मीडिया संस्थान BBC (बीबीसी) के दिल्ली और मुंबई दफ्तर पर आज मंगलवार को इनकम टैक्स के छापे पड़े हैं. सूत्रों के मुताबिक, इंटरनेशनल टैक्स में गड़बड़ी को लेकर बीबीसी दफ्तर पर आईटी की ये सर्चिंग चल रही है. आयकर विभाग के अफसरों ने सभी कर्मचारियों के फोन जब्त कर लिए हैं. साथ ही कर्मचारियों से दफ्तर छोड़कर घर जाने के लिए कहा गया है. वहीं लंदन स्थित BBC के दफ्तर में छापेमारी की कार्रवाई की जानकारी दे दी गई है.
सूत्रों के मुताबिक, इनकम टैक्स की कार्रवाई को इंटरनेशनल टैक्स से जुड़ा मामला बताया जा रहा है. जिसमें टैक्स में गड़बड़ी को लेकर बीबीसी दफ्तर पर आईटी की ये सर्चिंग चल रही है. हालांकि, अभी तक इनकम टैक्स विभाग की ओर से इसे लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है. उधर, विपक्ष ने इस कार्रवाई को बीबीसी की गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री से जोड़ा है. ऐसे में अब इनकम टैक्स की कार्रवाई को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर निशाना साध रहा है.
इसी बीच बीजेपी ने BBC को सबसे भ्रष्ट और बकवास कॉरपोरेशन बताया है. बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा है कि अगर बीबीसी के कृत्य देखें, तो यह पूरे विश्व की सबसे भ्रष्ट और बकवास कॉरपोरेशन हो गई है. गौरव भाटिया ने कहा, बीबीसी पर आयकर विभाग नियमानुसार और संविधान के मुताबिक कार्रवाई कर रहा है. जब ये कार्रवाई चल रही है, इसे लेकर जिस तरह से राजनीतिक प्रतिक्रिया आने का सिलसिला जारी है. चाहें वह कांग्रेस हो, चाहें वह टीएमसी हो, या सपा हो...यह हर भारतीय के लिए चिंता का विषय है.
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन
बता दें कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री विवादों के घेरे में है. इस डॉक्यूमेंट्री को भारत ने 'प्रोपगैंडा' करार दिया है और कहा है कि ब्रिटेन की पब्लिक ब्रॉडकास्टर बीबीसी औपनिवेशक मानसिकता दिखा रही है. बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि उन्होंने 2002 गुजरात दंगों से जुड़े कुछ पहलू की पड़ताल की, ये वो समय था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
विवाद बढ़ने के बाद कथित रूप से सरकार ने कई यूट्यूब और ट्विटर लिंक को हटाने के आदेश दिए. इन लिंक पर क्लिक करके डॉक्यूमेंट्री देखी जा सकती थी. इस कदम के लिए विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना की और डॉक्यूमेंट्री को ब्लॉक करने के सरका के फैसले को सेंसरशिप करार दिया. डॉक्यूमेंट्री विवाद के बीच यह पहली बार नहीं है जब इस प्रकार की स्थिति पैदा हुई है. ऐसे कई उदाहरण हैं जब बीबीसी का भारत सरकार के साथ टकराव रहा है. और भारत की अदालतों ने बीबीसी के कुछ कार्यक्रमों को बैन कर दिया अथवा भारत में प्रसारण की अनुमति नहीं दी है.
जब इंदिरा ने बीबीसी को किया था बैन
1970 में तब इंदिरा गांधी सरकार ने बीबीसी को बैन कर दिया था जब एक शो में भारत की नकारात्मक तस्वीर पेश की गई थी. 1970 में, जब फ्रांसीसी निर्देशक लुइस मैले की डॉक्यूमेंट्री सीरीज बीबीसी पर दिखाई गई, तो इसके परिणामस्वरूप दिल्ली स्थित बीबीसी का दफ्तर 2 साल के लिए बंद कर दिया गया था.
1970 की गर्मियों में लुइस मैले की 2 डॉक्यूमेंट्री कलकत्ता और फैंटम इंडिया का प्रसारण ब्रिटिश टेलीविजन पर किया गया था. इस प्रसारण के बाद ब्रिटेन में बसे भारतीयों ने बीबीसी की तीखी आलोचना की. विरोध का ये स्वर दिल्ली पहुंचा और सरकार को भी इसकी जानकारी मिली. तब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं.
