दिल्ली ब्लास्ट की जांच कर रही जांच एजेंसी ने खुलासा किया है कि जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी डॉ. उमर मोहम्मद एक शू बॉम्बर था, जिसने अपने जूते में छिपाए खतरनाक विस्फोटक TATP से हमले को अंजाम दिया. सूत्रों ने बताया कि जांच कर रही टीम को ब्लास्ट स्पॉट से कार की ड्राइविंग सीट के सीट से एक जूता मिला, जिसमें मेटल नुमा सबस्टेंस पाया गया है.
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने आजतक को बताया कि सुरक्षा एजेंसियों को ब्लास्ट स्पॉट से उमर मोहम्मद की i20 कार में ड्राइविंग सीट के नीचे के राइट फ्रंट टायर से एक जूता बरामद हुआ है, जिसमें मेटल नुमा सबस्टेंस पाया गया है. उम्मीद लगाई जा रही है कि यही विस्फोट का मुख्य ट्रिगर है. इसी से ब्लास्ट को अंजाम दिया गया है.
विस्फोटक के मिले सबूत
फोरेंसिक जांच में ब्लास्ट साइट से टायर और जूते से TATP के ट्रेसेस बरामद हुए हैं. एजेंसियों का मानना है कि जैश के आतंकियों ने बड़े धमाके की प्लानिंग के लिए भारी मात्रा में TATP इकट्ठा कर रखा था. हमले में अमोनियम नाइट्रेट के साथ TATP का मिश्रित इस्तेमाल किया गया, जिसकी पुष्टि पहले हो चुकी है. इसके अलावा कार की पीछे की सीट के नीचे भी विस्फोटकों के सबूत मिले हैं.
20 लाख की फंडिंग
जांच में ये भी साफ हो गया है कि दिल्ली ब्लास्ट की साजिश के लिए 20 लाख रुपये गिरफ्तार लेडी डॉक्टर शाहीन के जरिए मॉड्यूल को दिए गए थे. शाहीन का रोल फंडिंग और लॉजिस्टिक्स में अहम था. सुरक्षा एजेंसी अब पूरे नेटवर्क- प्लानिंग, फंडिंग और सप्लाई चेन को उजागर करने में जुटी है.
सूत्रों ने दावा किया कि यही पैटर्न दिसंबर 2001 के रिचर्ड रीड मामले से मिलता-जुलता है, जब पेरिस-मियामी जा रही अमेरिकी एयरलाइंस की फ्लाइट में एक शू बॉम्बर ने TATP से धमाका करने की असफल कोशिश की थी. ठीक उसी तर्ज पर उमर ने भी जूते को हथियार बनाया है.
क्या है TATP
TATP (Triacetone Triperoxide) एक शक्तिशाली, संवेदनशील विस्फोटक है जो एसिटोन और हाइड्रोजन पेरोक्साइड के मिश्रण से बनता है. रंगहीन, गंधहीन और क्रिस्टलीय ये पदार्थ छोटे झटके या गर्मी से भी फट सकता है. इसे 'मदर ऑफ सैटेन' कहा जाता है, क्योंकि ये बनाने वाले को भी मार सकता है. आतंकी इसे पसंद करते हैं, क्योंकि ये सस्ता, आसान और पता लगाने में मुश्किल है. हालांकि, इसका इस्तेमाल बहुत ही खतरनाक है, क्योंकि ये विस्फोटक पदार्थ न केवल दूसरों को नुकसान पहुंचा सकता है.