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आखिरकार रद्द हो गए तीनों कृषि कानून, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लगाई मुहर

29 नवंबर को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में तीनों कृषि कानून वापसी बिल पारित हो गए थे. इन बिलों के विरोध में एक साल से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने डेरा डाल रखा है. 

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कृषि कानून वापसी बिल पर राष्ट्रपति ने अपनी अंतिम मुहर लगा दी है.
कृषि कानून वापसी बिल पर राष्ट्रपति ने अपनी अंतिम मुहर लगा दी है.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कृषि कानून की हुई औपचारिक वापसी

कृषि कानून वापसी बिल पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी अंतिम मुहर लगा दी है. इसी के साथ ही तीनों कृषि कानून अब औपचारिक रूप से निरस्त हो गए हैं। इससे पहले, शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन यानी 29 नवंबर को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में तीनों कृषि कानून वापसी बिल पारित हो गए थे. इन बिलों के विरोध में एक साल से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने डेरा डाल रखा है. 

सोमवार को लोकसभा में कृषि कानून निरसन विधेयक को पास कराया गया था, उसके बाद राज्यसभा से भी पारित करा लिया गया. संसद सदस्यों के भारी हंगामे के बीच ध्वनिमत से विधेयक पारित कराए गए. बिलों की वापसी पर विपक्ष का कहना था कि पांच राज्यों में आने वाले विधानसभा चुनाव में नुकसान से बचने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है, जबकि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने बयान में कहा कि सरकार कृषि कानूनों के बारे में किसानों को समझाने में कामयाब नहीं हो पाई इसलिए पीएम ने कानून को वापस लेने का बड़प्पन दिखाया.

4 दिसंबर को बैठक
उधर, बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर होने वाली किसानों के 40 संगठनों की बैठक रद्द कर दी गई. संयुक्त किसान मोर्चा के कई संगठनों ने इस बैठक से दूरी बनाने की कोशिश की. बताया जा रहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक 4 दिसंबर को होगी, जिसमें आंदोलन खत्म करने या न करने पर आखिरी फैसला होगा. 

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MSP पर अड़े
दरअसल, कृषि कानून वापसी के बाद दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन की वापसी को लेकर किसान संगठनों में खुलकर मतभेद सामने आ गए हैं. किसानों का एक धड़ा आंदोलन वापसी के मूड में है, जबकि दूसरे धड़ा सरकार से एमएसपी पर गारंटी देने की मांग कर रहा है. 

 

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