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'मनमोहन सिंह को चेताया था, फिर भी PMLA बना जेल भेजने का हथियार', शरद पवार का बड़ा खुलासा

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को खुलासा किया कि उन्होंने यूपीए सरकार को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के संभावित दुरुपयोग की चेतावनी दी थी, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया.

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मनमोहन सिंह और शरद पवार (File Photo)
मनमोहन सिंह और शरद पवार (File Photo)

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को बड़ा खुलासा करते हुए दावा किया कि उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार को मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) के संभावित दुरुपयोग को लेकर पहले ही आगाह किया था, लेकिन उनकी चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया गया.

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यह बयान उन्होंने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सांसद संजय राउत की किताब ‘नरकातला स्वर्ग’ (नरक में स्वर्ग) के विमोचन के अवसर पर दिया. पवार ने कहा कि वर्तमान भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस कानून का उपयोग विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया है.

मनमोहन सिंह को किया था आगाह- पवार

पवार ने याद दिलाया कि वह उस समय UPA सरकार में मंत्री थे, जब तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने PMLA में संशोधन का प्रस्ताव लाया था. पवार ने कहा, “मैंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर उन्हें आगाह किया था कि यह कानून आगे चलकर दुरुपयोग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.” 

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उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 के बाद भाजपा सरकार ने इसी कानून का सहारा लेकर चिदंबरम समेत कई विपक्षी नेताओं को झूठे मामलों में जेल भेजा. उन्होंने बताया कि संजय राउत और अनिल देशमुख भी इसी कानून के शिकार हुए.

पवार के अनुसार, UPA के कार्यकाल में नौ नेताओं पर चार्जशीट जरूर दाखिल हुई थी, लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई. वहीं, एनडीए सरकार के शासन में अब तक कांग्रेस, AAP, डीएमके, राजद, टीएमसी और अन्य दलों के 19 नेताओं को निशाना बनाया गया है.

जावेद अख्तर ने की संजय राउत की तारीफ

कार्यक्रम में मौजूद शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि, "केंद्र सरकार की तानाशाही नीतियों ने भारत जैसे स्वर्ग को नर्क बना दिया है." गीतकार जावेद अख्तर ने संजय राउत की निडर लेखनी की प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने जेल की यातना के बावजूद झुकने से इनकार कर दिया. कार्यक्रम में टीएमसी सांसद साकेत गोखले भी मौजूद रहे. राउत की किताब उनके 101 दिन के जेल अनुभव पर आधारित है.

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