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शक्ति प्रदर्शन या 2024 के लिए खोला नया रास्ता.... शरद पवार के इस्तीफे के 6 मायने

महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार ने मंगलवार को ऐलान किया है कि वे एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ देंगे. पवार 1999 में NCP के गठन के वक्त से राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पिछले साल उन्हें 4 साल के लिए अध्यक्ष चुना गया था. पवार के ऐलान के बाद राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं. कहा जाने लगा है पवार मंझे हुए नेता हैं. उनके फैसले के पीछे बड़े मकसद होंगे.

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शरद पवार ने NCP अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की बात कही
शरद पवार ने NCP अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की बात कही

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मंगलवार को महाराष्ट्र में बड़े सियासी उथल-पुथल की सुगबुगाहट देखने को मिली है. NCP सुप्रीमो शरद पवार ने पद छोड़ने का ऐलान किया है. पवार 1999 में एनसीपी के गठन के वक्त से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पिछले साल ही उन्हें फिर से चार साल के लिए अध्यक्ष चुना गया था. वे 24 साल से इस पद पर हैं. उनके ऐलान के बाद राज्य की राजनीति में खलबली है. नए एनसीपी मुखिया को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. पार्टी में भी खींचतान शुरू हो गई है. पार्टी कार्यकर्ता दफ्तर में डटे हैं और शरद पवार से फैसला वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

बता दें कि शरद पवार ने मंगलवार को अपनी आत्मकथा के विमोचन पर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को बुलाया था. शरद पवार के ऐलान के बाद वहां मौजूद सभी नेताओं ने एक-एक कर उनसे फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा. सिर्फ सुप्रिया एकमात्र ऐसी नेता थी, जिन्होंने कुछ नहीं कहा. ऐसे में शरद पवार के इस्तीफे के क्या मायने हैं? और पार्टी की पावर पॉलिटिक्स क्या है... इन सभी सवालों के जवाब तलाशे जाने लगे हैं.

इस्तीफे के ऐलान के बाद उठ रहे हैं सवाल?

सवाल उठा रहा है कि पार्टी में खींचतान की वजह से शरद पवार ने इस्तीफा दिया है? क्या शरद पवार के इस्तीफे से पार्टी दो हिस्सों में बंट जाएगी? या फिर शरद पवार ने इस्तीफा देकर नए गठबंधन का रास्ता खोल दिया है? और पवार के पार्टी की जिम्मेदारी छोड़ने के बाद कांग्रेस या महाविकास अघाड़ी को नुकसान झेलना पड़ेगा?

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इस्तीफा वापस नहीं लिया तो अगला अध्यक्ष कौन?

फिलहाल, आने वाले वक्त में इन सभी सवालों का जवाब मिलने की उम्मीद है. जानकारों का कहना है कि कांग्रेस में जैसे सोनिया गांधी बैकडोर से अपनी पार्टी के फैसले और कार्यों पर नजर बनाए रखती हैं, ठीक वैसे ही शरद पवार भी पार्टी के लिए काम कर सकते हैं. शरद पवार पिछले 63 साल से राजनीति में सक्रिय हैं. उन्होंने इस्तीफा वापस नहीं लिया तो अगला अध्यक्ष कौन होगा? उन्होंने खुद कहा है कि पार्टी की कमेटी आगे का फैसला करेगी, वो तय करेगी कि अगला अध्यक्ष कौन होगा.

आज क्या कहा शरद पवार ने...

अब मुझे जो समय मिलेगा, उसे देखते हुए मैं अभी से इस काम पर ज्यादा ध्यान देने वाला हूं. मैं यह नहीं भूल सकता कि पिछले 6 दशकों में महाराष्ट्र और आप सभी ने मुझे मजबूत समर्थन और प्यार दिया है. पार्टी जिस दिशा में जाना चाहती है, यह नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन करने का समय है. मैं सिफारिश कर रहा हूं कि अध्यक्ष पद के चुनाव पर फैसला करने के लिए एनसीपी सदस्यों की एक समिति बनानी चाहिए. मेरे साथियों, भले ही मैं अध्यक्ष पद से हट रहा हूं, लेकिन मैं सार्वजनिक जीवन से रिटायर नहीं हो रहा हूं. 'निरंतर यात्रा' मेरे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है. मैं सार्वजनिक कार्यक्रमों, बैठकों में भाग लेता रहूंगा. चाहे मैं पुणे, मुंबई, बारामती, दिल्ली या भारत के किसी भी हिस्से में रहूं, मैं हमेशा की तरह आप सभी के लिए उपलब्ध रहूंगा. मैं लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए चौबीसों घंटे काम करता रहूंगा.

