शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि अतीत में अविभाजित शिवसेना और कांग्रेस कट्टर प्रतिद्वंद्वी थे, लेकिन उन्होंने कभी एक-दूसरे के प्रति प्रतिशोध की भावना से काम नहीं किया. दिवंगत राजीव गांधी की जयंती के अवसर पर आयोजित 'सद्भावना दिवस' कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय एजेंसियों ने कभी भी शिवसेना नेताओं को परेशान नहीं किया, भले ही पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे ने अपने भाषणों में तत्कालीन प्रधानमंत्री की आलोचना की हो.
भारतीय जनता पार्टी से अलग होने के बाद 2019 में कांग्रेस से हाथ मिलाने वाले उद्धव ठाकरे ने पहली बार कांग्रेस के किसी कार्यक्रम में हिस्सा लिया. कार्यक्रम में एनसीपी (सपा) प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल हुए. राजीव गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए ठाकरे ने कहा कि 1984 में 400 से अधिक सीटों के प्रचंड बहुमत के बावजूद उन्होंने पंचायती राज को मजबूत करने और सत्ता का विकेंद्रीकरण करने के लिए कानून बनाए.
पीटीआई के मुताबिक ठाकरे ने कहा, "शिवसेना और कांग्रेस कट्टर विरोधी थे, लेकिन उन्होंने कभी एक-दूसरे के प्रति प्रतिशोध की भावना से काम नहीं किया." उन्होंने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, "शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने राजीव गांधी की कड़ी आलोचना की थी (जब गांधी प्रधानमंत्री थे), लेकिन मुझे याद नहीं आता कि सीबीआई, ईडी या आयकर विभाग ने कभी शिवसेना नेताओं के दरवाजे खटखटाए हों. राजीव गांधी कभी भी चुनौतियों से निपटने से पीछे नहीं हटे और उन्होंने उनका डटकर सामना किया."
उन्होंने पंजाब और पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद से निपटने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र किया. उन्होंने एनडीए सरकार पर एक और कटाक्ष करते हुए कहा, "लेकिन (अब रवैया यह है कि) मणिपुर और कश्मीर को जलने दो." ठाकरे ने भाजपा पर "पावर-जिहाद" का सहारा लेने का भी आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि विपक्ष आम चुनावों में भाजपा नीत गठबंधन की लोकसभा में ताकत कम करने में कामयाब रहा, लेकिन महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन को निर्णायक रूप से पराजित करना होगा. ठाकरे ने कहा कि भाजपा ने उन पर कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए हिंदुत्व को त्यागने का आरोप लगाया, लेकिन भगवा पार्टी को जेडी(यू) प्रमुख नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू (जिनकी विचारधाराएं अलग हैं) के साथ हाथ मिलाने में कोई आपत्ति नहीं है.