केंद्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट गुरुवार को पेश हुआ. हालांकि, ये सरकार का अंतरिम बजट था. इस बजट में एक तरफ जहां लक्षद्वीप को लेकर बड़ा ऐलान किया गया. वहीं, मालदीव को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में कटौती की गई.
भारत सरकार ने बजट में 2024-2025 के लिए मालदीव को दी जाने वाली आर्थिक सहयता में 22 फीसदी की कटौती करने का प्रस्ताव रखा है. भारत सरकार ने मालदीव के विकास कार्यों के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. किसी भी सरकार द्वारा मालदीव को दी जाने वाली वित्तीय सहायता में भारत तीसरे स्थान पर है.
दरअसल 2023-2024 में भारत ने मालदीव को 770.90 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी. यह 2022-2023 में मालदीव को दी गई 183.16 करोड़ रुपये की तुलना में 300 फीसदी से अधिक है.
बता दें कि सरकार ने 2023 के बजट में शुरुआत में मालदीव के लिए 400 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. लेकिन बाद में इसमें संशोधन कर इसे 770.90 करोड़ रुपये कर दिया गया था.
बीते कुछ सालों से भारत एक तरह से मालदीव का अग्रणी साझेदार रहा है. भारत डिफेंस, शिक्षा, हेल्थकेयर और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे कई क्षेत्रों में मालदीव में निवेश कर चुका है.
कई अन्य देशों की आर्थिक मदद में भी कटौती
हालांकि, सिर्फ मालदीव ही नहीं बल्कि सरकार ने कई अन्य देशों को दी जाने वाली आर्थिक मदद में भी 10 फीसदी कटौती की गई है. भारत ने 2024-2025 के लिए विदेशी देशों को दी जाने वाली मदद में 4883.56 करोड़ रुपये की धनराशि अलग रखी है.
वहीं, मालदीव से जारी तनाव के बीच भारत सरकार ने 2024 के अंतरिम बजट में लक्षद्वीप को लेकर बड़ी घोषणा की. गुरुवार को अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए उसके बुनियादी ढांचे में सुधार पर पूरा जोर देगी. इसके अलावा सरकार पूरे देश भर में पर्यटन क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश करेगी.
भारत और मालदीव के बीच कैसे शुरू हुआ तनाव?
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद मालदीव की सरकार के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के इस दौरे की कुछ तस्वीरों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद गहराया. मामले पर विवाद बढ़ने के बाद इन तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया गया था.
दोनों देशों के इस तनाव के बीच मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू चीन के पांच दिन के राजकीय दौरे पर चले गए थे. इस दौरे से लौटने पर मुइज्जू लगातार भारत पर निशाना साध रहे हैं.
मुइज्जू ने मालदीव लौटते ही दो टूक कह दिया था कि हमें बुली करने का लाइसेंस किसी के पास नहीं है. उन्होंने कहा था कि हम भले ही छोटा देश हो सकते हैं लेकिन इससे किसी को भी हमें बुली करने का लाइसेंस नहीं मिलता. हालांकि, मुइज्जू ने प्रत्यक्ष तौर पर किसी का नाम लेकर ये बयान नहीं दिया है. लेकिन माना जा रहा है कि उनका निशाना भारत की तरफ है.
इसके बाद मुइज्जू ने भारत से 15 मार्च से पहले मालदीव से अपने सैनिकों को हटाने को कहा था. बता दें कि चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू ने पांच दिन के अपने चीन दौरे के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी. उनका ये दौरा ऐसे समय पर हुआ था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों को सस्पेंड किया गया. इस मामले को लेकर भारत और मालदीव दोनों देशों में राजनयिक विवाद बढ़ा हुआ है.