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नोएडा में घर खरीदने वालों के लिए अच्छी खबर, सस्ता हो सकता है रजिस्ट्री का खर्च

दिल्ली NCR के नोएडा में फ्लैट खरीदने के लिए एक अच्छी खबर आई है. नोएडा विकास प्रधिकरण क्षेत्र में लोगों को फ्लैट खरीदने के लिए अब सिर्फ कारपेट एरिया की ही रजिस्ट्री करानी होगी. नोएडा प्रधिकरण ने इस प्रस्ताव को DM को भेजा है, उम्मीद है कि इस पर जल्द ही फैसला लिया जाएगा.

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Flats in Noida
Flats in Noida
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नोएडा में घर खरीदना हुआ आसान
  • सिर्फ कारपेट एरिया का करना होगा रजिस्ट्रेशन?

दिल्ली NCR के नोएडा में फ्लैट खरीदने के लिए एक अच्छी खबर आई है. नोएडा विकास प्रधिकरण क्षेत्र में लोगों को फ्लैट खरीदने के लिए अब सिर्फ कारपेट एरिया की ही रजिस्ट्री करानी होगी. नोएडा प्रधिकरण ने इस प्रस्ताव को DM को भेजा है, उम्मीद है कि इस पर जल्द ही फैसला लिया जाएगा.

क्या होता है घर का कारपेट एरिया?

कारपेट एरिया वो होता है, जो घर के अंदर का भाग हो. यही एरिया अपार्टमेंट में इस्तेमाल होने वाला असली क्षेत्र होता है. इसमें दीवार की मोटाई, बालकनी या फिर घर का छत शामिल नहीं होती. यानी DM का फैसला आने के बाद नोएडा में घर खरीदने वालों को बड़ा फायदा होने वाला है. अभी तक बिल्डर लॉबी और सीढ़ियों को भी रजिस्ट्री के एरिया में शामिल करते थे. अब तक सुपर एरिया (कवर्ड एरिया) के हिसाब से रजिस्ट्री की जाती थी, जो इस फैसले के बाद नहीं होगा. नोएडा प्रधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने कारपेट एरिया पर रजिस्ट्री कराने के आदेश रेरा के निर्देश के बाद दिए हैं.

गौरतलब है कि यूपी रेरा 2016 के तहत ये आदेश जारी किया गया है. इस संबंध में नोएडा प्राधिकारण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि भविष्य में कारपेट एरिया के आधार पर अपार्टमेंट को लीज पर देने के लिए प्रशासन स्तर से आवश्यक कार्रवाई की जाए.

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इसके संबंध में नोएडा प्राधिकरण की तरफ से पत्र के माध्यम से जिलाधिकारी को बताया गया है कि रेरा अधिनियम के तहत प्रोमोटर और आवंटी के बीच होने वाले एग्रीमेंट फॉर सेल या लीज डीड का प्रारूप निर्धारित किया गया है. इस पत्र में लिखा गया है कि अपार्टमेंट का कुल मूल्य कारपेट एरिया के आधार पर निर्धारित किया जाएगा और साथ यह भी लिखा है कि प्रोमोटर पूरे घर को बनाकर कंप्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद घर लेने वाले को कारपेट एरिया कंफर्म करेगा.

रेरा क्या है?

रीयल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलप्मेंट एक्ट (रेरा) 2016 एक कानून है, जिसे भारतीय संसद ने पास किया था. रेरा का मकसद रियल सेक्टर में ग्राहकों का निवेश बढ़ाना और उनके हितों की रक्षा करना है. ये पूरी तरह से 1 मई 2016 से लागू हुआ. दरअसल, रेरा को बिल्डरों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए लागू किया गया है.

अब देश के सभी राज्यों में घर-मकान बनाने वाले बिल्डर रेरा के अधीन आते हैं. इसके जरिए प्रॉपर्टी खरीदारों को नई ताकत दी गई है, जो अकसर बिल्डरों की धोखाधड़ी और मनमानी का शिकार हो जाते हैं. यानी कोई यदि बिल्डर किसी ग्राहक के साथ मनमानी करता है या समय पर उन्हें उनका घर तैयार करके नहीं देता है तो उसे रेरा एक्ट के तहत जुर्माने के साथ-साथ सजा भी भुगतनी पड़ती है.

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कोर्ट के मुताबिक जो प्रोजेक्ट रेरा लागू होने से पहले शुरू किए गए थे, अब वे भी इस कानून के अधीन आएंगे. इसका साफ मतलब है कि अगर आपने रेरा लागू होने से पहले किसी प्रोजेक्ट में पैसा लगाया था और अभी तक वह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया है तो आप रेरा एक्ट के तहत बिल्डर के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं. ये कानून देश के सभी राज्यों में काम करता है.

 

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