आज तक रेडियो पर 23 जून के सुबह के न्यूज़ एनालिसिस पॉडकास्ट में जिन ख़बरों बात होगी वो ख़बरें नीचे दी जा रही हैं. अमन गुप्ता ने एक्सपर्ट्स के साथ इन पर विस्तार से चर्चा की है. इसे सुनने के लिए यहां क्लिक करें या इस स्टोरी के आख़िर में भी लिंक दी गई हैं वहां जाकर भी आप इस न्यूज़ पॉडकास्ट तक पहुंच जाएंगे.
तीसरी लहर कब आयेगी कितनी खतरनाक होगी. किस उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करेगी ये अब तक कुछ साफ नहीं हो पाया है. कई एक्सपर्ट्स का कहना है घातक होगी तो कइयों का कहना है उतनी घातक नहीं होगी जितनी दूसरी लहर थी. इन सब चर्चाओं के बीच बच्चों को लेकर दूसरी लहर के बीच में सवाल उठते रहें की क्या अब बच्चें तीसरी लहर में ज्यादा प्रभावित होंगे? तो इसका जवाब भी 50 50 यही है की हो भी सकती है नहीं भी हो सकती है. लेकिन तीसरी लहर के खतरे के बीच मुंबई से एक बेहद हैरान करने वाला सर्वे आया है. सिरो सर्वे है ये. इस सर्वे के मुताबिक़ मुंबई में तकरीबन 50 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी मिली है. BMC के आदेश पर मुंबई में 1 अप्रैल 2021 से 15 जून 2021 के बीच ये सर्वे किया है. सर्वे में 18 साल से कम उम्र के कुल 2,176 बच्चों को शामिल किया गया था और यह सामने आया है कि सबसे ज्यादा 10 से 14 साल के 53.43% बच्चे संक्रमित हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, सीरो सर्वे में कुल 51.18% पॉजिटिविटी रेट पाया गया है. इससे साफ पता चलता है की जिन बच्चों में एंटीबॉडी मिली वे कभी न कभी कोरोना से संक्रमित रह चुके हैं. हैरानी इस बात की है पिछले सीरो सर्वे में 39 फीसदी बच्चों में covid एंटीबॉडीज मिली थी जो अब बढ़ गई है. यानी बच्चे पहले के मुकाबले ज्यादा संक्रमित हुए हैं. विशेषज्ञों की माने तो यह एक राहत वाली बात भी है. एंटीबॉडी बन जाने के कारण तीसरी लहर के दौरान इन बच्चों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो गया है. मैंने यूके के नेशनल हेल्थ सर्विस में कार्यरत डॉक्टर अविरल वत्स से बात की और उनसे यही पूछा की वो इस सर्वे के आंकड़े को कैसे देखते है? क्या इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की बच्चे भी उतने ही वल्नरेवल हैं? और क्या आगे वाले दिनों में उनका ये साइलेंट स्प्रीडर होना कितना चैलेंजिंग है?
कल भारत ने वैक्सीन की खुराक देने के मामले में अमरीका की आबादी के बराबर आंकड़े को पार कर लिया. भारत में अब तक करीब साढ़े 32 करोड़ वैक्सीन के डोज दिए जा चुके हैं हालाँकि अब भी चीन हमसे और दुनिया के ज़्यादातर देशों से बहुत आगे है, ये ठीक बात है कि लोगों में वैक्सीन को लेकर उत्सुकता भी है, वहीं इसी के साथ-साथ रिस्ट्रिक्शनस हटने के बाद लोग कोविड प्रोटोकॉल को लेकर लापरवाही बरतने लगे हैं.
लिहाज़ा, अगर कोविड के नम्बर्स फिर से बढ़ते हैं यानी कि अगर तनिक भी थर्ड वेव की सूरत बनती है तो हेल्थकेयर सिस्टम पर दबाव बढ़ेगा और फर्स्ट और सेकेंड वेव में हम इसकी दुर्गति से वाकिफ़ रहे हैं जब लोगों को एक अदद ऑक्सीजन सिलेंडर, बेड्स के लिए रोते-बिलखते देखा गया. ऐसे में, ये समझना वाक़ई बहुत ज़रूरी है कि फर्स्ट और सेकेंड वेव के बाद हमारे हेल्थकेयर सिस्टम में क्या बदलाव हुए हैं ? क्या वाक़ई कुछ सुधार हुआ भी है या ये महज़ कल्पनाएं हैं? बेड्स और हॉस्पिटल को एक्सेस करने के क्रम में चीज़ें कितनी आसान हुई है ? कितना एक्सेसिबल और अफोर्डेबल हैं ये सामान्य लोगों के लिए अब?
पंजाब में जैसे- जैसे विधानसभा चुनाव नज़दीक आता जा रहा है, वहाँ राजनीतिक सरगर्मियां तेज होने लगी है. अभी पंजाब कांग्रेस में आंतरिक कलह चल ही रहा है. उधर अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जनता को साधने की कोशिशों में जुट गए हैं. उन्होंने कहा कि अगर आम आदमी पार्टी (आप) अगले साल पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव को जीतती है तो पंजाब के सभी घरों में 200 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाएगी. साथ ही आम आदमी पार्टी ने पंजाब में कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर आरोप भी लगाया है कि पंजाब सरकार अरविंद केजरीवाल को वहां प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की इजाज़त नहीं दे रही है. हालांकि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने आम आदमी पार्टी के आरोपों से इनकार किया है. बहरहाल, इन सबसे इतर आम आदमी पार्टी की आगे की राह क्या है, सूबे में ? क्योंकि AAP ने 2017 के पंजाब चुनावों में ख़ूब दम तो लगाया था लेकिन उम्मीदों के मुताबिक वे कमतर ही रहें, पार्टी ने 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में 20 सीटें हासिल की थी. ऐसे में, इस बार के पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी की उम्मीदें क्या हैं और पार्टियां किन मुद्दों को उठा रही है सूबे में?
बिहार में जिस तरह की राजनैतिक प्रतिद्वंदिता, लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान में रही, उसके ठीक उलट चिराग और तेजस्वी समय-समय पर और साथ आने शिगूफे छोड़ते रहते हैं. दो दिन पहले ही चिराग ने कहा था कि तेजस्वी उनके छोटे हैं. उन्हें वे बचपन से जानते हैं. राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान को साथ आने का न्योता दे चुके हैं. हालांकि तेजस्वी की इन कोशिशों के बाद भी चिराग पासवान ने अभी बीजेपी और एनडीए से नाता तोड़ने का एलान नहीं किया है और न ही तेजस्वी यादव का ऑफ़र मंजूर किया है. ऐसे में, तेजस्वी यादव और चिराग पासवान जिस तरह दबे पाँव लोजपा और राजद को एक दूसरे के करीब लाने की कोशिश कर रहे हैं, वो ज़मीन पर कितना कारगर नज़र आता है? चिराग के लिए राजद में शामिल हो अपनी पॉलिटिकल वजूद की लड़ाई लड़ना बेहतर होगा या उन्हें लोजपा के ही बैनर तले जद्दोजहद जारी रखना चाहिए?
ऊपर दी गईं तमाम ख़बरों पर विस्तार से बात के अलावा, हेडलाइंस और आज के दिन की इतिहास में अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.
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