महाराष्ट्र में विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सदस्यों ने शनिवार को विधानसभा के तीन दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन विधायक के रूप में शपथ नहीं लेने का फैसला किया. उन्होंने हाल ही में हुए राज्य चुनावों में ईवीएम के दुरुपयोग का आरोप लगाया.
राज्य विधानमंडल के निचले सदन का विशेष सत्र सुबह 11 बजे शुरू हुआ. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनके उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार समेत सत्तारूढ़ दलों के कई सदस्यों ने विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ली. हालांकि, विपक्षी दलों - कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) के सदस्यों ने शपथ नहीं लेने का फैसला किया.
हमें ईवीएम पर संदेह- आदित्य ठाकरे
विधान भवन परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, "एमवीए ने आज सदन के सदस्य के रूप में शपथ नहीं लेने का फैसला किया है. जब कोई सरकार इतने बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आती है, तो जश्न मनाया जाता है. सवाल उठता है कि उसे जो जनादेश मिला है, वह जनता ने दिया है या ईवीएम और भारत के चुनाव आयोग ने."
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उन्होंने कहा कि विपक्ष सोलापुर के मालशिरस विधानसभा क्षेत्र के मरकडवाड़ी गांव में कर्फ्यू और गिरफ्तारियों का भी विरोध कर रहा है, जहां ग्रामीणों ने मतपत्रों का उपयोग करके 'पुनर्मतदान' की मांग की थी. उन्होंने कहा, "हम शपथ नहीं ले रहे हैं, बल्कि लोगों के मन में जो संदेह है, उसका संज्ञान ले रहे हैं."
अजित पवार बोले- ईवीएम को दोष देने का कोई मतलब नहीं
वहीं उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने विपक्ष के ईवीएम विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'ईवीएम पर कोई भी आपत्ति अनुचित है. ईवीएम को दोष देने का कोई मतलब नहीं है. जब एमवीए को लोकसभा में 31 सांसद मिले थे, तब उन्होंने ईवीएम को दोष नहीं दिया था. उन्हें विरोध करने का पूरा अधिकार है, लेकिन सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए विपक्ष को शपथ लेनी होती है. वे कल तक शपथ ले सकते हैं. ऐसा लगता है कि वे इस तरह के विरोध के माध्यम से अपनी मौजूदा ताकत दिखाना चाहते हैं.'
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