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बेटी सुप्रिया या भतीजे अजित... कौन होगा नया NCP चीफ?

शरद पवार ने साफ कर दिया है कि अब नई पीढ़ी को कमान देने की जरूरत है. ऐसे में दो नाम ही चर्चा में हैं. बेटी सुप्रिया सुले और भतीजे अजित पवार. हाल ही में अजित की बीजेपी से नजदीकियों को लेकर कयासबाजी तेज है. कहा जा रहा था कि वो जल्द ही कुछ विधायकों के साथ बीजेपी से हाथ मिला सकते हैं. हालांकि, सोमवार को उन्होंने MVA की रैली में जाकर बीजेपी पर हमला बोला और कयासबाजी पर विराम लगा दिया था. लेकिन, संभावनाएं अभी खत्म नहीं हुई हैं. कहा जा रहा है कि एनसीपी आने वाले दिनों क्या बीजेपी के साथ जाएगी. 

'तो MVA में नया खिलाड़ी कौन?'

अगर पवार अपना फैसला वापस नहीं लेंगे तो किसके हाथ पावर होगी और यह भी कहा जा रहा है कि शरद पवार के पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने से इसका असर महाविकास अघाड़ी पर भी पड़ सकता है. चूंकि, शरद गठबंधन में सबसे सीनियर नेता हैं और उद्धव गुट से लेकर कांग्रेस उनसे ही सलाह मशविरा करके निर्णय लेती है. अब अगर पवार कमान नहीं संभालेंगे तो क्या MVA टूटेगा और महाराष्ट्र में अब नया खिलाड़ी कौन बनेगा?

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शरद पवार के इस्तीफे के मायने क्या?

- अजित पवार को लेकर तमाम तरह की कयासबाजी चल रही है. वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी की कमान सुप्रिया सुले को सौंपी जा सकती है. परिवार और पार्टी में अंदरूनी खींचतान की बातें हो रही हैं. माना जा रहा है कि शरद पवार ने पार्टी और परिवार की अंदरूनी खींचतान रोकने के मकसद से अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान किया है.
- हाल ही में एनसीपी नेता अजित पवार के बयान में एक बड़ी राजनीतिक महत्वाकांक्षा देखने को मिली थी. उन्होंने कहा था कि मैं 100 परसेंट सीएम बनना चाहता हूं. इसके लिए 2024 का इंतजार क्यों करना? अजित का ये बयान ऐसे समय पर आया, जब कहा जा रहा है कि NCP में फूट पड़ सकती है और वो बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इधर, शरद पवार ने MVA की कमान संभाले हैं. उनके पद पर रहते अजित की बगावत संगठन में फूट डाल सकती है. ऐसे में माना जा रहा है कि शरद पवार ने 2024 के लिए नए गठबंधन का रास्ता खोलने के लिए पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का फैसला लिया है.

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- शरद के पार्टी की कमान छोड़ने के बाद नए अध्यक्ष पर गठबंधन को लेकर आगे बढ़ने की जिम्मेदारी रहेगी. नए अध्यक्ष पर भविष्य के गठबंधन की जिम्मेदारी रहेगी. अजित ने कुछ दिन पहले ही महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन को लेकर कहा था कि हम पहले धर्मनिरपेक्षता और प्रगतिशील होने के बारे में बात करते थे, लेकिन 2019 में कांग्रेस और NCP ने सरकार बनाने के लिए शिवसेना के साथ गठबंधन किया और हम धर्मनिरपेक्षता की लाइन से अलग हो गए. इसकी बड़ी वजह ये थी कि शिवसेना एक हिंदुत्व पार्टी रही है. अब इस बयान के राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं.

