कांग्रेस की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं. पंजाब कांग्रेस में घमासान पहले से ही चालू है और अब छत्तीसगढ़ में भी फिर से सियासी उठापठक शुरू हो सकती है. बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के 12 कांग्रेस विधायक दिल्ली पहुंच गए हैं. उन्होंने आलाकमान से मिलने का वक्त मांगा है. ये सभी विधायक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी बताए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि ये लोग छत्तीसगढ़ में बदलाव के खिलाफ दिल्ली पहुंचे है.
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 90 में से 67 सीटें हासिल की थी. बीजेपी को 15 सीटें मिली थीं. पूर्ण बहुमत वाली सरकार में तब मुख्यमंत्री पद के लिए दो मजबूत दावेदार थे. एक भूपेश बघेल और दूसरे टीएस सिंहदेव. दावा है कि कांग्रेस आलाकमान ने तब ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बनने का फॉर्मूला तय किया और भूपेश बघेल पहले टर्म के लिए मुख्यमंत्री बन गए. अब ढाई साल पूरे हो चुके हैं और बारी टीएस सिंहदेव की है. लेकिन मामला फंस गया.
मुख्यमंत्री पद के लिए दोनों नेताओं के बीच तनातनी जारी है. अगस्त में जब दोनों के बीच कलह बढ़ गई तो दोनों को दिल्ली बुलाया गया. तब भूपेश बघेल ने तो कहा था कि उनकी राहुल गांधी से कई मुद्दों पर चर्चा हुई. लेकिन टीएस सिंहदेव ने कहा था कि उन्होंने अपनी बात हाईकमान से कह दी है और अब आखिरी फैसला उनके हाथ में है.
इसी बीच ऐसी अटकलें थीं कि आलाकमान छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदल सकता है और इसी के खिलाफ भूपेश बघेल के करीबी दर्जनभर विधायक दिल्ली पहुंचे हैं.
हालांकि, अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस में दो धड़े बन गए हैं. टीएस सिंहदेव का धड़ा आलाकमान से ढाई साल वाला वादा पूरा करने का दबाव बना रहा है. उनके समर्थक मंत्री अपने पद से इस्तीफा देने की बात कह चुके हैं. जबकि, भूपेश बघेल अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं. अगस्त महीने में ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस के 22 विधायकों ने दिल्ली में आलाकमान से मुलाकात की थी.