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एमबीबीएस, एमडी और खुदकुशी... किसान पिता ने लिया था 3 लाख का कर्ज, झकझोर देगी डॉक्टर बेटी की ये कहानी

जिसने जिंदगी बचाना सीखा... उसे जिंदगी से हार माननी पड़ी! सिस्टम के दबाव, अत्याचार और टूटी उम्मीदों की दास्तां... महाराष्ट्र की वो डॉक्टर बेटी... दूसरों की जिंदगी बचाना उसका पेशा था, पर अपनी जिंदगी नहीं बचा सकी. एमडी करने का सपना और सिर पर तीन लाख का कर्ज… होटल में जान देने वाली इस डॉक्टर के हाथों पर लिखे शब्द इंसानियत को झकझोर देने के लिए काफी थे.

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लेडी डॉक्टर सुसाइड केस में क्या बोले परिजन. (File Photo: ITG)
लेडी डॉक्टर सुसाइड केस में क्या बोले परिजन. (File Photo: ITG)

एक काबिल और संवेदनशील डॉक्टर... जो लोगों का इलाज करती थी, जिनके हाथों से रोज किसी न किसी की जिंदगी बचती थी... लेकिन वही हाथ एक रात अपनी ही जान लेने को मजबूर हो गए. डॉक्टर ने अपने ही हाथ पर पेन से नोट लिखा और होटल में जान दे दी. महिला डॉक्टर के हाथों पर पेन से लिखे शब्द एक दर्द की दास्तान थी. ऐसी दास्तान, जिसने पूरे महाराष्ट्र को झकझोर कर रख दिया है.

एजेंसी के अनुसार, फलटण उपजिला अस्पताल में तैनात महिला डॉक्टर ने दो दिन पहले होटल में फांसी लगा ली थी. जब पुलिस कमरे में पहुंची, तो सबसे पहले नजर गई उस हथेली पर लिखे सुसाइड नोट पर. उस पर सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक व्यवस्था की हकीकत बयां की गई थी. डॉक्टर ने हाथ पर लिखा था कि पीएसआई गोपाल बदने ने कई बार बलात्कार किया. प्रशांत बनकर मानसिक रूप से परेशान करता था.

बीड जिले के वडवानी तहसील के एक गांव से निकली थी यह लड़की. पिता किसान थे, मां गृहणी. परिवार की आर्थिक हालत बहुत मजबूत नहीं थी, लेकिन बेटी का सपना बड़ा था- डॉक्टर बनना. उसके किसान पिता ने 3 लाख का लोन भी लिया था, ताकि बेटी का एमबीबीएस पूरा हो सके. बेटी ने मेहनत की, परीक्षा पास की और सरकारी सेवा में भर्ती हुई. उसकी पोस्टिंग सातारा जिले के फलटण उपजिला अस्पताल में हुई. परिवार के लिए यह गर्व की बात थी. बेटी गांव की वह लड़की थी, जिसने डॉक्टर बनकर नाम कमाया. लेकिन अब वही बेटी सिस्टम की बलि चढ़ गई.

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महिला डॉक्टर के दो चचेरे भाई भी डॉक्टर हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें परेशान करने के लिए ही पोस्टमार्टम की जिम्मेदारी सौंपी थी. पीड़िता के परिजनों के अनुसार, वह एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) की पढ़ाई करना चाहती थी और इसकी तैयारी कर रही थी.

उसके चाचा ने बताया कि एमबीबीएस कोर्स के लिए लिया गया 3 लाख रुपये का कर्ज अभी तक चुकाया नहीं गया था. उन्होंने कहा कि उसके पिता किसान हैं, वह ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं. मैं एक शिक्षक हूं और मैं उसे बीड में स्कूली शिक्षा के लिए ले गया था. वह एमबीबीएस तक ही सीमित नहीं रहना चाहती थी, बल्कि मेडिसिन, ईएनटी या नॉन-क्लीनिकल ब्रांच में एमडी करना चाहती थी.

