वनवासी कल्याण आश्रम संघ से जुड़ी संस्था है और आदिवासी इलाकों में काम करती है. इस संस्था ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि हालांकि पालघर की घटना अकस्मात मालूम पड़ सकती है, लेकिन इसके पीछे क्रिश्चयन मिशनरियों और वामपंथियों की ओर से फैलाई जा रही विचारधारा का बड़ी रोल है.
क्रिश्चयन मिशनरियों पर आरोप
वनवासी कल्याण आश्रम ने कहा है कि ये गरीबों को भ्रमित करते हैं इन्हें भड़काते हैं. वनवासी कल्याण आश्रम का दावा है कि ये संस्थाएं धर्मांतरण तो कराती ही हैं, हिन्दू धर्म, पूजा पद्धति, पर्व और संस्कारों के खिलाफ नफरत की भावना भी फैलाती हैं.
पढ़ें- पालघर लिंचिंग: मारे गए ड्राइवर के परिवार की मांग- ‘हत्यारों को हो फांसी’
वामपंथियों और क्रिश्चयन मिशनरियों के खिलाफ जांच की मांग
वनवासी कल्याण आश्रम ने कहा कहा है कि ये सिलसिला सालों से चलता आ रहा है और इसकी परिणति साधुओं के लिंचिंग के रूप में हुई है. वनवासी कल्याण आश्रम ने इलाके में काम कर रहे वामपंथियों और क्रिश्चयन मिशनरियों के खिलाफ जांच की मांग की है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी इस हत्या की जोरदार निंदा की थी और इसके पीछे की साजिश को उजागर कर इस साजिश के दोषियों को वाजिब दंड देने की मांग की थी.
इस बाबत संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने एक बयान जारी किया है. इसमें कहा गया है, "महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक दूरस्थ गांव में जूना अखाड़े के पूज्य संतों की दुखद और निर्मम हत्या की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कठोर निंदा करता है, संघ महाराष्ट्र सरकार से यह अपेक्षा करता है कि इस पूरे षडयंत्र को उजागर करते हुए वास्तविक दोषियों को गिरफ्तार कर यथोचित दंड सुनिश्चित किया जाए."