बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को ऐरोली के कांग्रेस पार्षद आनंद काले की 17 साल पहले हुई हत्या के मामले में जांच कर रही पुणे CID की फ्लाइंग स्क्वाड को सात दिनों हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने पूछा कि साल 2018 से अब तक इस केस की जांच करने वाले हर पुलिस अधिकारी का नाम और उन्होंने पिछले सात सालों में क्या-क्या किया, उसकी पूरी डिटेल दी जाए.
न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति आर.आर. भोंसले की खंडपीठ मृतक पार्षद के बेटे प्रदीप काले की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. प्रदीप ने मांग
पुलिस ने दाखिल की थी 'ए समरी' रिपोर्ट
अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक आशीष आई. सतपुते ने अदालत में बताया कि नवी मुंबई पुलिस ने मामले की जांच की थी, लेकिन उन्होंने एक सारांश रिपोर्ट (ए समरी रिपोर्ट) दायर की.
पुलिस द्वारा 'ए समरी' रिपोर्ट तब दायर की जाती है जब वे जांच के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि मामला सही है, लेकिन अभी तक पता नहीं चला है.
पुलिस का कहना है कि अपराधियों के बारे में कोई सुराग नहीं है या जब आरोपी ज्ञात हो तो उसके खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए कोई सबूत नहीं है.
'राजनेताओं के आ रहे हैं फोन'
मामले में ए समरी दाखिल होने के बाद शिकायतकर्ता ने एक विरोध याचिका (प्रोटेस्ट पिटिशन) दायर की, जिसके बाद मजिस्ट्रेट अदालत ने ए समरी खारिज कर दी. इसके बाद मामला पुणे सीआईडी के फ्लाइंग स्क्वाड को सौंप दिया गया, जो मामले की जांच कर रहा है.
हालांकि, प्रदीप काले की ओर से पेश हुए वकील ने कहा, 'पुणे पुलिस कुछ नहीं कर रही है. मेरे मुवक्किल वहां गए थे. अधिकारी उनसे कह रहे हैं कि उन्हें राजनेताओं के फोन आ रहे हैं. 17 साल से ये मामला लंबित है.'
क्या है मामला
बता दें कि 21 अप्रैल 2008 को नवी मुंबई के ऐरोली क्षेत्र सेक्टर-3 में दो अज्ञात हमलावरों ने दिन-दहाड़े कांग्रेस पार्षद आनंद काले की गोली मारकर हत्या कर दी थी. बताया जा रहा है कि घटना के वक्त वह मछली बाजार के पास अपनी कार खड़ी कर अपने ऑफिस जा रही थे.