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करियर में बढ़ने की चाह रह गई अधूरी

इस डॉक्टर बेटी का सपना था- एमडी करना, ताकि मेडिकल क्षेत्र में आगे बढ़ सके. परिजनों के अनुसार, वह इसकी तैयारी कर रही थी. लेकिन जिस जगह उसकी पोस्टिंग थी, वहां उसे बार-बार पोस्टमार्टम ड्यूटी में लगाया जाता था. परिजनों का आरोप है कि हॉस्पिटल प्रशासन उसे जानबूझकर ऑटोप्सी ड्यूटी देता था. यहां तक कि कुछ राजनीतिक लोग भी दबाव डालते थे कि वह मेडिकल रिपोर्ट बदल दे. परिजनों का कहना है कि डॉक्टर बेटी कई बार शिकायत कर चुकी थी.

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सुसाइड नोट में जिन दो नामों का जिक्र है, वो हैं सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदने और सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रशांत बनकर, जो उस मकान मालिक का बेटा था, जहां डॉक्टर किराए पर रहती थी. डॉक्टर ने नोट में लिखा था कि गोपाल बदने ने चार महीनों में कई बार उसका यौन शोषण किया. वह धमकी देता था. वहीं प्रशांत उसे मानसिक रूप से परेशान करता था. पुलिस की जांच में सामने आया है कि डॉक्टर ने आत्महत्या से पहले प्रशांत से फोन पर बात की थी.

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गुरुवार की रात फलटण के एक होटल के कमरे में डॉक्टर पहुंची. रात करीब 9 बजे उसने अपने फोन से आखिरी कॉल की प्रशांत बनकर को. इसके बाद सब खामोश हो गया. जब होटल स्टाफ को पता चला तो पुलिस को बुलाया गया. दरवाजा तोड़ा गया, और भीतर डॉक्टर फांसी के फंदे से लटकी मिली. उसकी हथेली पर नोट लिखा था.

पुलिस ने अब तक क्या कार्रवाई की

इस मामले में पुलिस ने सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदने को अरेस्ट किया है. पुलिस अधीक्षक तुषार दोशी ने कहा कि बदने ने शनिवार की शाम सातारा के फलटण ग्रामीण पुलिस स्टेशन में सरेंडर कर दिया, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. इससे पहले, शनिवार सुबह फलटण पुलिस ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रशांत बनकर को पुणे से गिरफ्तार किया, जिसका नाम डॉक्टर ने अपने सुसाइड नोट में बदने के साथ लिखा था.

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प्रशांत बनकर पर पीड़िता को मानसिक रूप से परेशान करने और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है. उसे शनिवार को सातारा कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे चार दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया. इस मामले में पुलिस का कहना है कि प्रशांत बनकर उस घर के मकान मालिक का बेटा है, जहां डॉक्टर रहती थीं. डॉक्टर ने प्रशांत को आत्महत्या करने से पहले प्रशांत को कॉल किया था.

इस बीच, डॉक्टर का बीड के वडवानी तहसील स्थित उनके पैतृक स्थान पर अंतिम संस्कार कर दिया गया. उनके रिश्तेदार आरोपियों को मृत्युदंड की मांग कर रहे हैं. एक रिश्तेदार ने आरोप लगाया कि पीड़ित डॉक्टर ने कई बार उत्पीड़न की शिकायत की, लेकिन उसकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया.

एक अन्य रिश्तेदार ने दावा किया कि जिस उप-ज़िला अस्पताल में वह काम करती थी, वहां पीड़िता पर मेडिकल रिपोर्ट बदलने का दबाव डाला गया. रिश्तेदार ने कहा कि फलटन के राजनीतिक लोग अक्सर उससे मेडिकल रिपोर्ट बदलने के लिए कहते थे, क्योंकि वह नियमित रूप से पोस्टमार्टम ड्यूटी पर रहती थी. उसने पीएसआई (नोट में नामित) के खिलाफ कई बार शिकायत की थी, लेकिन उसकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया.

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(इम्तियाज मुज़ावर के इनपुट के साथ)
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