मशहूर अर्थशास्त्री डॉ. अजीत रानाडे को शनिवार को पुणे के 'गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स' (GIPE) के कुलपति पद से हटा दिया गया है. संस्थान के अनुसार रानाडे की नियुक्ति विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानदंडों का उल्लंघन करती है. बता दें कि GIPE ने रानाडे की नियुक्ति पर सवाल उठने के बाद इस मुद्दे की जांच के लिए एक समिति गठित की थी.
नियमों के उल्लंघन का लगा आरोप
संस्थान द्वारा रानाडे को लिखे गए पत्र में कहा गया कि समिति की राय है कि उनकी उम्मीदवारी यूजीसी के दिशानिर्देशों द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुरूप नहीं है, इसलिए उन्हें पद से हटाया जा रहा है. इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रानाडे ने एक बयान में कहा कि यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण और चौंकाने वाला निर्णय है.
क्या बोले रानाडे
इस फैसले पर हैरानी जताते हुए रानाडे ने कहा कि 'पिछले ढाई वर्षों से मैं पूरी लगन और अपनी क्षमता के अनुसार काम कर रहा हूं और संस्थान में सकारात्मक विकास में योगदान दे रहा हूं. ऐसा लगता है कि इन कार्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है.'