चुनाव आयुक्तों के चुनाव के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर इन पदों पर शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों का पूरा ब्योरा मांगा है.
अधीर रंजन चौधरी ने विधायी विभाग के सचिव राजीव मणि को लिखे पत्र में चुनाव आयुक्त पदों के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की पूरी जानकारी उनके बायोडेटा सहित भेजने को कहा है.
उन्होंने कहा है कि चुनाव आयुक्तों, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीआईसी) और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए चुनाव प्रक्रिया का स्पष्टता से पालन होना चाहिए.
चौधरी चुनाव आयुक्तों के चुनाव के लिए बनी समिति के सदस्य हैं. वह सीआईसी और सीवीसी के चुनाव के लिए पीएम की अध्यक्षता में बनी समितियों के सदस्य भी हैं.
चौधरी ने कानून मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि मैं आपसे मीटिंग से पहले चुनाव आयुक्तों के पदों पर नियुक्ति से पहले शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों के बायोडेटा सहित उनका पूरा ब्योरा उपलब्ध कराने का आग्रह करता हूं.
बता दें कि पीएम की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक 14 मार्च को दोपहर दो बजे होगी. इस बैठक में चुनाव आयोग के दो चुनाव आयुक्तों का चुनाव किया जाएगा.
मालूम हो कि इस साल फरवरी में चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे रिटायर हो गए थे. वहीं, पिछले हफ्ते एक अन्य चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने पद से इस्तीफा दे दिया था. तीन सदस्यीय इस आयोग में निर्वाचन आयुक्तों के दोनों पद खाली हैं.
सूत्रों की मानें तो गोयल के कुछ मुद्दों पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त के साथ मतभेद तो थे. ये अलग बात है कि अमूमन बड़े अधिकारियों के बीच इतने मतभेद तो चलते हैं रहते हैं, लेकिन छह और सात मार्च को आयोग में माहौल थोड़ा अलग महसूस किया गया.
15 मार्च तक होगी नए पदों पर नियुक्ति
अब सरकार निर्वाचन आयोग में खाली हुए आयुक्तों के पद 15 मार्च तक भरने की कवायद में जुटी है. अब तक एक ही निर्वाचन आयुक्त की बहाली में जुटी सरकार को आनन-फानन में दो निर्वाचन आयुक्तों की बहाली की कसरत करनी पड़ रही है.
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प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री की ओर से मनोनीत एक मंत्री की चयन समिति संभवत: मंगलवार तक इस बाबत बैठक करेगी. सरकार की पूरी कोशिश है कि दो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति चुनाव की घोषणा से पहले हो जाए. सरकार के पास इस बुलेट रफ्तार के अलावा कोई रास्ता भी नहीं है.
हालांकि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने अरुण गोयल की नियुक्ति इसी बुलेट रफ्तार से किए जाने पर तंज कसा था. कोर्ट ने तब कहा था कि ऐसा कौन सा आसमान टूटा पड़ रहा था कि सरकार बिजली को तेजी से काम करने लगी. एक दिन में चयन प्रक्रिया पूरी कर ली गई, लेकिन इस बार अर्जेंसी कुछ अलग है और जायज भी है.