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NCERT की किताब में सरकार क्यों कर रही बदलाव? शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने खास बातचीत में दिया जवाब

केंद्र की मोदी सरकार ने एनसीईआरटी की किताबों में इतिहास से जुड़े कुछ मूल बदलाव किए हैं. इन्हीं को लेकर आजतक ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से खास बातचीत की और किताबों में किए गए बदलावों पर विस्तृत चर्चा की. शिक्षा मंत्री ने कहा कि एक परिवार और एक समूह ने अपनी सुविधानुसार चीजों को दिखाने का षडयंत्र रचा. इसकी शुरुआत सबसे पहले लॉर्ड मेकॉले से हुई.

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केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आजतक से खास बातचीत की (फोटो- ITG)
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आजतक से खास बातचीत की (फोटो- ITG)

इतिहास कैसे लिखा जाता है, इतिहास कैसे पढ़ा जाता है, हमारी भावी पीढ़ी कौन-सा इतिहास जानेगी, ये तय होता है हमारी किताबों से. केंद्र की मोदी सरकार ने एनसीईआरटी की किताबों में इतिहास से जुड़े कुछ मूल बदलाव किए हैं. इन्हीं को लेकर आजतक ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से खास बातचीत की और किताबों में किए गए बदलावों पर विस्तृत चर्चा की.

दरअसल, विपक्षी नेताओं द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार हिंदू मुस्लिम पॉलिटिक्स करने के लिए और अपनी हिंदू विचारधारा को आगे ले जाने के लिए अभी तक किताबों में पढ़ाया गया 'अकबर द ग्रेट' जैसे चैप्टर्स में बदलाव किया गया है. इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि एक परिवार और एक समूह ने अपनी सुविधानुसार चीजों को दिखाने का षडयंत्र रचा. इसकी शुरुआत सबसे पहले लॉर्ड मेकॉले से हुई.

उन्होंने कहा कि भारत को लंबे समय तक अपनी गुलामी में रखने के लिए उन्होंने 1835 में ब्रिटिश पार्लियामेंट में कहा कि भारत को अगर लंबे समय तक गुलामी में रखना है तो भारत की शिक्षा प्रणाली को तहस नहस करना पड़ेगा. भारत के इतिहास को भुलाना पड़ेगा. इतिहास दर्पण होता है भविष्य का रास्ता निकालने के लिए. एनसीईआरटी ने इस बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नई किताब पब्लिकेशन में जो बदलाव किया है, उसमें बताएं कि कौन सा विषय है जो ऐतिहासिक तथ्य से परे है.

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चीजों को सिर्फ एक एंगल से नहीं देखें: प्रधान

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि क्या इस देश में हम लोगों को सिर्फ एक एंगल से दिखना चाहिए? भारत में अनेक सुरवीर हैं. क्या सुहेल देव जी (राजा) के बारे में भारत की शिक्षा प्रणाली में पढ़ाया जाता था? क्या बालक बाजी राउत की शहादत के बारे में पढ़ाया जाता था? क्या गुरुपुत्र दोनों साहबजादे के बारे में भारत की शिक्षा में पढ़ाया जाता था? ये कोई दृष्टिकोण है? ये कोई दृष्टिकोण नहीं ये तो भारतीयता ही है. जिन लोगों ने अभी तक भारत की शिक्षा प्रणाली को जंजीरों में जकड़ के रखा था, अभी हमको सौभाग्य मिल रहा है उसको अनुमंडल करने के लिए. हम रेखा सीमित नहीं करते हैं. हम बड़ी लकीर खीचते हैं रेखा को बड़ा बनाते है. ये बीजेपी संघ की विचारधारा नहीं ये देश का इतिहास है. वो कह रहे हैं की आपका सोर्स क्या है हम बड़ी लकीर खीचते हैं रेखा को बड़ा बनाते है.

यहां देखें पूरा इंटरव्यू-

इतिहास में बदलाव का सोर्स क्या है?

