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दिल्ली की जहरीली हवा ने बढ़ाया सांस का संकट, AIIMS में खांसी, अस्थमा और COPD मरीजों की भरमार

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण का असर अब सीधे तौर पर लोगों के सेहत पर देखने को मिल रहा है. एम्स अस्पताल में सांस से जुड़ी समस्याओं के मरीजों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया. AIIMS के डॉक्टर ने बताया कि ख़ुद को कैसे सेफ रखें.

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अस्पतालों में सांस की परेशानी वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी (Photo: PTI)
अस्पतालों में सांस की परेशानी वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी (Photo: PTI)

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का ये आलम है कि एम्स अस्पताल में सांस से जुड़ी समस्याओं के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा देखा जा रहा है. वायु प्रदूषण ने लोगों की सेहत पर गंभीर असर डालना शुरू कर दिया है. रविवार की दिन की बात करें तो औसतन एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 461 रहा, जो कि  इस सर्दी का अब तक का सबसे प्रदूषित दिन रहा और दिसंबर महीने में दर्ज किया गया दूसरा सबसे खराब एयर क्वालिटी स्तर भी माना जा रहा है.

AIIMS दिल्ली के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सौरभ मित्तल के अनुसार, अस्पताल की OPD में सांस से जुड़ी समस्याओं वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 

उन्होंने कहा कि कई मामलों में मरीजों को इनहेलर, नेबुलाइज़र और यहां तक कि ओरल स्टेरॉयड देने की जरूरत पड़ रही है, ताकि उनकी हालत को कंट्रोल किया जा सके. यह साफ संकेत है कि प्रदूषण का असर केवल पहले से बीमार लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि हर उम्र और हर वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रहा है.

डॉ. मित्तल के मुताबिक, बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर ज्यादा गंभीर होता है. उनकी इम्युनिटी कमजोर होने के कारण प्रदूषित हवा से उन्हें जल्दी नुकसान पहुंचता है. अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो आगे चलकर अस्थमा और COPD जैसी गंभीर बीमारियों के विकसित होने का खतरा भी बढ़ सकता है.

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प्रदूषण से बचाव के उपायों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि सबसे बेहतर तरीका है कि लोग बिना जरूरी काम के बाहर न निकलें. अगर बाहर जाना जरूरी हो, तो N95 मास्क जरूर पहनें. उन्होंने सलाह दी कि लोग ज्यादा से ज्यादा समय घर के अंदर बिताएं और खिड़की-दरवाजे बंद रखें, ताकि बाहर की जहरीली हवा अंदर न आए.

इसके अलावा, डॉ. मित्तल ने कहा कि अगर कमरे का आकार छोटा है और संभव हो, तो एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे कमरे के अंदर की हवा की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है. उन्होंने साफ कहा कि यह प्रदूषण सभी को प्रभावित कर रहा है और इसे हल्के में लेना भविष्य में बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन सकता है.

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