भारत के न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि 'आतंकवाद का कोई धर्म, कोई जात नहीं होती.' मालेगांव बम धमाके के मामले में एनआईए कोर्ट ने सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. कोर्ट ने जांच एजेंसियों की कार्रवाई में ढिलाई पर सवाल उठाए. यह भी कहा गया कि 2008 में हुए हमले के घटनास्थल को ठीक से बंद नहीं किया गया और सबूतों को नष्ट किया गया.