महाराष्ट्र की सियासत में बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महाविकास अघाड़ी एक-दूसरे के खिलाफ हैं, लेकिन निकाय चुनाव में दोस्ती और दुश्मनी की परिभाषा ही नहीं बदली, बल्कि गठबंधन का स्वरूप भी बदला हुआ नजर आ रहा. निकाय चुनाव में कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन दिख रहा, कौन किसका दोस्त हैं और कौन किसका दुश्मन, सब घालमेल हो गया.
महाराष्ट्र की 246 नगर परिषद और 42 नगर पंचायत सीटों पर मंगलवार को मतदान है. इस चुनाव में अपना-अपना सियासी वर्चस्व कायम करने के लिए महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों ही बिखर गए हैं. शिवसेना के दो धड़ों में बंटने के बाद एक-दूसरे के खिलाफ जुबानी जंग कर रहे थे, अब कई जगहों पर वो साथ लड़ रहे हैं.
कांग्रेस कई सीट पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ हाथ मिला रखा है. ऐसे ही कई सीटों पर शिंदे ने बीजेपी के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतार रखे हैं और अजित पवार का समर्थन हासिल कर रखा है. इतना नहीं शरद पवार और अजीत पवार भी कई सीट पर मिलकर बीजेपी के खिलाफ किस्मत आजमा रहे हैं. इस तरह महाराष्ट्र के निकाय चुनाव में सारे गठबंधन की पोल खुल गई है.
शिंदे और उद्धव ने फिर मिलाया हाथ
उद्धव ठाकरे के राइट हैंड माने जाने वाले एकनाथ शिंदे ने 2022 में उनका तख्तापलट कर दिया था. शिवसेना दो धड़ों में बंट गई थी और उद्धव की सरकार गिर गई थी. एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर इसे अंजाम दिया था, लेकिन अब निकाय चुनाव में फिर से शिंदे और उद्धव खेमे ने आपस में हाथ मिलाया है.
पुणे जिले की चाकण नगर परिषद में शिंदे की शिवसेना की उम्मीदवार मनीषा सुरेश गोर ने अध्यक्ष के लिए मैदान में हैं. शिंदे सेना के विधायक शरद सोनवाने और शिवसेना (UBT) के विधायक बबाजी काले उनके साथ हैं. इसके पीछे वजह यह है कि चाकण पालिका सीट पर बीजेपी मैदान में है. बीजेपी हराने के लिए दोनों शिवसेना खेमा एक साथ आ गए हैं.
चाकण सीट पर ही सिंधुदुर्ग जिले की कंकावली नगर परिषद सीट पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने आपस में हाथ मिला लिया. कंकावली नगर परिषद सीट पर उद्धव की शिवसेना (यूबीटी) से संदेश पारकरअध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ रहे हैं. शिवसेना (यूबीटी) का मुकाबला बीजेपी से हैं. बीजेपी को हराने के लिए शिंदे और उद्धव के नेता आपस में हाथ मिला रखे हैं.
शिंदे की शिवसेना की कांग्रेस से दोस्ती
शिंदे और उद्धव की दोस्ती नहीं बल्कि कांग्रेस से गलबहियां करते नजर आ रहे हैं. धाराशिव जिले की ओमेगा नगर परिषद में शिंदे की शिवसेना ने कांग्रेस के साथ हाथ मिला रखा.पूर्व शिवसेना सांसद रविंद्र गायकवाड़ ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की नई केमिस्ट्री बना रखी. ओमेगा सीट पर अध्यक्ष पद पर बीजेपी के हर्षवर्धन चालुक्या से भिड़ रहे हैं.
जलगांव के चोपड़ा में एकनाथ शिंदे की शिवसेना के विधायक चंद्रकांत सोनवाने ने अध्यक्ष पद के लिए अपने करीबी नेता को उतार रखा है, लेकिन बीजेपी के मैदान में होने से उन्होंने कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया. शिंदे की फोटो के साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी तस्वीर लगी हुई है. इसके वजह है कि बीजेपी ने कई सीट पर एकनाथ शिंदे के नेताओं को अपना प्रत्याशी बनाया तो उन्होंने हिसाब बराबर करने के लिए दुश्मन खेमे के साथ खड़े हो गए हैं.
शिंदे की दोनों एनसीपी के साथ दोस्ती
नासिक जिले की येओला नगर परिषद सीट पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना के रुपेश दराडे ने एनसीपी (एसपी) के माणिकराव शिंदे के साथ मिलकर बीजेपी-एनसीपी (अजित पवार) गठबंधन को चुनौती दे रहे हैं. वहीं, पालघर के दहानू नगरपरिषद सीट में दिख रहा है, जहां शिंदे की शिवसेना ने अजित पवार और शरद पवार दोनों की एनसीपी के साथ गठबंधन कर रखा, यहां पर उनका मुकाबला बीजेपी से है.
वहीं, कोल्हापुर जिले की कागल सीट पर दोनों एनसीपी आपस में हाथ मिलाक शिंदे की शिवसेना के खिलाफ मैदान में है. कोल्हापुर की जयसिंगपुर नगर परिषद में बीजेपी, कांग्रेस और किसान-केंद्रित स्वाभिमानी शेतकारी संघटना (SSS) ने शिंदे की शिवसेना समर्थित राजर्षि शाहू अघाड़ी के खिलाफ मैदान में एक साथ हैं.
शिंदे के खिलाफ सभी दल एकजुट
नासिक की भगुर नगर परिषद सीट पर शिंदे के खिलाफ सभी दल एक साथ हैं. बीजेपी, दोनों एनसीपी, शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस, एमएनएस एक हो गए हैं. ये सभी मिलकर शिंदे की शिव सेना की उम्मीदवार अनिता विजय करंजकर को मात देना चाहते हैं. इसके अलावा कल्याण-डोंबिवली में फडणवीस ने शिंदे के बेटे श्रीकांत के करीबी नेता को बीजेपी में शामिल कर लिया. इसके जवाब में शिंदे ने भी बीजेपी के कई पार्षदों को अपने साथ मिलाकर चुनाव मैदान में उतार रखा है.