पिछले साल पहले एक पोस्टर ख़बरों में थी, ये पोस्टर लगी थी बिहार में जिसपर लिखा था- नीतीश सबके हैं. तब नीतीश कुमार महागठबंधन में थे, अभी भी हैं, कम से कम अभी तो हैं ही. पिछले एक हफ़्ते में हर एक कदम पर राज्य में राजनीति की चाल बदल रही है. अब ये कहा जा रहा है कि 28 जनवरी को नीतीश कुमार अपने साथी को बदल कर फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ले सकते हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशिल कुमार मोदी ने भी इस ओर इशारा दिया कि दरवाज़े खुले हैं.
राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल युनाइटेड, भारतीय जनता पार्टी और बिहार की सभी छोटी बड़ी पार्टियां अभी इस मौक़े में अपने लिए गुंजाइश तलाश रही है, लगातार बैठके हो रही हैं, क्या दिल्ली क्या पटना, जब मीडिया ने इस बाबत राजद के नेता मनोज कुमार झा से बात की तो उन्होंने भी नीतीश कुमार से तस्वीर साफ़ करने की बात कही थी...
नीतीश कुमार किन शर्तों के साथ भाजपा के साथ फिर से जुड़ सकते हैं और ऐसा करना अभी उनके लिए क्यों ज़रूरी है, सुनिए 'दिन भर' में.
ASI सर्वे के बाद भी ट्विस्ट बाकी?
अयोध्या पर फैसला आए तीन साल हुए, वहाँ राममंदिर का निर्माण भी हो गया. लेकिन इसी के साथ एक और मस्जिद vs मंदिर का विवाद अदालती ईदारे में पहुँच चुका है. वो है ज्ञानवापी मस्जिद विवाद. वाराणसी की जिला अदालत इस मामले को सुन रही है.
कोर्ट ने तकरीबन 5 महीने पहले ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में ASI यानी आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को आदेश दिया था कि वो मस्जिद परिसर का सर्वे करवाए. और हिन्दू पक्ष का जैसा दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद पहले मंदिर था उसकी जांच करे.
सर्वे की रिपोर्ट आ गई और कल हिन्दू और मुस्लिम पक्ष को उस रिपोर्ट की एक एक कॉपी दे दी गई. दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष ने इस पर कहा कि उन्होंने अभी रिपोर्ट पढ़ी नहीं है और कोई भी प्रतिक्रिया वो रिपोर्ट पढ़ने के बाद ही देंगे. 839 पन्नों की इस रिपोर्ट से और क्या निकल कर आया है और हिन्दू पक्ष क्यों इसे पहली जीत बता रहा है.
रिपोर्ट मिलने के बाद कल दोनों पक्ष की प्रतिक्रिया भी आई. हिन्दू पक्ष के वकील जैन ने कहा कि ये ये हमारी पहली जीत है और रिपोर्ट में साफ साफ लिखा है कि मस्जिद परिसर के अंदर कई ऐसे प्रमाण मिले हैं जो ये साबित करता है कि ज्ञानवापी मंदिर परिसर को तोड़कर बनाई गई थी, सुनिए 'दिन भर' में,
बजट में किसपर फ़ोकस होगा?
आज से 5 दिन बाद यानी एक फरवरी को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में देश का अंतरिम बजट पेश करेंगी. इसकी तैयारी भी लगभग पूरी हो चुकी है.बजट पेश करने से पहले नॉर्थ ब्लॉक में जो हलवा खिलाने का रिवाज़ होता है वो भी पूरा हो चुका है. लेकिन चुनावी साल के इस बजट में वित्त मंत्री किसका मुंह मीठा करने वाली हैं, इसका जवाब एक कार्यक्रम में उन्होंने कल दिया है. दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज की 125वीं वर्षगांठ के मौके पर वित्त मंत्री ने कहा कि युवा, महिला, किसान और गरीबों को अभी भी सहायता की ज़रूरत है. और इस बजट में भी पूरा फोकस इन पर ही होगा. चूंकि लोकसभा चुनाव से पहले ये केंद्र सरकार का आखिरी बजट है इसलिए सरकार की नज़र इस वर्ग पर इसलिए भी है कि देश में ज्यादातर आबादी इन्हीं वर्गों से आती है. वित्त मंत्री ने जिन चार वर्गों का जिक्र किया उसके लिए बजट में क्या नया कर सकती हैं, और वो नया किस तरह की शक्ल में होने की उम्मीद है, सुनिए दिन भर में,