जब आप अकबर के लिए कहते है कि उसने विक्ट्री संदेश में कि हमने काफिरों को उनके अंजाम तक पहुंचाया, इतने हज़ार लोगों का नरसंहार किया. आपका सोर्स क्या है? इसके जवाब में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि क्या काशी विश्वनाथ जी को तबाह करने के लिए कोई मुगल शासक ने ऑर्डर नहीं निकाला था? क्या उनकी प्रणाली में मूल भारतीयों के ऊपर उत्पीड़न नहीं हुए थे? ये सब ऐतिहासिक प्रमाण हैं, तथ्य ही हैं लेकिन अगर उनको (विपक्ष) अपना काला चश्मा पहनना ही पसंद है तो हम क्या कर पाएंगे. ये ऐतिहासिक तथ्य आधारित है, ये प्रमाण आधारित है. ये भारत की आत्मा से जुड़े हुए विषय हैं. इस विषय को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. इसीलिए एनसीईआरटी को मैं बधाई देता हूं कि वह इस समय में 21वीं सदी में कम से कम भारत की नई पीढ़ी को अपने दायित्व बोध से जोड़ने के लिए अपने विरासत को समझने के लिए और भविष्य की आवश्यकता को पूरा करने के लिए सही काम कर रहा है.

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धर्मेंद्र प्रधान भी बतौर शिक्षा मंत्री मानते हैं कि अकबर एक क्रूर शासक थे? इस पर बीजेपी नेता ने कहा कि ये इतिहास के तथ्य हैं. ये मैं इतिहास का पाठक हूं, मैं इतिहास का अनुयायी हूं. सत्य को आप अस्वीकार नहीं कर सकते.

ओवैसी के दावे पर शिक्षा मंत्री ने दिया ये जवाब

ओवैसी के मुगलों द्वारा बनाई गई ऐतिहासिक इमारतों वाले दावे पर प्रधान ने कहा कि हमने तो अपना ही पक्ष रखा है, भारत का पक्ष रखा है. पिछले एक हज़ार साल से, 1940 से पहले भारत लंबे समय गुलामी के अंदर रहा. विभिन्न कालखंड में गुलामी में रहा है. हमने कई चीज पाई हैं और कई चीजेंखोई हैं. भारत जड़ से जुड़ी हुई सभ्यता होने के कारण, कितना भी आक्रमण हो, कितना भी शोषण हुआ हो, तब भी भारत की हस्ती मिटी नहीं. हमारी विरासत, हमारी सभ्यता मिट ही नहीं सकती है. लेकिन इस कालखंड में जो जो आए, हमने सबको स्वीकार किया, हमने सबको एकोमोडेट किया. भारत की ज्ञान परंपरा दुनिया तक हमने ही पहुंचाया, इसलिए हमें कोई विद्वेष किसी के ऊपर नहीं है. हम किसी चीज़ को भुलाना नहीं चाहते है, किसी को अनदेखा नहीं करना चाहते लेकिन हम सत्य को स्थापित करना चाहते हैं.

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क्या केंद्र सरकार एनसीईआरटी की किताब में अपनी वाह वाही के लिए ऑपरेशन सिंदूर का चैप्टर शामिल करना चाहती है? इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि कुछ लोग विचित्र प्रकार की आत्म विस्मृति की स्थिति में जा चुके हैं. प्रधानमंत्री जी ने भी कल कहा कि मैं भारत का पक्ष रखने आया हूं. भारत का पक्ष क्या है? ये जो भारत की सेना का गौरव है, उन्होंने जो पराकाष्ठा दिखाई है, क्या ये हम सभी के मन में एक प्रेरणा देने लायक विषय नहीं है? कांग्रेस पार्टी दिवालिया हो चुकी है. उनका एक ही लक्ष्य कि एक परिवार का कैसे हम महिमा मंडन करें, उनको कैसे सुरक्षित करें, उनकी वाहवाही करें, उस मानसिकता से आज बाहर आकर देश गौरवान्वित हो रहा है.

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