अडानी-हिंडनबर्ग विवाद पर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी. इससे पहले कोर्ट ने सेबी को अडानी समूह पर शेयरों की कीमत में हेरफेर के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर जज जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में आम निवेशकों के हितो की रक्षा पर सुझाव मांगा था. इससे पहले मंगलवार को जस्टिस सप्रे कमेटी ने सीलबंद लिफाफे मे स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी थी जबकि सेबी ने अदालत से 6 महीने का समय बढाने की मांग की है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से दो महीने के भीतर जांच करने को कहा था.
अडानी-हिंडनबर्ग मामले में जांच के लिए मार्च में सुप्रीम कोर्ट की बनाई छह सदस्यीय समिति ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है. अडानी समूह ने कहा है कि वो भी जांच रिपोर्ट को लेकर उत्सुक है. सुप्रीम कोर्ट ने जब हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच के लिए आर्थिक और वित्तीय प्रबंधन के विशेषज्ञों की समिति बनाने का आदेश दिया था तो अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने इस कदम का स्वागत किया था.
हालांकि, रिपोर्ट सीलबंद होने की वजह से अभी यह स्पष्ट नहीं है कि विशेषज्ञ पैनल ने इस रिपोर्ट में कोई समयसीमा विस्तार मांगा है या अंतिम या अंतरिम रिपोर्ट पेश की है. बता दें कि आर्थिक और वित्तीय मामलों के छह विशेषज्ञों की कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की अगुआई वाली पीठ गठित की थी.
क्या है हिंडनबर्ग-अडानी मुद्दा?
अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग ने इस साल जनवरी में गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी. हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर मार्केट में हेरफेर और अकाउंट में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. हालांकि, गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप ने आरोपों को निराधार और भ्रामक बताया था. उन्होंने दावा किया कि इस रिपोर्ट में जनता को गुमराह किया गया है.
इस रिपोर्ट की जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में एक्सपर्ट कमेटी के गठन का आदेश दिया था. इस कमेटी की अध्यक्षता रिटायर जस्टिस एएम सप्रे कर रहे हैं. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि SEBI इस मामले में जांच जारी रखेगी और 2 महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.