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'14 घंटे काम के बाद बस ₹700 मिलते हैं...', लाख दुखों के बावजूद स्ट्राइक छोड़ काम पर डिलीवरी बॉयज

एक ओर गिग वर्कर्स यूनियन ने लाखों डिलीवरी पार्टनर्स के राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होने का दावा किया, वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में डिलीवरी एजेंट्स मजबूरी में काम करते दिखाई दिए. दिल्ली, मुंबई के अंधेरी, चेन्नई और उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़ जैसे शहरों से सामने आए दृश्यों में डिलीवरी बॉयज बाइक पर ऑर्डर उठाते और ग्राहकों तक पहुंचाते नजर आए.

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नए साल की पूर्व संध्या पर देशभर में गिग वर्कर्स की हड़ताल की घोषणा के बीच जमीनी तस्वीर अलग नजर आई. (Photo- Representational)
नए साल की पूर्व संध्या पर देशभर में गिग वर्कर्स की हड़ताल की घोषणा के बीच जमीनी तस्वीर अलग नजर आई. (Photo- Representational)

"शुरुआत में रेट कार्ड ठीक था, अब सब बदल गया है. 14-14 घंटे सड़क पर बाइक दौड़ाने के बाद हाथ में सिर्फ 700-800 रुपये आते हैं. ऊपर से एक्सीडेंट हो जाए तो इंश्योरेंस के नाम पर सिर्फ टालमटोल मिलती है." दिल्ली की कड़कड़ाती ठंड में खड़े एक डिलीवरी बॉय का यह दर्द उन लाखों गिग वर्कर्स की हकीकत है, जिन्होंने आज 'न्यू ईयर ईव' पर देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था.

हालांकि नए साल की पूर्व संध्या पर देशभर में गिग वर्कर्स की हड़ताल की घोषणा के बीच जमीनी तस्वीर अलग नजर आई. एक ओर गिग वर्कर्स यूनियनों ने लाखों डिलीवरी पार्टनर्स के राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होने का दावा किया, वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में डिलीवरी एजेंट्स मजबूरी में काम करते दिखाई दिए. महंगाई, किराया, परिवार की जिम्मेदारियां और रोजी-रोटी की मजबूरी ने कई गिग वर्कर्स को हड़ताल से दूर रखा.

दिल्ली, मुंबई के अंधेरी, चेन्नई और उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़ जैसे शहरों से सामने आए दृश्यों में डिलीवरी बॉयज बाइक पर ऑर्डर उठाते और ग्राहकों तक पहुंचाते नजर आए. अंधेरी (वीरा देसाई रोड) में ब्लिंकिट के गिग वर्कर्स ऑर्डर का इंतजार करते दिखे, जबकि दिल्ली में भी कइयों ने हड़ताल के बावजूद लॉग-इन रहना बेहतर समझा.

'हमें इंश्योरेंस क्लेम भी नहीं मिलता'

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दिल्ली में एक फूड डिलीवरी बॉय ने बताया, "शुरू में रेट कार्ड ठीक था, लेकिन अब उन्होंने (कंपनी) इसे बदल दिया है, जिससे सभी राइडर्स को दिक्कतें और परेशानियां हो रही हैं. हमें इंश्योरेंस क्लेम भी नहीं मिलता. हाल ही में बाराखंभा में एक राइडर का एक्सीडेंट हो गया था और उसे कोई क्लेम नहीं मिला. हमारे टीम लीडर और कंपनी के सीनियर अधिकारियों ने उसे एक PDF बनाने को कहा, जिसे वे बैंगलोर भेजेंगे. वहां से कोई जवाब नहीं आया. हम सबने मिलकर उस राइडर की मदद के लिए 1000-2000 रुपये दिए. अब वह लड़का रात में भी काम कर रहा है, रात 1 या 2 बजे भी ऑर्डर ले रहा है."

डिलीवरी बॉय ने आरोप लगाते हुए कहा कि टीम लीडर कभी फोन नहीं उठाते. 20 या 25 कॉल के बाद TL अकड़ के साथ जवाब देता है. और अगर आप उससे थोड़ी भी बहस करते हैं तो वह आपकी ID ब्लॉक कर देता है. 14 घंटे काम करने के बाद हमें सिर्फ 700-800 रुपये मिल रहे हैं. आज पूरे दिल्ली में हम लोग हड़ताल पर हैं.

'10 मिनट डिलीवरी का मॉडल बेहद खतरनाक'

चेन्नई में फुल-टाइम गिग वर्कर के रूप में काम करने वाले श्रीधर बताते हैं कि ऑर्डर्स की संख्या अच्छी होने पर वे दिन भर में लगभग 2000 रुपये कमा लेते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें भारी जोखिम उठाना पड़ता है. श्रीधर का मानना है कि '10 मिनट डिलीवरी' का मॉडल बेहद खतरनाक है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए, क्योंकि ग्राहकों के दबाव और समय की पाबंदी के कारण सड़क पर एक्सीडेंट का खतरा काफी बढ़ जाता है. हालांकि, आज नए साल का मौका है और कमाई अच्छी होने की उम्मीद है, इसलिए तमाम रिस्क के बावजूद वे काम कर रहे हैं.

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इसी तरह चेन्नई के एक अन्य डिलीवरी पार्टनर कुमार ने बताया कि वह 14 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद दिन भर में 2000 से 3000 रुपये तक कमा पाते हैं. लेकिन महंगाई के इस दौर में यह रकम भी उन्हें कम लगती है, क्योंकि इसी पैसे से उन्हें शहर में कमरे का किराया देना होता है, खाने का खर्च उठाना पड़ता है और फिर पीछे गांव में परिवार को भी पैसे भेजने होते हैं. हालांकि, वे इंश्योरेंस के प्रावधान (5 लाख तक का कवर) को एक राहत मानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि इसे प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत जटिल और समय लेने वाली है.

'हड़ताल से हमें ही नुकसान है'

वहीं यूपी के अलीगढ़ में जोमैटो, स्विगी और ब्लिंकिट के लिए काम कर रहे गिग वर्कर्स ने साफ कहा कि वे किसी भी हड़ताल का हिस्सा नहीं हैं. उनका कहना है कि हड़ताल की खबरों के कारण ऑर्डर कम हो गए हैं, जिससे उन्हें सीधा नुकसान हो रहा है. एक डिलीवरी बॉय ने कहा, “अगर ऑर्डर नहीं आएंगे तो हमारा घर कैसे चलेगा? हड़ताल से हमें ही नुकसान है.”

जोमैटो-स्विगी ने की अतिरिक्त इंसेंटिव की घोषणा

उधर, गिग वर्कर्स यूनियनों का दावा है कि प्लेटफॉर्म कंपनियां गिरती आमदनी, असुरक्षित डिलीवरी दबाव और काम के घंटों पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहीं. इसी दबाव में जोमैटो और स्विगी ने न्यू ईयर ईव पर प्रति ऑर्डर ज्यादा भुगतान और पीक आवर्स में अतिरिक्त इंसेंटिव की घोषणा की है. कंपनियों ने 31 दिसंबर की शाम 6 बजे से रात 12 बजे के बीच प्रति ऑर्डर 120 से 150 रुपये तक के भुगतान का वादा किया है. स्विगी ने तो 31 दिसंबर और 1 जनवरी के बीच 10,000 रुपये तक की कमाई का विज्ञापन दिया है. कंपनियों का कहना है कि यह उनका 'स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल' है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह हड़ताल रोकने की एक सोची-समझी रणनीति है.

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