मध्य प्रदेश के भिंड जिले में चल रही नकली मावे की फैक्ट्रियों पर प्रशासन, औषधि और खाद्य विभाग की टीम ने गोरमी इलाके में दो जगह छापा मारा. इस दौरान टीम ने वहां भारी तादाद में नकली मावा और उसे बनाने का सामान जब्त कर लिया.
त्यौहारों पर बढ़ जाती है मांग
भिंड जिले में नकली मावा के कारोबारी त्योहारों का सीजन आते ही गांव-गांव सक्रिय हो जाते हैं और बड़ी तादाद में नकली मावा बना कर मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजधानी दिल्ली के साथ-साथ कई प्रांतो तक सप्लाई करते हैं. समय-समय पर प्रशासन इनकी सैंपलिंग कर कार्रवाई भी करता है. लेकिन बावजूद इसके ये बाज नहीं आते.
घातक कैमिकलों से तैयार होता है नकली मावा
ताजा मामला गोरमी इलाके का है, जहां प्रशासन ने छापा मार बड़ी तादाद में मिलावटी और नकली मावा जब्त किया. छापे के दौरान जो सामान मिला उससे ये साफ जाहिर था कि नकली मावा बनाने वाले कारोबारी दूध में से पहले तो क्रीम निकाल लेते हैं और उसके बाद उसमें चिकनाई के लिए वनस्पति तेल और मिठास के लिए ग्लूकोज के साथ कई प्रकार के घातक कैमीकल मिलाते हैं. ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में कारोबारी दूध की जगह कैमीकल से बनाया गया एक पाउडर (माल्टो) को पानी मे घोल कर मावा बना देते है, जो पूरी तरह से नकली होने के साथ-साथ सेहत के लिए काफी घातक होता है.
मिठाई खरीदने से पहले रहें सावधान
डॉक्टरों की मानें तो इस नकली मावा से बनी मिठाई खाने से कई प्रकार की गंभीर बीमारियां सामने आती है और लोगों की सेहत से पूरी तरह से खिलवाड़ होता है. इन्हें खाने के बाद लोग इलाज में लाखो रुपये गंवा बैठते हैं और बिना कारण परेशानी उठाते हैं. डॉक्टरों की राय है कि मिठाई खरीदते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि हम जहां से मिठाई खरीद रहे हैं, उस दुकान पर कहीं नकली मावा तो सप्लाई नहीं हो रहा है. साफ-सुथरी और साख वाली दुकान से ही मिठाई खरीदनी चाहिए. मिठाई को हमेशा चखने के बाद ही खरीदें. नकली मावा की मिठाई जल्दी खराब और खट्टापन देने लगती है इसलिए उसे खरीदने से बचें.
फल-फूल रहा है मिलावट का बाजार
भिंड जिले में नकली और मिलावटी मावे का काला कारोबार साल दर साल तेजी से फल-फूल रहा है. प्रशासन दिखावे की कार्रवाई सिर्फ त्योहार पर करता है लेकिन मावा कारोबारियों का नेटवर्क इस कदर मजबूत है कि कई बार उनको कार्रवाई की भनक पहले ही लग जाती है. सालों से चले आ रहे इस गोरखधंधे को पूरी तरह रोक पाने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है. जिसके कारण मिलावटखोरों के हौसले दिनोंदिन मजबूत होते जा रहे हैं.