुए कुल 61,680 कुत्तों की नसबंदी की गई, जिनमें से 91% आवारा थे.

तुर्की और पाकिस्तान
तुर्की में कानून के तहत लाखों आवारा कुत्तों को हटाने, शेल्टर में रखने, टीकाकरण, नसबंदी और गोद लेने के लिए देने का प्रावधान है. सिर्फ बीमार या खतरनाक जानवरों को ही मारने की अनुमति है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मार्च 2025 में कुत्तों के हमलों में बढ़ोतरी के बाद सिर्फ दो हफ्तों में 1,000 आवारा कुत्तों को मार दिया गया.
WHO क्या कहता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, रेबीज हर साल 150 से ज्यादा देशों में करीब 59,000 लोगों की जान लेता है. इनमें ज्यादातर मौतें अफ्रीका और एशिया में होती हैं. भारत में हर साल 18,000 से 20,000 लोग रेबीज से मरते हैं. इनमें से 30-60% मामले 15 साल से कम उम्र के बच्चों के होते हैं. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि 9% से ज्यादा मानवीय रेबीज मौतें कुत्तों के काटने से होती हैं.