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बॉर्डर से लेकर बोर्डरूम तक... महिलाएं नए सिरे से लिख रहीं भारत के नेतृत्व की कहानी

महिलाओं के प्रतिनिधित्व में यह बढ़ोतरी उनकी दृढ़ता और सरकार की नीतियों में बदलाव का परिचय देता. ऑपरेशन सिंदूर के प्रवक्ता के रूप में दो महिला रक्षा अधिकारियों की मौजूदगी दिखाती है कि हमने जेंडर इक्वलिटी के मोर्चे पर हम सही दिशा में हैं और बहुत तरक्की की है.

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भारत में महिलाएं बिजनेस सेक्टर में लीडरशिप रोल निभा रही हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
भारत में महिलाएं बिजनेस सेक्टर में लीडरशिप रोल निभा रही हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

ऑपरेशन सिंदूर पर भारतीय सशस्त्र बलों की मीडिया ब्रीफिंग के दौरान दो चेहरे उभरकर सामने आए: कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह. दोनों ने पूरे जज्बे के साथ कमान संभाली, लाजवाब धैर्य और साहस का परिचय दिया. युद्ध के मैदान से लेकर बोर्डरूम तक, भारतीय महिलाएं कमान संभाल रही हैं और यह बदलाव रातों-रात नहीं हुआ.

इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट ने सेना में महिलाओं की संख्या का विश्लेषण किया और पाया कि इसमें लगातार बदलाव हो रहा है. भारत भर में पुलिस बलों में महिलाओं की संख्या कुल कर्मियों में लगभग 10 प्रतिशत है. पिछले दशकों से सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन अब भी उनका प्रतिनिधित्व उतना नहीं है, जितना होना चाहिए.

विभिन्न राज्यों की सिविल पुलिस में महिला कर्मियों की संख्या अधिक है (15 प्रतिशत), जबकि नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (NSG) जैसी स्पेशल यूनिट में उनकी संख्या बहुत कम है (0.7 प्रतिशत).

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Women in Defense

भारतीय सेना में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 2020 में 3.8 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 4.1 प्रतिशत हो गया. वायु सेना में यह लगभग 13.4 प्रतिशत पर बना हुआ है, जबकि नौसेना में यह 5.5 प्रतिशत से बढ़कर 6.8 प्रतिशत हो गया है.

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स्टार्ट-अप के क्षेत्र में महिला प्रतिनिधित्व

महिलाएं बिजनेस के क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभा रही हैं तथा स्टार्टअप्स में उन पदों पर लगातार अपनी छाप छोड़ रही हैं, जहां कभी पुरुषों का वर्चस्व था. उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त ऐसे स्टार्टअप्स की संख्या 2017 में सिर्फ 36 प्रतिशत थी, जिनमें कम से कम एक महिला डायरेक्टर पद पर थी. यह संख्या 2024 में बढ़कर 51 प्रतिशत हो गई है. महाराष्ट्र (14,284 स्टार्टअप), दिल्ली (8,012 स्टार्टअप) और कर्नाटक (8,000 स्टार्टअप) जैसे राज्य महिलाओं के नेतृत्व वाले एन्त्रप्रेन्योरशिप के केंद्र के रूप में उभरे हैं.

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Women in Corporate

यह बदलाव मैनेजर लेवल के पदों पर भी दिखाई देता है. पिछले दशक में लीडरशिप रोल में पुरुषों का बड़ा हिस्सा रहा है, लेकिन महिलाओं की मौजूदगी लगातार बढ़ रही है. 2017 से 2025 तक बोर्डरूम में महिलाओं की संख्या दोगुनी होकर 4.5 लाख से 9.1 लाख हो गई और सीनियर लेवल मैनेजमेंट में उनका प्रतिनिधित्व 23,685 से बढ़कर 38,745 हो गया है. इसी प्रकार, अन्य मैनेजरियल रोल में भी महिलाओं की संख्या 2025 में 4.3 लाख से बढ़कर 8.8 लाख हो गई. हालांकि, सभी भूमिकाओं में महिलाओं की कुल हिस्सेदारी में मामूली वृद्धि ही हुई है.

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न्याय व्यवस्था के क्षेत्र में कहां हैं महिलाएं?

न्याय व्यवस्था में महिलाओं का प्रतिनिधित्व होना बहुत ज़रूरी है. आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 तक भारत में सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों के लिए स्वीकृत कुल (1,122) न्यायिक पदों में से, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में क्रमशः केवल 6 प्रतिशत (2) और 14 प्रतिशत (106) पद महिलाओं के पास हैं. हालांकि, सिविल सेवाओं में लगभग हर चौथा चयनित उम्मीदवार एक महिला है. 2021 के आंकड़ों के अनुसार विभिन्न सिविल सेवाओं में चयनित उम्मीदवारों में 27 प्रतिशत महिलाएं थीं. एक दशक पहले की संख्या की तुलना में यह काफी उछाल है, जब यह सिर्फ 21 प्रतिशत था.

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ये आंकड़े सिर्फ भागीदारी की कहानी नहीं बल्कि दृढ़ता की कहानी भी बताते हैं. महिलाओं के प्रतिनिधित्व में यह बढ़ोतरी उनकी दृढ़ता और सरकार की नीतियों में बदलाव का परिचय देता. ऑपरेशन सिंदूर के प्रवक्ता के रूप में दो महिला रक्षा अधिकारियों की मौजूदगी दिखाती है कि हमने जेंडर इक्वलिटी के मोर्चे पर हम सही दिशा में हैं और बहुत तरक्की की है.

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