छत्तीसगढ़ में शहरी निकाय और पंचायत चुनावों की तैयारी ने जोर पकड़ लिया है. इन चुनावों का आयोजन सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं से पहले किया जाना है. राज्य के शहरी प्रशासन मंत्री अरुण साओ ने शुक्रवार को ऐलान करते हुए कहा कि, इस बार पारंपरिक बैलेट पेपर प्रणाली से मतदान कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि ईवीएम की तैयारी में हो रही देरी के कारण यह निर्णय लिया गया है.
मंत्री साओ ने कहा, "छत्तीसगढ़ सरकार और चुनाव आयोग चुनाव प्रक्रिया को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. बैलेट पेपर प्रणाली में बदलाव के साथ आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए यह रणनीतिक योजना बनाई जा रही है. यह कदम चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है."
7 जनवरी के बाद लग सकती है आदर्श आचार संहिता
आदर्श आचार संहिता 7 जनवरी के बाद कभी भी लागू हो सकती है, जिससे चुनावी प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो जाएगी. इसके लागू होने के बाद सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को समान नियमों के तहत कार्य करना होगा. मंत्री ने यह भी बताया कि, "इन तैयारियों के बीच सरकार नए नियमों और आरक्षण प्रक्रिया से भी गुज़र रही है. यह बदलाव स्थानीय शासन प्रणाली में समावेशिता और समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं."
रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के अन्य क्षेत्रों में चुनावों के दौरान सुचारू प्रबंधन और बैलेट पेपर प्रणाली के बदलाव पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. यह चुनाव न केवल स्थानीय प्रशासन और चुनाव निकायों की क्षमता की परीक्षा लेगा, बल्कि जमीनी स्तर पर मजबूत लोकतांत्रिक भागीदारी के लिए नए रास्ते भी तय करेगा.