कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द हुए सात दिन बीत चुके हैं, लेकिन पार्टी की ओर से अभी तक इस मामले में ऊपरी कोर्ट में अपील दाखिल नहीं की गई है. इसे लेकर अब कांग्रेस के ही नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी ही पार्टी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने सबसे बड़े 'नेता' के लिए एक हफ्ते में कोर्ट में एक 'अपील' भी दाखिल नहीं कर सकी है.
आचार्य प्रमोद ने कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का नाम लिए बिना उनका भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पार्टी एक 'प्रवक्ता' के लिए एक घंटे में 'सुप्रीम' कोर्ट पहुंच गई थी, लेकिन सबसे बड़े नेता के लिए हफ्तेभर से साइलेंट हैं.
पार्टी “प्रवक्ता”
— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) March 30, 2023
के लिये एक घण्टे में “सुप्रीम”
कोर्ट पहुँचने वाली पार्टी अपने सबसे बड़े “नेता”
के लिये एक “हफ़्ते” में एक “अपील” दाखिल भी ना कर पायी. @RahulGandhi @priyankagandhi @kharge
कब रद्द हुई राहुल गांधी की सदस्यता?
सूरत कोर्ट ने मानहानि मामले में पिछले शुक्रवार (24 मार्च) को राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी. इस फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद की सदस्यता को रद्द कर दिया है. जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है.
राहुल गांधी के पास अब क्या विकल्प है?
राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई है. हालांकि, राहुल को अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं. वो अपनी राहत के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, जहां अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है. हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से अगर स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है. लेकिन अगर ऊपरी अदालत से उन्हें राहत नहीं मिलती तो राहुल गांधी 8 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. राहुल गांधी 2019 में वायनाड से सांसद चुने गए थे.
क्या है पवन खेड़ा की गिरफ्तारी और जमानत का मामला?
23 फरवरी को कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था, वह कांग्रेस नेताओं के साथ रायपुर में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में शामिल होने के लिए इंडिगो की फ्लाइट से रवाना होने वाले थे. तभी दिल्ली पुलिस ने उन्हें फ्लाइट से उतारकर हिरासत में लिया गया था. इसके विरोध में कांग्रेस ने भारी विरोध प्रदर्शन किया था. कांग्रेसी नेता पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के विरोध में एयरपोर्ट पर ही धरने पर बैठ गए थे. हालांकि थोड़ी देर बाद ही सुप्रीम कोर्ट से पवन खेड़ा को जमानत मिल गई थी. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीएम को गौतमदास मोदी कहा था.
सूरत कोर्ट ने सुनाई थी 2 साल की सजा
राहुल गांधी ने कर्नाटक में 2019 लोकसभा चुनाव से पहले ये बयान दिया था. इस मामल में सूरत कोर्ट ने राहुल को 15000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देते हुए सजा को 30 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया. इस दौरान राहुल गांधी ऊपरी अदालत में सजा को चुनौती दे सकते हैं. कोर्ट ने अपने 170 पेज के फैसले में कहा है कि आरोपी खुद सांसद (संसद सदस्य) हैं और सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बाद भी आचरण में कोई बदलाव नहीं आया.
कोर्ट ने फैसल में कहा, ''आरोपी ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके सरनेम को लेकर देश के आर्थिक अपराधी जैसे नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या से उनकी तुलना की. आरोपी यहां अपना भाषण रोक भी सकता था और इन्हीं लोगों की भाषण में चर्चा कर सकता था, लेकिन आरोपी ने इरादे के साथ मोदी सरनेम वाले वालों का अपमान करने के लिए अपने भाषण में कहा, 'सभी चोरों के सरनेम मोदी क्यों होते हैं.''
अमित शाह ने भी साधा था निशाना
गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी को लेकर कहा था कि वह एकमात्र राजनेता नहीं हैं, जिन्होंने अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद विधानमंडल की सदस्यता खो दी है और इसके बारे में हो-हल्ला मचाने की कोई बात नहीं है. एक कार्यक्रम में अमित शाह ने कहा था कि राहुल को अपना केस लड़ने के लिए ऊपरी अदालत में जाना चाहिए. लेकिन वह इसके बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राहुल ने अपनी सजा पर रोक लगाने की अपील नहीं की है, तो यह किस तरह का अहंकार है? आप एक सांसद के रूप में बने रहना चाहते हैं और अदालत के समक्ष भी नहीं जाएंगे.
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