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जस्टिस शेखर यादव के विवादित बयान का मामला, 17 दिसंबर को हो सकती है SC कॉलेजियम की बैठक

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव के कथित विवादित बयान के मुद्दे पर देश के मुख्य न्यायधीश जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाला कॉलेजियम इस मामले में मंगलवार को सुनवाई कर सकता है.

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जस्टिस शेखर कुमार यादव- फाइल फोटो
जस्टिस शेखर कुमार यादव- फाइल फोटो

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव के कथित विवादित बयान के मुद्दे पर देश के मुख्य न्यायधीश जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाला कॉलेजियम इस मामले में मंगलवार को सुनवाई कर सकता है. सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में शीतकालीन छुट्टियों से पहले यानी 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर विचार विमर्श करेगा. उस बैठक में कॉलेजियम के समक्ष जस्टिस यादव भी पेश होंगे और सवालों के जवाब देंगे.

सुप्रीम कोर्ट में उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कॉलेजियम की बैठक मूल रूप से सप्ताह के अंत के लिए निर्धारित थी. लेकिन कॉलेजियम के पांच सदस्यों में से दो की अनुपलब्धता के कारण पिछले सप्ताहांत उसे स्थगित कर दिया गया था. अब यह बैठक मंगलवार 17 दिसंबर को होने की संभावना है.

इससे पहले 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बयान से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांगी थी. सूत्रों के मुताबिक, बैठक का उद्देश्य कॉलेजियम द्वारा किसी भी कार्रवाई पर विचार करने से पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को अपना पक्ष रखने की अनुमति देकर प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत को संतुष्ट करना है.

मौलाना महमूद असद मदनी ने की थी आलोचना
गौरतलब है कि जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव के हालिया विवादास्पद बयान की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने अपने पद की विश्वसनीयता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है. यह बहुत दुखद है कि जिन न्यायालयों से न्याय और निष्पक्षता के माध्यम से सभी वर्गों को एकजुट करने की आशा की जाती है, उनका एक सशक्त प्रतिनिधि देश को तोड़ने वाली शक्तियों का सहयोगी बन रहा है. जबकि उन्हें संविधान का प्रतिनिधि होना चाहिए. वे तो संविधान को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

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जस्टिस शेखर यादव ने क्या कहा था?
जस्टिस शेखर यादव ने विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक कार्यक्रम में कहा था कि देश बहुमत की इच्छा के अनुसार चलेगा. एक विशेष समुदाय का जिक्र करते हुए उन्होंने सवाल किया कि जब बचपन से ही बच्चों के सामने जानवरों का वध किया जाता है तो वे कैसे दयालु और सहनशील हो सकते हैं? उन्होंने मुसलमानों के एक वर्ग को 'कठमुल्ला' बताते हुए कहा कि उनका अस्तित्व देश के लिए हानिकारक हैं. हालांकि, जस्टिस यादव जिस समुदाय को संबोधित कर रहे थे, उस समुदाय के प्रबुद्ध लोगों के बारे में बात करने के बजाय, वह दूसरे समुदाय पर कटाक्ष कर रहे थे.

मदनी ने क्या कहा था?
मौलाना मदनी ने कहा कि न्यायपालिका के सदस्य होने के नाते जस्टिस यादव को इस बात की पूरी जानकारी होनी चाहिए कि उनके इस तरह के बयान से सांप्रदायिक सौहार्द प्रभावित हो सकता है. साथ ही, इससे न केवल न्यायपालिका की प्रतिष्ठा कमजोर होती है, बल्कि न्यायपालिका के प्रति लोगों का विश्वास भी कम होता है. न्यायपालिका एक निष्पक्ष संस्था है और उसका कर्तव्य है कि वह संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखे और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करे. 

देश में कई सक्षम और ईमानदार न्यायाधीश हैं, जिनके फैसलों से देश का सम्मान बढ़ता है और देश के नागरिकों को न्याय मिलता है, लेकिन जस्टिस यादव ने अपने बयान से इस पेशे की मर्यादा और इससे जुड़े लोगों के अच्छे नामों के लिए कामों पर पानी फेर दिया है.

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मौलाना मदनी ने मांग कि है कि जस्टिस यादव के इस व्यवहार की तत्काल और गंभीरता से जांच की जाए. न्यायपालिका की विश्वसनीयता की रक्षा के लिए उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए.

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