महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में इतिहास से जुड़ी एक बड़ी खोज सामने आई है. चंद्रपुर तालुका में वर्धा और पैनगंगा नदियों के संगम पर स्टेगोडॉन प्रजाति के हाथी के जीवाश्म मिले हैं. यह खोज भूवैज्ञानिक और शोधकर्ता प्रो. सुरेश चोपने ने की है. अनुमान है कि ये जीवाश्म 25,000 से 12,000 साल पुराने हैं और प्लीस्टोसीन युग से संबंधित हैं.
यह पहली बार है जब महाराष्ट्र में स्टेगोडॉन गणेशा प्रजाति के जीवाश्म पाए गए हैं. इससे पहले राज्य के अन्य जिलों में एशियाई हाथियों के जीवाश्म मिल चुके हैं, लेकिन इस खोज ने विदर्भ क्षेत्र में जीवाश्म अनुसंधान को नई दिशा दी है.
स्टेगोडॉन प्रजाति के हाथी के जीवाश्म मिले
खास बात यह है कि जीवाश्मों के साथ पाषाण युग के पत्थर के औजार भी मिले हैं, जो यह संकेत देते हैं कि उस समय के मानव इन विशाल जानवरों का शिकार करते थे. संभव है कि अधिक शिकार ही इनके विलुप्त होने का कारण बना हो.
प्रो. सुरेश चोपने 2019 से 2024 तक इस क्षेत्र में जीवाश्म खोज में लगे रहे. उन्हें हाथियों की जांघ की हड्डियां, दांत, खोपड़ी और छाती की हड्डियां मिलीं. उन्होंने यह सभी अवशेष अपने घर पर बने ‘सुरेश चोपने रॉक म्यूजियम’ में सुरक्षित रखा है.
जीवाश्म 25,000 से 12,000 साल पुराने
इस खोज को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों में भी उत्सुकता है. वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के प्रोफेसर डॉ. अविनाश नंदा सहित कई विशेषज्ञों ने इसे स्टेगोडॉन हाथी के दुर्लभ जीवाश्म माना है.