पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का गुरुवार की रात नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आखिरी सांस ली. देश में आर्थिक उदारीकरण का जनक माने जाने वाले पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को सूचना का अधिकार कानून से लेकर मनरेगा और फूड सिक्योरिटी बिल तक, कई उपलब्धियों के लिए याद किया जाता है. रिफॉर्म्स के लिए देश की सियासत में अलग पहचान रखने वाले डॉक्टर सिंह के नाम आजादी के बाद से अब तक के इतिहास में एक अनोखा रिकॉर्ड भी दर्ज है.
डॉक्टर मनमोहन सिंह देश के इकलौते ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो कभी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे. डॉक्टर मनमोहन सिंह वित्त मंत्री बनने से लेकर प्रधानमंत्री पद तक के सफर में राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंचते रहे. वह छह बार राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. डॉक्टर सिंह को जब पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया था, तब वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे. वित्त मंत्री बनाए जाने के बाद 1991 में वह कांग्रेस के टिकट पर असम से पहली बार राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे.
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डॉक्टर सिंह लगातार पांच बार असम से राज्यसभा सांसद रहे और छठी बार वह राजस्थान से उच्च सदन में पहुंचे थे. 19 अगस्त 2019 से लेकर 3 अप्रैल 2024 तक राजस्थान से राज्यसभा सदस्य रहे. बतौर सांसद मनमोहन सिंह ने आखिरी बार राज्यसभा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया था. अपने राजनीतिक जीवन में डॉक्टर सिंह ने केवल एक बार 1999 में लोकसभा चुनाव लड़ा था. दिल्ली साउथ सीट से डॉक्टर सिंह बीजेपी के विजय कुमार मल्होत्रा के खिलाफ करीब 30 हजार वोट से चुनाव हार गए थे.
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राज्यसभा सदस्य रहते पीएम बनने वाले चौथे नेता
आजाद भारत के इतिहास में अब तक चार प्रधानमंत्री ऐसे हुए हैं जो राज्यसभा का सदस्य रहते हुए पद पर पहुंचे. डॉक्टर मनमोहन सिंह राज्यसभा सदस्य रहते प्रधानमंत्री बनने वाले चौथे नेता हैं. उनके नाम राज्यसभा सदस्य रहते सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने का रिकॉर्ड भी दर्ज है. डॉक्टर सिंह 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे और इस दौरान वह राज्यसभा सांसद ही रहे.
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डॉक्टर सिंह के पहले इंदिरा गांधी, एचडी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल का नाम भी ऐसे प्रधानमंत्रियों की लिस्ट में दर्ज है जो राज्यसभा सदस्य रहते प्रधानमंत्री बने. ये तीनों ही नेता पीएम बनने से पहले या पीएम बनने के बाद, कभी ना कभी लोकसभा के सदस्य जरूर रहे हैं.