संसद के चालू बजट सत्र के दूसरे चरण में भी विपक्ष अडानी मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर है. विपक्षी दलों ने अडानी ग्रुप पर लगे आरोप की जांच जेपीसी से कराने की मांग को लेकर एक तरफ जहां संसद में मोर्चा खोल रखा है. वहीं, कई विपक्षी दलों ने भ्रष्टाचार, शेल कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप की जांच की मांग को लेकर अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी पत्र लिखा है.
विपक्षी दलों के सांसदों ने ईडी को मेमोरैंडम देने के लिए संसद भवन से ईडी दफ्तर तक मार्च भी निकाला जिसे दिल्ली पुलिस ने बीच में ही रोक दिया. इसके बाद विपक्षी दलों की ओर से ईडी को पत्र ई-मेल के जरिए भेजा गया. विपक्षी दलों ने ईडी के निदेशक एसके मिश्रा को पत्र भेजकर अडानी ग्रुप पर लगे आरोप की जांच की मांग की है. विपक्षी दलों ने ये भी कहा है कि एजेंसी अपने अधिकार क्षेत्र का त्याग नहीं कर सकती.
ईडी को भेजे गए पत्र में विपक्षी दलों ने हाल में राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ एजेंसी के एक्शन का भी जिक्र किया है और ये भी कहा है कि हम ये जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के कमीशन के सीमित अधिकार नहीं बदले जा सकते. विपक्षी दलों ने ईडी के निदेशक से इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने की अपील करते हुए दावा किया है कि पिछले तीन महीने में अडानी ग्रुप के खिलाफ कई साक्ष्य उपलब्ध कराए गए हैं.
जयराम रमेश ने ट्वीट किया पत्र
विपक्ष ने ईडी निदेशक को लिखे पत्र में कॉरपोरेट धोखाधड़ी के साथ ही राजनीतिक भ्रष्टाचार, स्टॉक की कीमतों में हेराफेरी, कॉरपोरेट समूह को लाभ पहुंचाने के लिए सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग के आरोप भी लगाए हैं. विपक्षी दलों की ओर से ईडी के निदेशक को भेजा गया ये पत्र कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने ट्विटर पर शेयर भी किया है.
ईडी निदेशक को भेजे पत्र पर इन दलों के हस्ताक्षर
विपक्ष की ओर से ईडी को भेजे गए पत्र पर कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई-एम, जेडीयू, शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट, राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके, झारखंड मुक्ति मोर्चा, आम आदमी पार्टी, आईयूएमएल, वीसीके, केरल कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं. गौरतलब है कि विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद भवन से ईडी दफ्तर तक मार्च कर मेमोरैंडम सौंपने का ऐलान किया था.
सांसद संसद भवन से ईडी दफ्तर के लिए रवाना भी हुए, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें बैरिकेडिंग कर बीच रास्ते में ही रोक दिया. दिल्ली पुलिस ने धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए सांसदों को आगे बढ़ने की अनुमति देने से इनकार कर दिया. इसके बाद विपक्षी सांसद, संसद भवन लौट आए थे.