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गुजरात में कम वोटिंग ने किसका खेल बिगाड़ दिया?: दिन भर, 1 दिसंबर

गुजरात में कम वोटिंग ने किसका बिगाड़ा खेल, G20 प्रेसिडेंसी के दौरान भारत के लिए क्या होगी चुनौती, सरकारी वेबसाइट्स क्यों आसानी से हैक कर लिए जाते हैं और वर्ल्ड AIDS Day पर सुनिए कुछ काम की बात, 'दिन भर' में.

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गुजराती वोटर्स में उदासी क्यों
गुजराती वोटर्स में उदासी क्यों

गुजराती वोटर्स में उदासी क्यों

 

आसमान में नाचते हवाई जहाज, नेताओं की भरमार, रंग बिरंगे झंडे और लाउडस्पीकर का शोर, सब की ख़्वाहिश इतनी कि हमारी सुन ली जाए, बटन उन्हीं के नाम की दबा दी जाए. 19 जिलों में फैले राज्य की 89 सीटों को अगले पांच बरस कौन रिप्रजेंट करेग, गुजरात के लोगों ने आज ये तय कर दिया. पिछले चुनाव में इन 89 सीटों में बीजेपी 48, कांग्रेस 38, एक एनसीपी और दो बीटीपी विजयी रही थी.  

आज एक ओर पहले चरण की इधर वोटिंग हो रही थी, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री केजरीवाल और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे दूसरे चरण के लिए प्रचार में जुटे थे. कहा जा रहा है कि पहले चरण में ट्राइबल एरियाज में अधिक वोटिंग हुई, वहीं शहरों में मत प्रतिशत कम है, इसके इशारे क्या हैं और आज वोटिंग के दिन तक क्या मुद्दे वही रहें जहां से प्रचार की शुरुआत हुई थी या आज कहानी कुछ और थी? 'दिन भर' में गुजरात के सीनियर जर्नलिस्ट अजय उमट से सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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G20 की सरदारी में समस्या क्या है?

भारत आज से जी 20 देशों के समूह का अध्यक्ष है. आज से एक साल और अगला जी 20 समिट होने तक भारत इस समूह की अध्यक्षता करेगा. अब इस ग्रुप में देश कौन कौन से हैं वो भी जान लीजिए. भारत समेत अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका- ये देश इसमें शामिल हैं. जी 20 की अहमियत आप ऐसे समझ सकते हैं कि इसमें शामिल देशों की जीडीपी दुनिया की जीडीपी का अस्सी परसेंट है. 

इसमें शामिल देशों की आबादी दुनिया की आबादी का 65 परसेंट है और ग्लोबल ट्रेड में भी 60 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं देशों का है. भारत के अध्यक्षता सम्हालने से एक दिन पहले प्रधानमंत्री ने जी 20 पर एक लेख भी लिखा. उन्होंने कहा कि ये हमारे लिए एक बेहतरीन मौका है कि हम दुनिया के सामने एक बेहतरीन उदाहरण रख सकें. भारत ने ऐसे समय में ये अध्यक्षता सम्हाली है जब रूस यूक्रेन युद्ध के बाद पूरी दुनिया दो फाड़ हुई है. हालांकि भारत ने अब तक अपना रुख तटस्थ रखा है. हाल ही में इंडोनेशिया के बाली में इस साल की जी 20 समिट हुई थी जिसके बाद भारत को अध्यक्षता सौंपी गई थी. इस एक साल के दौरान जी 20 का एजेंडा क्या होने जा रहा है और भारत अपनी अध्यक्षता में किन मुद्दों पर फोकस करेगा? भारत में इसे एक उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है, जो एक तरह से है भी लेकिन क्या ये राह इतनी आसान होगी, चैलेंजेज क्या होंगे भारत के सामने? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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सरकारी वेबसाइट्स क्यों सुरक्षित नहीं