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-शरद पवार पिछले साल ही फिर से पार्टी अध्यक्ष बने हैं. दिल्ली में पार्टी की संसदीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्हें सर्वसम्मति से जिम्मेदारी दी गई थी. हालांकि, तब यह भी सामने आया था कि बैठक में शामिल अजित पवार अचानक वहां से चले गए थे. शरद लगातार 24 साल से अध्यक्ष हैं. 1960 से राजनीति में हैं और 63 साल से सक्रिय हैं. अब अचानक पद छोड़ने का मतलब मामला गंभीर होने की तरफ से इशारा कर रहा है.
- शरद पवार ने कहा है कि अब नई पीढ़ी को जिम्मेदारी देनी चाहिए. ऐसे में माना जा रहा है कि शरद पवार के इस बयान के बड़े संकेत हैं. पवार के पीछे हटने के राजनीतिक मायने हो सकते हैं. नए अध्यक्ष के पार्टी से लेकर गठबंधन तक के फैसले उनके खुद के होंगे. इसकी जिम्मेदारी पवार पर नहीं आ सकेगी. क्योंकि वो पार्टी की जिम्मेदारी से दूर होंगे.

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- दरअसल, शरद पवार मंझे हुए नेता हैं. उन्होंने इस्तीफे का ऐलान कर पार्टी और परिवार के बीच अंदरूनी विवाद को लेकर बड़ा संदेश भी दिया है. कहा जा रहा है कि पवार ने विरोध करने वालों के बीच अपना शक्ति प्रदर्शन किया है. पवार के इस्तीफे के ऐलान के बाद सभी नेताओं ने उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा. इतना ही नहीं, पार्टी के कार्यकर्ता भी नाराज हैं और दफ्तर में प्रदर्शन कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि पवार अपने इस्तीफे का फैसला वापस लें, तभी वो मौके से हटेंगे.

शरद पवार के ऐलान के बाद क्या बोले अजित? 

शरद पवार के ऐलान के बाद अजित पवार ने कहा, हम परिवार के लोग और पार्टी के नेता साथ में बैठेंगे. पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फैसला किया जाएगा. पार्टी की बैठक में आपकी भावनाओं के तहत ही शरद पवार फैसला करेंगे, ये आश्वासन मैं आपको दे सकता हूं. अजित पवार ने कहा, पवार साहब चाहते हैं कि नई पीढ़ी नेतृत्व करे. ऐसे में नए नेतृत्व को मौका मिलना चाहिए. बार बार उनसे फैसला लेने के लिए न कहें. वे फैसला वापस नहीं लेंगे. हालांकि, हमें शरद पवार का समर्थन मिलता रहेगा. उनके सहमति से ही फैसला किए जाएंगे.

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पवार ने कांग्रेस छोड़कर बनाई थी NCP

इससे पहले 19 अप्रैल को शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा था कि अगले 15 दिनों में दो राजनीतिक ‘धमाके’ होंगे. निश्चित रूप से सुप्रिया सुले का संकेत इसी ओर था. हालांकि उनका दूसरा कथित 'धमाका' अभी भी भविष्य में छिपा हुआ है. बता दें कि शरद पवार ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाया था और 1999 में कांग्रेस छोड़ दी थी. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन किया था. 

ये नेता चुनेंगे NCP का अगला अध्यक्ष

शरद पवार ने कहा- मैं एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं की एक समिति का सुझाव देता हूं जो भविष्य की कार्यवाही के साथ-साथ यह भी तय करेगी कि किसे क्या जिम्मेदारी मिलेगी. इस समिति में प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, पीसी चाको, नरहरि जिरवाल, अजित पवार, सुप्रिया सुले, जयंत पाटिल, छगन भुजबल, दिलीप वलसे-पाटिल, अनिल देशमुख, राजेश टोपे, जितेंद्र आव्हाड, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, जयदेव गायकवाड़ और पार्टी के फ्रंटल सेल के प्रमुख शामिल होंगे.

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