महाराष्ट्र की सियासत में अब बड़ा परिवर्तन हो गया है. NCP नेता अजित पवार ने अब डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली है. उनके साथ 9 और NCP नेताओं ने महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद की शपथ ली है. अजित पवार अपने साथी विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे और शपथ ली. इस दौरान उनके साथ महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहे.
इस बड़े सियासी हलचल से कई सवाल खड़े होने लगे हैं. सवाल है कि अब आगे क्या संभावना बनेगी? अब महाराष्ट्र की सरकार में दो डिप्टी सीएम रहेंगे. दरअसल सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि अजित पवार ऐसी बगावत पहले भी कर चुके हैं. साल 2019 में जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हुए थे, तो किसी दल को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला था. ऐसे में एक सुबह 5 बजे खबर आई कि भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है और इस सरकार को बनाने के लिए उन्होंने NCP से बगावत करने वाले अजित पवार से समर्थन लिया है.
एक डर यह भी...
अजित पवार ने उस वक्त अपनी पार्टी NCP से बगावत कर देवेंद्र फडणवीस को समर्थन दिया था और तीन दिन के लिए डिप्टी सीएम रहे थे. इसके बाद NCP नेता अजित पवार ने फडणवीस सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था और सरकार गिर गई थी. ऐसे में एक डर यह भी है कि कहीं पहले की तरह अजित पवार अपने फैसले से फिर न पलट जाएं.
पिछली बार नहीं बनी थी बात, गिर गई थी फडणवीस की सरकार
पिछली बार अजित पवार की बगावत के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा भी था कि अजित पवार ने उन्हें NCP के सभी 54 विधायकों के समर्थन का आश्वासन दिया था. फडणवीस ने कहा था कि उन्होंने मेरी कुछ विधायकों से बात कराई जिन्होंने मुझसे कहा कि वे भाजपा के साथ जाना चाहते हैं.
शिवसेना जैसी हो सकती है स्थिति
हालांकि अजित पवार यह भी दावा कर रहे हैं कि उनके साथ 40 NCP विधायक हैं. बताते चलें कि राज्य विधानसभा में NCP के कुल 54 विधायक हैं. ऐसे में 40 अगर अजित पवार के साथ जाते हैं तो निश्चित ही यह ठीक वैसे ही स्थिति हो जाएगी जैसी कि एक साल पहले शिवसेना में थी. यानी एकनाथ शिंदे ने बगावत की और फिर सरकार को समर्थन दिया और बाद में कानूनी लड़ाई से असली शिवसेना का नाम भी उन्हें ही मिला.
शिंदे ने भी की थी ऐसी ही बगावत
गौरतलब है कि उद्धव गुट और शिंदे गुट के बीच सियासी तकरार उस वक्त शुरू हो गई थी, जब एकनाथ शिंदे ने अपने खेमे के कुछ विधायकों के साथ उद्धव गुट से बगावत कर दी थी. इसके बाद शिवसेना नेता कुछ दिनों तक गुवाहाटी के होटल में भी जाकर ठहरे थे. इसके बाद लौटकर उन्होंने भाजपा के साथ सरकार बनाने का दावा ठोंका था. इसके बाद भाजपा के समर्थन से शिंदे ने अपने समर्थक विधायकों के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाई और देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने.
पार्टी तोड़ने के लिए 36 विधायकों की जरूरत
आपको बताते चलें कि एनसीपी के पास मौजूदा समय में 54 सीटें हैं, पार्टी तोड़ने के लिए उन्हें 2/3 सीटें चाहिए. यानी कि अजित पवार के साथ 36 से ज्यादा विधायक होने चाहिए. उनका दावा है कि 40 विधायक उनके साथ हैं.