अटैक अब महज़ गोले, बन्दूक और शब्दों के ही सहारे नहीं हो रहें. साइबर अटैक ऐसी बला है, जहां बग़ैर फिजिकल मौजूदगी के पूरा का पूरा सिस्टम ठप पड़ जाता है. एम्स दिल्ली के सर्वर पर हुए साइबर अटैक के बाद आज भारत सरकार की एक और मिनिस्ट्री का ट्विटर हैंडल हैक हो गया. हैकर्स ने सुबह केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय का ट्विटर हैंडल हैक कर लिया. हालांकि, बाद में ठीक कर लिया गया. सिक्योरिटी एजेंसी और साइबर एक्सपर्ट इस मामले की जांच में जुट गए हैं. ये जो 10 दिन के भीतर सरकारी सिस्टम पर हमला है, क्या ये रैंडम किसी शख़्स का लगता है या इसमें किसी ग्रुप की भूमिका समझ में आती है? अगर ये हैकिंग भारत के बाहर से हुई है, तो क्या हमारे पास पुख़्ता व्यवस्था है सोर्स पता करने का और क्या कोई साईट सुरक्षित नहीं? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

AIDS लाइलाज नहीं!

आज तारीख है एक दिसंबर और आज मनाया जाता है वर्ल्ड एड्स डे... साल 1988 से यूनाइटेड नेशंस के सभी सदस्य देशों में वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है. इसका मकसद है दुनियाभर में एड्स को लेकर जागरुकता फैलाना. बीते कुछ आठ-दस सालों में एड्स को लेकर दुनिया के नज़रिए में बदलाव आया है, जागरुकता को लेकर भी फर्क साफ नज़र आता है लेकिन फिर भी ये दुनियाभर के लिए एक चुनौती तो है ही. वल्ड़ हेल्थ ओर्गनाजेशन के मुताबिक साल 2021 के आखिर तक दुनिया भर में 3 करोड, 84 लाख लोग इस वायरस से संक्रमित थे और एड्स की चपेट में आकर साढे 6 लाख लोगों ने अपनी जान गवाईं थी। भारत में एड्स का पहला मामला साल 1986 में चेन्नई की छ फीमेल सेक्स वर्कर्स में सामना आया था जिसे डायगनोज़ किया था डॉ सेल्लप्पन निर्मला और उनके स्टूडेंट्स ने. तब से लेकर आज की तारीख तक एड्स के मामले भारत में बढ़ते हुए पचास लाख की तादाद क्रास कर गए हैं. 

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नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन के आंकडों के मुताबिक पिछले 10 साल में भारत में 17 लाख से ज्यादा लोग HIV की चपेट में आए हैं। और इनमें से 15 हजार से ज्यादा लोग इस बीमारी की चपेट में संक्रमित खून की वजह से आए हैं और 4 हजार से ज्यादा बच्चे माँ के जरिए संक्रमित हुए है. फिक्र की बात ये है कि  विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एड्स को लेकर चेताया है कि कोरोना के वजह से एचआईवी एड्स की रोकथाम के काम पर पिछले कुछ सालों में असर पड़ा है जिसकी वजह से अगले दस सालों में एड्स की वजह से होने वाली मौतों का आंक़ड़ा अंदाज़न 77 लाख तक पहुंच सकता है. तो क्या वजह है कि एड्स के खिलाफ तमाम सरकारी और ग़ैर सरकारी मुहिमों के बावजूद इस पर काबू नहीं पाया जा सका है, इसके और कौन से दूसरे पहलू हैं.. हालांकि ये भी सच है कि पिछले कुछ दशकों में इसे लेकर लोगों में एक जागरुकता तो आई है, जो एक पॉज़िटिव बात है... एक वक्त था जब ये पूरी तरह से लाइलाज माना जाता था... मौजूदा वक्त में मेडिकल साइंस एड्स को लेकर कहां तक पहुंची है?  'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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