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असम में बाढ़ से तबाही, गांवों का संपर्क टूटा, राहत के इंतजार में लोग... ग्राउंड जीरो से देखिए भयावह मंजर

असम में लगातार बारिश से बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. शहरी विकास मंत्री जयंत मल्ला बरुआ के अनुसार, गुवाहाटी शहर की सबसे बड़ी समस्या मेघालय से आने वाला पानी है, जिसके नियंत्रण के लिए असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों की बैठक प्रस्तावित है. उन्होंने बताया कि लखीमपुर जिला सर्वाधिक प्रभावित है और मुख्यमंत्री ने स्थिति का जायजा लिया है. राज्य में भूस्खलन से गुवाहाटी में 5 लोगों सहित कुल 7-8 लोगों की मृत्यु हुई है. सरकार राहत कार्य में जुटी है और एनडीआरएफ की टीमें तैनात हैं.

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बाढ़ में डूबा असम का जनजीवन (फोटो क्रेडिट - पीटीआई)
बाढ़ में डूबा असम का जनजीवन (फोटो क्रेडिट - पीटीआई)

पूर्वोत्तर के राज्यों में लगातार बारिश से बाढ़ और भूस्खलन ने तबाही मचाई है. असम में भी हालात भयावह बने हुए हैं. कई गांव जलमग्न हो गए हैं और उनका संपर्क शहरों से टूट गया है. लोग अभी सरकारी मदद के इंतजार में हैं. 

राजधानी गुवाहाटी के शहरी इलाकों में हालात कुछ हद तक थोड़े बेहतर हुए हैं. लेकिन राज्य सरकार की ओर से रेड अलर्ट अभी भी जारी है. क्योंकि मेघालय में आने वाले दिनों में बारिश की संभावना जताई गई, जिसके हालात बिगड़ सकते हैं.

आजतक संवाददाता तपस सेनगुप्ता ने असम के गांवों का दौरा कर ग्राउंड जीरो से मौजूदा स्थिति के बार में विस्तार से बताया है. आइए जानते हैं कि असम में अभी क्या हालात हैं. 

असम के शहरी मामलों के मंत्री जयंत मल्ला बरुआ से बातचीत

तपस सेनगुप्ता: असम की जो स्थिति पिछले चार पांच दिनों से हम देख रहे हैं बद से बदतर होती जा रही है. क्या स्थिति इस समय है? आंकड़े क्या है, कितने लोगों को अभी तक सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया है? क्या स्थिति बनी हुई है अभी असम में?

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मंत्री जयंत मल्ला बरुआ: असम में अगले चार पांच दिनों से लगातार बारिश हो रही है. तो इस बारिश का कारण असम में हर जगह बाढ़ का स्थिति थोड़ा खराब हो जाता रहा है. हमारे शहर में भी ऐसा माहौल है. पूरे शहर में बाढ़ आ गया था और पूरा चार पांच डिस्ट्रिक्ट में अभी बाढ़ की चपेट में है. बाढ़ खतरनाक स्तर पर है. तो हमारे गवर्नमेंट ने जितना तक हो सके, कोशिश कर रहा हूं के साथ जूझने के लिए और जितना तक साहित्य सामग्री देना सब का जरूरत है पूरा उसका मजबूत करके दे रहा हूं. फिर भी लगातार बारिश हो ही रहा है और बाढ़ का स्थिति भी बिगड़ रहा है. 

उन्होंने कहा, हमारा पूरा जो रेवइन्यू डिपार्टमेंट डिजास्टर मनेजमेंट डिपार्टमेंट को अलर्ट करके रखा हुआ है. कुछ दिनों से आखिरी साल से हम लोग कोशिश कर रहा तो उसको कैसे सुधारा जाए. उसका भी कुछ अच्छा फल मिला है. बहुत सारे जगहों में जल्दी पानी निकल रहा है और जो पहले बहुत ज्यादा वाहन हुआ था उसी जगह में अभी बाढ़ बहुत कम है. लेकिन बहुत सारे ऐसा जगह है जहां राहत सामग्री पहुंचाने में कठिनाइयां आ रही हैं. जितना तक हो सके असम सरकार पूरा कोशिश कर रहा है और बहुत अच्छे तरीके से यह कंट्रोल हो रहा है. 

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तपस सेनगुप्ता: कितने लोगों को अभी आप लोगों ने बाहर निकाला है और कौन-कौन से ऐसे जिले या इलाके हैं जो सबसे ज्यादा बाढ़ से प्रभावित है?

मंत्री जयंत मल्ला बरुआ: बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित लखीमपुर जिला है. जहां मुख्यमंत्री ने भी दौरा किया है. लोगों को राहत शिविर में लगा गाया है. गुवाहाटी में भी लैंडस्लाइड में पांच लोगों की मृत्यु हो गई है. 

तपस सेनगुप्ता: पूरे राज्य में कितने लोगों की मौत हुई है?

मंत्री जयंत मल्ला बरुआ: पूरे राज्य में करीब 7 से 8 लोगों की मौत हुई है. मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिया गया. सरकार राहत कार्य में जुटी है और एनडीआरएफ की टीमें तैनात हैं.

गांवों का संपर्क टूटा, नाव ही सहारा

बाढ़ की वजह से स्थिति इतनी भयावह हो गई है गांव के लोगों के लिए देशी नाव ही सहारा बन गया है. गांव के लोग एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए नावों का सहारा ले रहे हैं. 

तारीगांव जिले के कई गांवों में अभी भी पानी खतरे के निशान के ऊपर है. उनका बाकी दुनिया से संपर्क टूट गया है. 

स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क पूरी तरह से डूब गई है. नावों के सहारे वो राशन लेने और रिश्तेदारों से मिलने जा रहे हैं. 

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सड़कों पर बह रहा पानी, खेत तबाह

इमलीगांव (जिला कामरूप) में बाढ़ की वजह से किसानों को बहुत नुकसान हुआ है. खेत तबाह हो गए हैं सड़कों पर पानी बह रहा है. 

आजतक संवाददाता ने देखा कि लोग घुटने भर पानी में चलने के लिए मजबूर हैं. पानी में बहुत मुश्किल से दोपहिया वाहन चला रहे हैं. 

एक किसान ने कहा कि बाढ़ की वजह से पूरा फसल बर्बाद हो गया है.

इमलीगांव की महिलाएं बोलीं – 'अब तक कोई सरकारी मदद नहीं'

आजतक संवाददाता से इमलीगांव की महिलाएं ने कहा कि वह बीते चार-पांच दिनों से बाढ़ में फंसे हुए हैं. लेकिन सरकार की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है. खाने-पीने का सामान खत्म हो चुका है और मकान टूट गए हैं. 

एक महिला ने तो कहा कि कई दिनों से बच्चे सिर्फ बिस्किट खाने को मजबूर हैं. कोई भी अफसर गांव में नहीं आया है. 
 

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