इन दोनों डॉक्यूमेंट्रीज में भारत में रोजाना की जिंदगी दिखाई गई थी. भारत सरकार ने इस फिल्मांकन को पूर्वाग्रह से ग्रसित और भारत को गलत रूप से पेश करने वाला करार दिया. इसके परिणामस्वरूप बीबीसी को भारत को 2 सालों के लिए बाहर कर दिया गया था. 1975 में जब भारत में आपातकाल लागू किया गया था तो बीबीसी ने अपने संवाददाता मार्क टुली को दिल्ली से वापस बुला लिया था.
निर्भया गैंग रेप के दोषी की डॉक्यूमेंट्री पर भी लगी थी रोक
मार्च 2015 में दिल्ली हाई कोर्ट ने बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के फैसले को सही ठहराया था. इस वृतचित्र में दिल्ली के निर्भया गैंग रेप के दोषी मुकेश सिंह को दिखाया जा रहा था. इस डॉक्यूमेंट्री के इंटरनेट प्रसारण पर भी सरकार ने रोक लगाई थी.
2017 में फिर प्रतिबंध
2017 में एक बार ऐसी नौबत आई थी जब बीबीसी को भारत के नेशनल उद्यानों और वन्यजीव अभ्यारण्यों में शूटिंग करने से 5 साल के लिए रोकदिया गया था. भारत सरकार के अनुसार ऐसा तब किया गया था जब बीबीसी की जंगली जानवरों के शिकार से जुड़ी एक डॉक्यूमेंट्री की वजह से भारत की छवि को गहरा धक्का पहुंचा था.
फेक स्टोरी दिखाने पर बवाल
जून 2008 में भारत सरकार और बीबीसी के बीच एक बार फिर टकराव हुआ. बीबीसी ने एक पैनोरमा शो में एक फुटेज दिखाया जिसमें बच्चे एक वर्कशॉप में काम करते हुए दिख रहे थे. इस पर काफी हंगामा हुआ और बाल श्रम को बढ़ावा देने के आरोप लगे. लेकिन बाद में ये स्टोरी ही फर्जी निकली.
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन की सरकारी बॉडी ने फैसला सुनाया कि एक प्रमुख खोजी रिपोर्टिंग कार्यक्रम ने बेंगलुरु के वर्कशॉप में कपड़ों की सिलाई करने वाले बच्चों की नकली फुटेज बनाई,.
डायना के इंटरव्यू पर विवाद
1995 में बीबीसी पर राजकुमारी डायना का एक इंटरव्यू दिखाया गया. ये इंटरव्यू दुनिया भर में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले कार्यक्रमों में से एक था. इस इंटरव्यू को बीबीसी के मार्टिन बशीर ने लिया था.
हालांकि ये इंटरव्यू तो हिट था. लेकिन कई साल बाद ये सामने आया कि एक पूरा इंटरव्यू एक फर्जी दस्तावेज पर आधारित था. बीबीसी पत्रकार मार्टिन बशीर ने एक जाली दस्तावेज अर्ल स्पेंशर नाम के शख्स को दिखाया और उसका विश्वास जीता. इसके एवज में स्पेंशर ने मार्टिन बशीर को डायना से मिलवाया था.
इसी का फायदा उठाते हुए पत्रकार बशीर ने राजकुमारी डायना को इंटरव्यू के लिए राजी कर लिया. बाद में इस मामले में हुए एक जांच में बीबीसी और पत्रकार बशीर पर आरोप लगा कि उन्होंने इस इंटरव्यू को करने के लिए "ईमानदारी और पारदर्शिता के स्थापित मानकों" के साथ समझौता किया.
बीबीसी का इतिहास
अपने प्रसारणों के लिए दुनिया भर में चर्चा बटोरने वाले बीबीसी की स्थापना 18 अक्टूबर 1922 को हुई थी. इसकी स्थापना वायरलेस निर्माताओं ने की थी. तब इसका नाम ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी था. बाद में ब्रॉडकास्टिंग कंपनी को बदलकर ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन कर दिया गया.
जनवरी 1927 में एक शाही फरमान द्वारा ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन की स्थापना की गई. इन वर्षों में, बीबीसी ने अपना अच्छा खासा विस्तार किया हैं. और अब यह हिंदी, बंगाली, नेपाली, तमिल, गुजराती, मराठी, पंजाबी और तेलुगु और अंग्रेजी में भारत में अपने कार्यक्रमों का प्रसारण करता है.