scorecardresearch
 

कोरोना वैक्सीनेशन पर केंद्र का खर्च 50 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ने की संभावना

इस साल जुलाई तक केंद्र ने वैक्सीन खरीदने पर 8071.09 करोड़ रुपए खर्च किए थे, जबकि 1654.06 करोड़ रुपए वैक्सीन लगाने में खर्च हुआ था. इस साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैक्सीनेशन के लिए 35000 करोड़ का प्रावधान किया था. लेकिन अब जब वैक्सीन पर खर्च बढ़ने की उम्मीद है, तो केंद्र सरकार को शीतकालीन सत्र में अनुदान की अनुपूरक मांगों के माध्यम से अतिरिक्त धन के लिए संसद की मंजूरी लेनी होगी.

Advertisement
X
भारत में 16 जनवरी को वैक्सीनेशन कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी.
भारत में 16 जनवरी को वैक्सीनेशन कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • वैक्सीन की बढ़ी कीमतों के चलते लागत बढ़ने की उम्मीद
  • वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर 50000 करोड़ रुपये हो सकते हैं खर्च

देश में 18 साल से ऊपर से सभी नागरिकों को फ्री वैक्सीन दी जा रही है. दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन कार्यक्रम पर केंद्र सरकार का खर्च 50 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है. वैक्सीन की लागत में वृद्धि केंद्र द्वारा वैक्सीन कार्यक्रम के विस्तार और टीकों की कीमत में वृद्धि की वजह से हुई है. 

इस साल जुलाई तक केंद्र ने वैक्सीन खरीदने पर 8071.09 करोड़ रुपए खर्च किए थे, जबकि 1654.06 करोड़ रुपए वैक्सीन लगाने में खर्च हुआ था. इस साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैक्सीनेशन के लिए 35000 करोड़ का प्रावधान किया था. लेकिन अब जब वैक्सीन पर खर्च बढ़ने की उम्मीद है, तो केंद्र सरकार को शीतकालीन सत्र में अनुदान की अनुपूरक मांगों के माध्यम से अतिरिक्त धन के लिए संसद की मंजूरी लेनी होगी. 
 
16 जनवरी को शुरू हुआ था वैक्सीनेशन कार्यक्रम

भारत में 16 जनवरी से वैक्सीनेशन शुरू हुआ था. इसे केंद्र द्वारा संचालित किया गया. हालांकि, राज्य केंद्रीय खरीद पर निर्भर थे. लेकिन विपक्ष के हंगामे के बाद केंद्र ने 1 मई से राज्यों और प्राइवेट अस्पतालों को 25%-25% टीके खरीदने की अनुमति दी. 

राज्यों को फ्री वैक्सीन उपलब्ध करा रहा केंद्र 

लेकिन लगातार मांग बढ़ती रही, ऐसे में राज्य वैक्सीन खरीदने में विफल रहे और 7 जून को वैक्सीनेशन अभियान धीमा होना शुरू हो गया. पीएम मोदी ने ऐलान किया कि 21 जून से केंद्र 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराएगा. 

Advertisement

पीएम मोदी ने कहा था, केंद्र वैक्सीन कंपनियों से 75% वैक्सीन खरीदेगी. जबकि 25% वैक्सीन प्राइवेट अस्पताल खरीद सकेंगे. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने वैक्सीन की संशोधित लागत की जानकारी देते हुए कहा, पहले चरण में केंद्र ने वैक्सीन की एक खुराग के लिए 150 रुपए का भुगतान किया. लेकिन मुफ्त वैक्सीन योजना के तहत नई बातचीत की कीमत बढ़कर 200-220 रुपये प्रति डोज हो गई. 

केंद्र ने एक और वैक्सीन का दिया ऑर्डर 

अधिकारी ने बताया, "टीकों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए केंद्र 1 करोड़ ZyCoV-D वैक्सीन खरीद रहा है, जिसकी कीमत लगभग 358 रुपये प्रति खुराक है. इसकी तीन खुराक की जरूरत पड़ती है. इसके लिए सरकार 358 करोड़ रुपए खर्च करेगी. 
 
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर 50000 करोड़ रुपये खर्च हो सकता है, लेकिन इस राशि का एक बड़ा हिस्सा पहले ही खर्च किया जा चुका है. हालांकि, केंद्र सरकार अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में भी इसका जिक्र किया था. 

Corbevax के जल्द आने की उम्मीद

इस बीच सरकार बायोलॉजिकल ई वैक्सीन से पॉजिटिव न्यूज की प्रतीक्षा कर रही है. दरअसल, वैक्सीनेशन अभियान में इस वैक्सीन को शामिल करने से खर्च में कुछ कमी आ सकती है. दरअसल, Corbevax वैक्सीन की कीमत 150 रुपए प्रति डोज से भी कम रहने की संभावना है. बायोलॉजिकल ई वैक्सीन की 10 करोड़ डोज तैयार कर रहा है. माना जा रहा है कि नवंबर के अंत तक वैक्सीनेशन की शुरुआत हो सकती है. कंपनी जल्द अपने ट्रायल के डेटा को सब्मिट करेगी. 
 
देश में इन 7 वैक्सीन को मिली मंजूरी

देश में अभी 7 वैक्सीन- कोवैक्सिन, कोविशील्ड,   ZyCoV-D, स्पुतनिक वी, जॉनसन एंड जॉनसन, ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका और मॉडर्ना को अनुमति दी जा चुकी है. इन 7 में से 3 का इस्तेमाल भी किया जा रहा है. सरकारी सूत्रों का मानना है कि अन्य वैक्सीन में ज्यादा रखरखाव खर्च के चलते वैक्सीनेशन अभियान में इन्हें शामिल नहीं किया जा रहा है. 

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement