भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच के लिए बनाए गए आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार को 5 और 6 मई को पेश होने के लिए तलब किया है. पवार की गवाही दक्षिण मुंबई के सह्याद्री गेस्ट हाउस में होगी. इस मामले में पवार ने एक हलफनामा भी दाखिल किया है. इससे पहले 2018 में भी पवार ने आयोग के सामने एक हलफनामा दाखिल किया था.
आयोग ने बुधवार को राकांपा प्रमुख को समन जारी किया. पवार ने 2018 में दायर किए हलफनामे में कहा था कि राजनीतिक लाभ के लिए कुछ असामाजिक तत्वों के उकसाने पर दंगा हुआ था. उन्होंने कहा था कि विशेष स्थान (भीमा कोरेगांव) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि जो भी रही हो. लेकिन महाराष्ट्र में आज तक किसी समुदाय ने हिंसा की घटना को अंजाम नहीं दिया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए हिंसा को बढ़ावा दिया. सोशल मीडिया के जरिए मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण बातों को प्रचारित किया गया.
उन्होंने कहा था कि पुलिस किसी भी परिस्थिति में दंगा जैसी स्थितियों को संभालने में सक्षम है. लेकिन पुलिस मशीनरी को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से काम करने की अनुमति देने के लिए एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. जिला मजिस्ट्रेट कलेक्टर जैसे अर्ध-न्यायिक निकायों को आपातकालीन स्थिति को संभालने और संविधान से मिली शक्तियों का इस्तेमाल करने के लिए पर्याप्त सक्षम होने की जरूरत है. चार साल पहले दाखिल किए गए हलफनामे में पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र को 1 जनवरी 2018 को हुए दंगे के चलते विफल कानून और व्यवस्था की स्थिति की जिम्मेदारी लेनी होगी.
पवार ने अपने 5 पन्नों के हलफनामे में कहा था कि भीमा कोरेगांव आयोग के पीठासीन अधिकारियों को सिविल कोर्ट की तुलना में अधिक प्रभावी शक्तियां दी जानी चाहिए. पवार ने कहा था वे प्रस्ताव करते हैं कि आयोग विधायकों को संशोधनों की सिफारिश कर सकता है.
पवार ने किया केजरीवाल का बचाव
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के मामले में अरविंद केजरीवाल का बचाव किया है. उन्होंने बुधवार को मुंबई में आयोजित की गई इफ्तार पार्टी में कहा कि दिल्ली में हिंसा और घरों को तोड़े जाने का हवाला देकर देश में अशांति पैदा करने की कोशिश की जा रही है.