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INDIA ब्लॉक में खटपट? संसद में कांग्रेस के एजेंडे से इन दलों का किनारा, विपक्ष की मीटिंग से TMC नदारद

कांग्रेस आरोप लगा रही है कि अदाणी के मुद्दे पर सरकार को भय है और इस भय के चक्कर में सरकार खुद संसद को स्थगित देखना चाहती है. टीएमसी चाहती है कि संसद चले और अन्य गंभीर मुद्दों पर चर्चा हो. वहीं सपा सांसदों ने आज लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात की और संभल मुद्दे पर चर्चा का अनुरोध किया.

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संसद का शीतकालीन सत्र अभी लगातार बाधित रहा है
संसद का शीतकालीन सत्र अभी लगातार बाधित रहा है

 25 नवंबर से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में अभी तक गतिरोध बना हुआ है. कांग्रेस सदस्य लोकसभा और राज्यसभा में अदाणी समूह से जुड़े मामले को उठा रहे हैं, वहीं सपा सांसद संभल हिंसा के मामले पर चर्चा की मांग कर रहे हैं. सोमवार को भी दोनों सदनों की कार्यवाही आधा घंटा भी नहीं चल सकी.

कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि विपक्षी दल संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही चलने देने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि संविधान पर चर्चा हो. वहीं संसद की कार्यवाही से पहले INDIA ब्लॉक के नेताओं की राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से हुई जिसमें राहुल गांधी तो शामिल हुए लेकिन टीएमसी से कोई भी सदस्य इसमें नहीं पहुंचा.

इंडिया ब्लॉक में ही आपसी तकरार

दरअसल तृणमूल कांग्रेस चाहती है कि सदन में मंहगाई, बेरोजगारी, किसान, उर्वरक, विपक्षी राज्यों को मिलने वाले पैसे में कटौती और मणिपुर जैसे मुद्दों को लेकर चर्चा हो. वहीं कांग्रेस चाहती है कि अडानी मुद्दे पर ही चर्चा हो. वहीं कांग्रेस के रूख से सपा भी किनारा करती दिख रही है. वहीं अन्य विपक्षी दल भी चाहते हैं कि किसान, संभल और मणिपुर जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो.

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यानि विपक्षी दलों में टीएमसी का रुख साफ है कि संसद में सभी मुद्दों पर चर्चा हो, कमोबेश ऐसा ही कुछ समाजवादी पार्टी भी चाहती है. सपा सांसदों ने आज लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात की और संभल मुद्दे पर चर्चा का अनुरोध किया. सपा नेताओं के अनुसार अडानी का मुद्दा संभल जितना बड़ा नहीं है. सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि हमारे लिए अदाणी से बड़ा मुद्दा किसान हैं. यानि कांग्रेस भले ही अदाणी अदाणी का रट लगाए बैठी हो, मगर विपक्ष के कई दल और भी मुद्दों पर बहस करना चाहते हैं.

दोनों सदनों में 5-5 फीसदी से भी कम हुआ है काम
दरअसल, 5 नवंबर से सत्र की शुरुआत हुई और लोकसभा महज 6 मिनट चली 26 नवंबर को संविधान दिवस था तो राष्ट्रपति का अभिभाषण था. 27 नवंबर को महज़ 15 मिनट लोकसभा की कार्यवाही चली 28 नवंबर को भी महज़ 15 मिनट 29 नवंबर को 20 मिनट और आज यानि 2 दिसंबर को 13 मिनट की कार्यवाही चली. आलम ये है कि 25 नवंबर से अबतक कुल 69 मिनट का लोकसभा चली. लोकसभा में अबतक सिर्फ 4 फीसदी काम हुआ और राज्यसभा में महज 5 फीसदी काम हुआ है.
 
अब सवाल ये है कि जनता अपने माननीयों को क्या इसीलिए संसद की कुर्सी तक पहुंचाती है कि वो किसी ऐरे गैरे नत्थू खैरे की तरह हंगामा करें, या इसलिए वो अपने सांसद को चुनती है कि उनके हित के लिए वो कानून बनाएं. ऐसी नीतियां रचें जो जनता के बेहतर भविष्य की बुनियाद बने. 

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संसद का ठप रहना चिंता का विषय है इसीलिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, और अच्छी बात ये है कि इस बैठक में सभी दलों ने शांति से सदन चलाने पर सहमति जताई है. अब देखना होगा कि सहमति कितना मूर्त रूप लेती है.
 

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