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बजट से ज़रूरी चीज़ें सस्ती होने की उम्मीद क्यों न रखें: दिन भर, 31 जनवरी

संसद में आज पेश हुए इकोनॉमिक सर्वे की बड़ी बातें क्या रहीं, बजट में महंगाई और इनकम टैक्स के मोर्चे पर राहत मिलने की कितनी उम्मीद है, क्या खालिस्तान फिर से अपना सिर उठा रहा है और आंध्र प्रदेश की राजधानी को लेकर पिछले दस सालों से खींचतान क्यों चल रही है, सुनिए आज के 'दिन भर' में कुलदीप मिश्र से.

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budget 2023
budget 2023

कई घरों में आप पाएंगे कि साल भर के खर्च का हिसाब-किताब रखा जाता है. साल के अंत में कितना कमाया, कितना बचाया इसका जोड़ घटा होता है. हिसाब किताब की यही जो प्रक्रिया है, अगर इसे पूरे देश के लिए करें, तो उसे इकोनॉमिक सर्वे कहते हैं. इकोनॉमिक सर्वे से मालूम होता है कि देश की इकोनॉमी की स्थिति क्या है. आज से संसद का बजट सेशन शुरू हुआ, कल बजट पेश होना है औरआज फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने इकोनॉमिक सर्वे पेश किया.

इकोनॉमिक सर्वे में 2023-24 के फाइनेंशियल इयर के लिए 6.5% GDP ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया गया है. ये पिछले 3 साल में सबसे धीमी ग्रोथ होगी. नॉमिनल GDP का अनुमान 11% है, साथ ही रियल GDP 7% रहने की बात की गई है. चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि बैंकों की बैलेंस शीट में सुधार और क्रेडिट ग्रोथ बढ़ रही है, इसके अलावा जुलाई-सितंबर 2019 में बेरोजगारी दर 8.3% से घटकर जुलाई-सितंबर 2022 में 7.2% हुई है. 

3 साल में सबसे कम ग्रोथ का अनुमान क्यों?

इन सब से इतर global economy को लेकर IMF ने का भी आज बयान आया. IMF ने 2023 में ग्लोबल ग्रोथ पहले की अपेक्षा में कम रहने के आसार जताए हैं. हालांकि भारत की इकोनॉमी को उसने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी करार दिया है. भारत की अर्थव्यवस्था मौजूदा तिमाही में 6.8 फीसदी की दर से बढ़ रही है. हालांकि चालू खाते के घाटे पर सर्वे में चिंता जताई गई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि देश का चालू खाते का घाटा, यानी फिस्कल डेफिशिट सितंबर, 2022 की तिमाही में बढ़कर जीडीपी का 4.4 प्रतिशत हो गया है जो कि अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था. तो इस इकोनॉमिक सर्वे का लेखा जोखा क्या रहा, फायदे-नुकसान क्या रहे और पिछले तीन सालों के मुकाबले इस साल सबसे धीमी इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान क्यों लगाया गया है, सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.

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बजट आपका मूड बिगाड़ेगा? 

हम साल के उस दिन के सिरहाने पर खड़े हैं जो पार्लियामेंट के तीनों सेशन का सबसे अहम दिन होता है. बजट वाला दिन. पूरे देश में होने वाले हर छोटे बड़े काम के लिए कितना पैसा कहाँ से आएगा, उसकी रूपरेखा इसी दिन मालूम पड़ती है. तो बजट के तिया-पांचा पर तब बात होगी जब कल बजट आ जायेगा. अभी बजट से लोगों ने जो उम्मीदें पाली हुई हैं, उस पर बात करते हैं. एक्सिस माय इंडिया एक नामी सर्वे एजेंसी है, उसने एक सर्वे किया और इस सर्वे के मुताबिक, 73 फ़ीसदी लोग ये चाहते हैं कि रोज़मर्रा के इस्तेमाल की ज़रूरी चीज़ें जैसे खाने वाला तेल, साबुन, डिटर्जेंट आदि की क़ीमतें घटाई जाएं. 54 फ़ीसदी लोगों का मानना है कि एसेंशियल आइटम्स पर GST नहीं लगनी चाहिए. 44 फ़ीसदी लोग जीएसटी की दरों में कटौती चाहते हैं और 32 परसेंट लोग चाहते हैं कि हाउसिंग लोन exemption की जो लिमिट है उस पर पुनर्विचार किया जाए.

