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केरल की ननों पर जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोप... परिवारों ने किया इनकार, कहा- लड़कियां खुद की मर्जी से जा रही थीं आगरा

Chhattisgarh forced conversion case: केरल की दो ननों और छत्तीसगढ़ में एक आदिवासी व्यक्ति की गिरफ्तारी से देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. आदिवासी महिलाओं के परिवारों ने जबरन धर्म परिवर्तन और मानव तस्करी के आरोपों से इनकार किया है.

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जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप में केरल की 2 नन और एक आदिवासी छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार.
जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप में केरल की 2 नन और एक आदिवासी छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार.

मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में केरल की दो कैथोलिक ननों और छत्तीसगढ़ के एक आदिवासी व्यक्ति की गिरफ्तारी ने व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं और राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानूनों के उपयोग पर सवाल उठाए हैं. 3 आदिवासी महिलाओं में से 2 के परिवारों ने पुलिस के आरोपों का खंडन किया है और गिरफ्तारियों को राजनीति से प्रेरित और निराधार बताया है.

यह घटना 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर हुई, जहां स्थानीय बजरंग दल सदस्य रवि निगम की शिकायत के बाद नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस के साथ-साथ नारायणपुर के सुकमन मंडावी को पुलिस ने गिरफ्तार किया. 

निगम ने आरोप लगाया कि तीनों नौकरी के बहाने तीन आदिवासी लड़कियों को जबरन धर्मांतरण के लिए आगरा ले जा रहे थे. aajtak से बातचीत में, परिवार के सदस्यों ने जबरन धर्मांतरण के आरोपों का खंडन किया. 

एक महिला की बड़ी बहन ने कहा, "हमारे माता-पिता अब जीवित नहीं हैं. मैंने अपनी बहन को ननों के साथ भेजा था ताकि वह आगरा में नर्सिंग की नौकरी कर सके. मैंने पहले लखनऊ में उनके साथ काम किया था. यह अवसर उसे आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा."

एक अन्य रिश्तेदार ने बताया कि उनके परिवार ने पांच साल पहले ईसाई धर्म स्वीकार किया था और उनकी बहन 24 जुलाई को स्वेच्छा से गई थी. उन्होंने ननों और मंडावी की तत्काल रिहाई की मांग की और गिरफ्तारियों को 'अन्यायपूर्ण और छलपूर्ण' करार दिया.

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नारायणपुर एसपी रॉबिन्सन गुरिया ने पुष्टि की कि तीनों परिवारों ने 26 जुलाई को स्थानीय पुलिस को लिखित बयान सौंपे, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने अपनी बेटियों को स्वेच्छा से ननों के साथ रोजगार के लिए भेजा था. इन बयानों के बावजूद सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) अधिकारी ने aajtak को बताया कि जांच जारी है और पुष्टि के लिए सबूत अभी भी एकत्र किए जा रहे हैं.

आक्रोश और विरोध
इन गिरफ्तारियों पर पूरे भारत में ईसाई संगठनों, मानवाधिकार समूहों, चर्च नेताओं और राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. दिल्ली और केरल के तमाम जिलों सहित कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए. 

बिशप एसोसिएशन ने एक कड़ा बयान जारी कर 'राजनीतिक दबाव में निर्दोष ननों के उत्पीड़न' की निंदा की और उनकी बिना शर्त रिहाई की मांग की. फादर सेबेस्टियन पूमट्टम ने कहा, "यह स्पष्ट रूप से निशाना बनाने का मामला है. ये लड़कियां नौकरी के लिए सहमति से आई थीं. धर्मांतरण विरोधी कानून वाले सभी भाजपा शासित राज्य धर्मांतरण का एक भी मामला साबित करने में विफल रहे हैं. 

शिकायतकर्ता ज्योति शर्मा ने 2021 में एक चर्च को नष्ट किया था. वह मामला अभी भी हाई कोर्ट में लंबित है, जहां अभियोजक ने कहा था कि वह फरार है, फिर भी वह राज्य के समर्थन से खुलेआम काम कर रही है."

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बजरंग दल ने कार्रवाई को सही ठहराया
बजरंग दल की सदस्य और सह-शिकायतकर्ता ज्योति शर्मा ने अपने कार्यों का बचाव किया. 'घर वापसी' अभियानों और आदिवासी ईसाइयों के खिलाफ भड़काऊ बयानों के लिए जानी जाने वाली शर्मा ने aajtak को बताया, "जब हमने पूछा, तो ननों या लड़कियों ने कोई सहमति पत्र नहीं दिखाया. ये लड़कियां रो रही थीं और घर लौटना चाहती थीं. मैं हिंदू बेटियों को गुमराह होने से बचा रही हूं. मैं यह लड़ाई जारी रखूंगी."

CM का बयान

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी पुलिस कार्रवाई का समर्थन किया और इसे 'प्रलोभन और तस्करी का गंभीर मामला' बताया. CM ने 'X' पर एक पोस्ट में कहा, "नारायणपुर की तीन बेटियों को नर्सिंग की ट्रेनिंग दिलाने और उसके पश्चात जॉब दिलाने का वादा किया गया था. नारायणपुर के एक व्यक्ति के द्वारा उन्हें दुर्ग स्टेशन पर दो ननो को सुपुर्द किया गया, जिनके द्वारा उन बेटियों को आगरा ले जाया जा रहा था. इसमें प्रलोभन के माध्यम से ह्यूमन ट्रैफिकिंग करके मतांतरण किए जाने की कोशिश की जा रही थी. यह महिलाओं की सुरक्षा से सबंधित गंभीर मामला है. इस मामले में अभी जांच जारी है. प्रकरण न्यायालीन है और कानून अपने हिसाब से काम करेगा. छत्तीसगढ़ एक शांतिप्रिय प्रदेश है जहां सभी धर्म-समुदाय के लोग सद्भाव से रहते हैं. हमारी बस्तर की बेटियों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे को राजनीतिक रूप देना बेहद दुर्भाग्यजनक है." 
 
 आरोपियों पर मानव तस्करी और गैरकानूनी धर्मांतरण से संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं और इस सप्ताह के अंत में उनकी जमानत पर सुनवाई होने की उम्मीद है. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पिछले मामलों का भी संज्ञान लिया है, जहां बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर धर्मांतरण विरोधी कानूनों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था, जिससे ऐसी गिरफ्तारियों के कानूनी आधार पर और सवाल उठ रहे हैं.

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