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स्टूडेंट से बिजनेस पार्टनर, फिर बनीं पत्नी... BYJU'S के को-फाउंडर ने सुनाई अपनी लव स्टोरी

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे और अंतिम दिन बायजू रविन्द्रन और उनकी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ ने भारतीय एडटेक स्टार्टअप कंपनी BYJU'S की स्थापना से लेकर अब तक की जर्नी पर खुलकर बातचीत की. सत्र के दौरान बायजू रविन्द्रन ने कहा कि गांव में मुझे अच्छे शिक्षक नहीं मिले, इसलिए मैंने शिक्षक बनने की ठान ली थी.

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बायजु रावेंद्रन और दिव्या गोकुलनाथ
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बायजु रावेंद्रन और दिव्या गोकुलनाथ

BYJU'S के को-फाउंडर बायजू रविन्द्रन और उनकी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ ने शनिवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने अपनी एडटेक स्टार्टअप  BYJU'S स्टेडियम से स्मार्टफोन तक पहुंचने की सक्सेस जर्नी शेयर की. सत्र के दौरान उन्होंने स्पॉन्सरशिप विवाद से लेकर एम्पलॉयी ले-ऑफ पर भी खुलकर जबाव दिया. उन्होंने यह भी बताया कि दिव्या गोकुलनाथ उनकी स्टूडेंट से बिजनेस पार्टनर और बिजनेस पार्टनर से लाइफ पार्टनर कैसे बन गईं.

शिक्षक बनने का सफर 

BYJU'S की स्थापना और उसके पीछे की सोच पर पूछे गए एक सवाल का जबाव देते हुए बायजू रविन्द्रन ने कहा कि मैं एक छोटे गांव से आता हूं. और सच्चाई यह है कि मैंने शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से की. वहां मुझे अच्छे शिक्षक नहीं मिले, इसलिए मैंने शिक्षक बनने की ठान ली. इसके बाद मैंने गांव, स्कूल और कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया. वहीं मैंने मैथ्स पढ़ाना शुरू किया. इस दौरान मैंने मैथ्स पढ़ाया भी और सीखा भी. आगे चलकर मेरा बिजनेस बन गया. जिसके बाद मेरा लक्ष्य यह था कि इसको और कैसे बेहतर कर देश के अन्य विद्यार्थियों तक भी पहुंचाया जाए. 

कमेंट्री सुनकर सीखी इंग्लिश: बायजू रविन्द्रन 

बायजू रविन्द्रन से जब यह पूछा गया कि आपने इंग्लिश कैसे सीखी? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चूंकि मैंने मलयालम स्कूल से पढ़ाई की है. इसलिए मैंने इंग्लिश सीखने के लिए कॉमेंट्री का सहारा लिया. क्योंकि आप उससे ज्यादा सीखते हैं, जिसे आप पसंद करते हैं. स्पोर्ट्स मेरे बहुत क्लोज रहा है. मैंने पूरी इंग्लिश रेडियो पर स्पोर्ट्स कॉमेंट्री से सीखी है. 

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लव लाइफ के बारे में कही ये बात 

लव लाइफ जर्नी पर पूछे गए सवाल का जबाव देते हुए बायजू रविन्द्रन ने कहा कि BYJU'S के फाउंडिग पार्टनर में सभी मेरे स्टूडेंट ही थे. 11 साल पहले हम 6 लोगों ने इसकी शुरुआत की थी. इस दौरान हमने बिजनेस मॉडल चेंज किया लेकिन हमने अपना मिशन कभी नहीं बदला. 12 साल बाद भी हम सभी साथ हैं. यही हमारी स्ट्रेंथ है. दिव्या भी उन्हीं में से एक थीं. फाउंडिग टीम ज्वाइन करने से पहले दिव्या क्लास में खूब सवाल पूछती थी. हम दोनों में अच्छी बात यह है कि हम दोनों सेल्फ लर्निंग में विश्वास करते हैं. 

स्पॉन्सरशिप विवाद पर कही ये बात

स्पॉन्सरशिप विवाद पर पूछे गए एक सवाल का जबाव देते हुए दिव्या गोकुलनाथ ने कहा कि यह डील एक रात में नहीं हुई थी. हमने यह डील इसलिए की थी ताकि भारत से कोई ग्लोबल चैंपियन निकले. हमारे 25 प्रतिशत स्टूडेंट आउटसाइड इंडिया हैं. यह डील 'ग्लोबल अवयरनेस ऑफ ब्रांड' का एक हिस्सा था. इंडियन क्रिकेट स्पॉन्सरशिप भी इसी का हिस्सा था.

वहीं, बायजू रविन्द्रन ने कहा कि यह दुर्भाग्य था कि ले ऑफ की टाइमिंग स्पॉन्सरशिप डील से क्लेस हो गई थी. सब ले-ऑफ की बात करते हैं लेकिन हम हायरिंग करते हैं उसकी कोई बात नहीं करता है. हमने फरवरी महीने में भी 2000 नए लोगों को हायर किाय है. पूरे भारत में लगभग 55,000 लोग हमारे साथ काम कर रहे हैं. 

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