इस सर्वे में 26 प्रतिशत लगों ने ये भी इच्छा जताई कि इनकम टैक्स के रेट 5 परसेंट से कम होने चाहिए और क़रीब एक चौथाई लोगों ने कहा कि इनकम टैक्स की जो एक्सेम्पशन लिमिट है उसे 2.5 लाख से ज़्यादा बढ़ा देना चाहिए. तो डेली यूज की चीज़ों के सस्ते होने और जीएसटी दरों में कटौती की जो उम्मीद है, क्या बजट में इसके पूरे होने की गुंजाइश दिखती है और इनकम टैक्स के मोर्चे पर सरकार कुछ राहत दे सकती है क्या, सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.

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ख़ालिस्तान का असली खेल क्या है? 

पिछले कुछ दिनों में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जो इशारा करती हैं कि ख़ालिस्तान से जुड़े संगठनों की गतिविधि बढ़ रही है. रिपब्लिक डे से पहले दिल्ली में कुछ दीवारों पर खालिस्तान समर्थित नारे लिखे पाए गए. अभी दो दिन पहले ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में खालिस्तान का झंडा लिये खालिस्तानी समर्थकों और  भारतीयों के बीच एक हिंसक टकराव हुआ. इसमें खालिस्तानियों ने तिरंगा लहराने वाले भारतीयों की लाठियों और डंडों से पिटाई की और भारत विरोधी नारे भी लगाए. इसके अलावा कल कैनेडा के ब्रैम्पटन शहर में प्रसिद्ध गौरी शंकर मंदिर में तोड़फोड़ की घटना सामने आई. मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे भीब लिखे गए. इससे कैनेडा में रहने वाले भारतीय समुदाय में बहुत नाराजगी है. टोरंटो में भारतीय दूतावास ने इस पर एक बयान जारी कर अपनी चिंता जाहिर की है. अधिकारी फिलहाल इस घटना की जांच कर रहे हैं.

लेकिन कैनेडा में हिंदू मंदिर पर हमले की यह पहली घटना नहीं है. पंजाब में खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह और उसकी हरकतों को लेकर सियासी बयानबाज़ी होती रहती है. तो क्या ख़ालिस्तान एक बार फिर से सिर उठा रहा है और प्रवासियों में ख़ालिस्तान को लेकर क्रेज क्यों बढ़ रहा है और विदेशी धरती पर हो रही इन घटनाओं पर सरकार कितना ध्यान दे रही है, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.

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आंध्र प्रदेश का कैपिटल वॉर 

तेलंगाना भारत का सबसे नया राज्य है, जो 2014 में बना था. आंध्र प्रदेश से अलग होकर बना था, लेकिन आंध्र प्रदेश की जो राजधानी थी -  हैदराबाद, वो भी बंटवारे के बाद तेलंगाना के पास आ गई. हालाँकि उस वक़्त ये तय हुआ था कि 10 साल के लिए हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी बनी रहेगी. इस दौरान आंध्र प्रदेश को अपनी नई राजधानी बनानी होगी. उसके बाद आंध्र ने अपनी राजधानी तलाशनी शुरु कर दी.  2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उस वक़्त सीएम रहे चंद्र बाबू नायडु ने अमरावती को कैपिटल बनाने की बुनियाद रखी. लेकिन 2019 में हुए चुनाव के बाद जगन मोहन रेड्डी आंध्र प्रदेश की सत्ता में आ गए और उन्होंने एक नहीं, 3 राजधानी के विकल्प पर विचार करना शुरू किया, जिसमें विशाखापट्टनम, अमरावती और कुरनूल शामिल थे . 

आज मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी दिल्ली में इंटरनेशनल डिप्लोमेटिक एलायंस मीट में पहुंचे थे. इस दौरान उन्होने कहा कि मैं आप सभी को विशाखापट्टनम आने के लिए आमंत्रित करता हूं. आने वाले दिनों में यह हमारी राजधानी होगी और मैं भी विशाखापट्टनम शिफ्ट हो रहा हूँ. उनके इस बयान के बाद ये कयास लगाया जाने लगा कि आंध्र प्रदेश की अगली राजधानी विशाखापट्टनम होगी. तो राजधानी के तौर पर विशाखापट्टनम का नाम उन्होंने क्यों आगे बढ़ाया और आंध्र प्रदेश की राजधानी को लेकर खींचतान दस साल से क्यों चल रही है, सुनिए 'दिन भर' की आख़िरी ख़बर में. 

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