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Valentines Day: 14 फरवरी को कैसे मनाएं ? छिंदवाडा के DM ने स्कूलों को जारी किया आदेश

जहां एक तरफ पूरी दुनिया में 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है. तो वहीं मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में इस दिन को मातृ-पितृ पूज्य दिवस के रूप में मनाने का निर्देश दिया गया है. यह निर्देश छिंदवाड़ा के कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने दिया है. उन्होंने कहा कि बच्चों और युवा वर्ग में माता-पिता के प्रति सम्मान का भाव प्रदर्शित करने की आवश्यकता है.

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छिन्दवाड़ा के कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन.
छिन्दवाड़ा के कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 14 फरवरी को मातृ-पितृ दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्देश
  • MP के छिन्दवाड़ा में कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने दिया निर्देश

मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा के कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूज्य दिवस के रूप में मनाये जाने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने सरकारी आदेश जारी करते हुए कहा है कि बच्चों और युवा वर्ग में माता-पिता के प्रति सम्मान का भाव प्रदर्शित करने की आवश्यकता है. इसी को देखते हुए 14 फरवरी को छिंदवाड़ा जिले में मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाया जाएगा.

यह निर्देश जिले के सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के प्राचार्य, जिला शिक्षा अधिकारी सहित जिले के सभी सरकारी व निजी स्कूलों के प्राचार्यों को दिया गया है. इसके साथ ही घर परिवार, गांव, शहर मोहल्ले में भी इस दिन को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने की अपील की गई है. ताकि लोगों में माता-पिता के पूजन करने और सम्मान की भावना जागृत हो सके.

14 फरवरी को है वैलेंटाइन डे
उल्लेखनीय है कि पूरी दुनिया में 14 फरवरी को प्यार के प्रतीक के रूप में वैलेंटाइन डे मनाया जाता है. इसे लेकर युवा वर्ग में काफी उत्साह रहता है, लेकिन इस दिन को बच्चों में माता-पिता के प्रति पूजा का भाव उत्पन्न करने के इरादे से छिंदवाड़ा कलेक्टर ने यह आदेश जारी किया है.

क्‍या है वैलेंटाइन डे का इतिहास?
ऐसा माना जाता है कि वैलेंटाइंस डे की शुरुआत प्राचीन रोम में हुई थी, जब 13 फरवरी से 15 फरवरी तक लुपर्केलिया का पर्व मनाया जाता था. इन दिनों पुरुषों द्वारा एक बकरी और एक कुत्ते की बलि दी जाती थी और फिर महिलाओं को इन बलि किए गए जानवरों की खाल से पीटा दिया जाता था. ऐसा माना जाता था कि इससे महिलाओं की जनन क्षमता बेहतर होती है.

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इस महोत्सव के दौरान मैच-मेकिंग लॉटरी भी निकाली जाती थी. पुरुष एक जार से महिलाओं के नाम निकालते थे और जिसका नाम जार से  निकलता था उस महिला के साथ कपल बन जाते थे. लुपर्केलिया का पर्व तीसरी शताब्दी ईस्वी में वेलेंटाइन डे के रूप में बदल गया.

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