चेन्नई के अन्ना विश्वविद्यालय में हुए यौन उत्पीड़न मामले पर मद्रास हाई कोर्ट और राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने स्वतः संज्ञान लिया. अब कोर्ट और महिला आयोग दोनों की तरफ से फैसले लिए जा चुके हैं. चेन्नई स्थित अन्ना विश्वविद्यालय कैंपस में 23 दिसंबर को एक छात्रा से कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया.
यौन उत्पीड़न की घटना उस वक्त हुई थी, जब छात्रा अपने मेल (पुरुष) फ्रेंड के साथ थी. पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए एक शख्स को भी गिरफ्तार किया है.
क्या बोला महिला आयोग?
एनसीडब्ल्यू ने इस संबंध में तमिलनाडु के डीजीपी को पहले ही नोटिस जारी कर दिया है. इसके साथ ही, राष्ट्रीय महिला आयोग की माननीय अध्यक्ष सुश्री विजया राहटकर ने मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी गठित की है. समिति में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ममता कुमारी, महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी और NHRC महाराष्ट्र और गोवा जोन के विशेष प्रतिवेदक प्रवीण दीक्षित, आईपीएस (रियाटर्ड) शामिल हैं.
समिति मामले की जांच करेगी और अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई का आकलन करेगी. यह तथ्यों का पता लगाने और ऐसी घटनाओं के दोहराव को रोकने के तरीकों का प्रस्ताव करने के लिए संबंधित अधिकारियों, पीड़िता, उसके परिवार, दोस्तों और तमाम गैर सरकारी संगठनों से भी बातचीत करेगी.
संभावना है कि फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी के सोमवार, 30 दिसंबर, 2024 को चेन्नई का दौरा करेगी.
यह भी पढ़ें: अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न मामले का मद्रास हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान, तमिलनाडु सरकार से मांगा जवाब
कोर्ट ने दिया SIT बनाने का आदेश
मद्रास हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले की जांच करने के लिए तीन महिला IPS अधिकारियों की एक SIT गठित करने का आदेश दिया है. एसआईटी मामले में FIR के लीक होने की भी जांच करेगी, जिसके कारण पीड़िता की पहचान उजागर हुई थी. कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को FIR लीक होने की वजह से पीड़ित को हुए आघात के लिए 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है.